हींग के औषधि उपयोग का इतिहास
उत्तराखंड में वन मसाले – कृषि व भोजन का इतिहास - 103History of Agriculture , spices , Culinary , Gastronomy, Food, Recipes in Uttarakhand -103
आलेख - भीष्म कुकरेती (वनस्पति व सांस्कृति शास्त्री)
वनस्पति शास्त्रीय नाम - Ferula asafoetida
सामन्य अंग्रेजी नाम - Asafoetida
संस्कृत /आयुर्वेद नाम - हिंगू
हिंदी नाम -हींग
उत्तराखंडी नाम - हींग
जन्मस्थल संबंधी सूचना -
डा राजेंद्र डोभाल के अनुसार हींग की 170 प्रजातियां हैं और 60 प्रजातियां एशिया में मिलती हैं। हींग एक पौधे की जड़ों के दूध (latex ) को सुखाकर मिलता है। उत्तराखंड में डेढ़ मीटर ऊँचा पौधा 2200 मीटर की ऊंचाई वाले स्थानों में मिलता है। उत्तराखंड के लोग हींग की सीमित खेती करते हैं। उत्तराखंड में मिलने वाली प्रजाति का जन्म स्थान मध्य एशिया याने पूर्वी ईरान व अफगानिस्तान के मध्य माना जाता है।
हींग, हिंगु का औषधि उपयोग संदर्भ पुस्तकों में वर्णन -
हिंगू का उल्लेख चरक संहिता कई औषधि निर्माण हेतु हुआ है। सुश्रुता संहिता में हिंगू का कई प्रकार की औषधि निर्माण उल्लेख हुआ है। छटी सदी के बागभट रचित अस्टांग संग्रह, सातवीं सदी के अष्टांग हृदय संहिता, ग्यारवीं सदी के चक्रदत्त चिकित्सा ग्रन्थ, बारहवीं-तेरहवीं सदी के कश्यप संहिता/वृद्ध जीविका तंत्र, भेल संहिता, बारहवीं सदी के गदा संग्रह, सारंगधर संहिता, हरिहर संहिता, अठारवीं सदी के भेषज रत्नावली, सिद्ध भेषज संग्रह (1953), आयुर्वेद चिंतामणि (1959). पांचवी सदी के अमरकोश, धन्वंतरि निघण्टु, राज निघण्टु, मंडपाल निघण्टु, राजा निघण्टु (15 वीं सदी), कैयदेव निघण्टु, भाव प्रकाश निघण्टु,अभिनव निघण्टु, आदर्श निघण्टु, शंकर निघण्टु, नेपाली निघण्टु, मैकडोनाल्ड इनसाक्लोपीडिया लंदन, इंडियन मेडिकल प्लांट्स,
अतः सिद्ध है कि हींग का कई औषधीय उपयोग होता है। दादी माँ की दवाइयों में हींग का उपयोग दांत दर्द कम करने , बच्चों के कृमि नाश , पेट दर्द आदि हैं।
हींग का भोजन में उपयोग - छौंका
हींग को विभिन्न सब्जियों , दालों में सीधा मिलाकर या छौंका लगाकर उपयोग होता है।
भारत हींग कृषि नहीं करता व भारत का वार्षिक आयात १०० मिलियन डॉलर है। मुख्य निर्यातक ईरान व अफगानिस्तान हैं।
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श्री भीष्म कुकरेती जी के फेसबुक वॉल से साभार
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