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गौरी नंदन गजानन

कुमाऊँनी भाषा में लेख गौरीपुत्र गणेश ज्यू कं सबै 'प्रथमेश' रूप यूं स्मरण करनी-Kumauni Language mein lekh Gauri Putra Ganesh

-:गौरी नंदन गजानन:-

लेखिका: अरुण प्रभा पंत

हमौर सनातन संस्कृति में ऐस मानी जां कि जब हमार जीवन में हर तरफ दुख, संकटहुं और सांकेतिक, मनोवैज्ञानिक या दैविक सहाराक नाम परै सही हम द्याप्तनांक पुजपाति और क्वे एक ईष्ट कं मन में सोचबेर उननकं याद करण लागनूं।
जमै गौरीपुत्र गजानन कं सबै 'प्रथमेश' रूप यूं स्मरण करनी।

भगवान गणेशैक सात्त्विक साधना अत्यंत सरल और प्रभावी मानी जैं, जमैं ज्यादे विधि-विधानैक लै आवश्यकता न्हां।मनाक भाव मात्रैल गणेश आपण भक्तन कं हर संकटैल भ्यार कर दिनी और सुख समृद्धि मार्ग प्रशस्त करनी, ऐस मान्यता छु बल-
"ॐएक दन्ताय विद्महे
वक्रतुंडाय धीमहीतन्नो
बुद्धी प्रचोदयात्"
उपर्युक्त गणेश गायत्री मंत्र भौय।

उसी तो गणेश चतुर्थी कृष्ण पक्षैक सदा पूजनीय मानी जैं किंतु आज शुक्ल पक्षैकि चतुर्थी के दिन महाराष्ट्र में "गणेशोत्सव" मनूणैक रीत छु।  शिवपुराण में मैं जिक्र छु बल।
लोकमान्य बालगंगाधर तिलक ज्यूल यो त्यार कं समस्त महाराष्ट्र विशेषकर हिंदून कं संगठित करणांक लिजि जोर शोरैल एक जन आंदोलनाक तौर पै मनूणैक शुरुआत १८९३में पुणे बै करी।

यकं भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी बै शुरू कर बेर भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी (अनंत चतुर्दशी) तक मनूणौक निश्चय करौ।
तिलकज्यूल गणेशोत्सव कं सामाजिक धार्मिक और सांस्कृतिक रूपैल मनूणैक प्रथा कं प्रचारित करौ।
हर बरस आजाक दिन पुर संसार में जां लै भारतीय रुनि गणेशोत्सव मनई जां,पर यो बर्स करोनाक कारण सब आपण घरै में यकं मनूण हुं विवश छन।
जय मंगल मूर्ति समस्त विश्वौक मंगल करौ!

मौलिक
अरुण प्रभा पंत 

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