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मुहावरे और लोकोक्तियाँ कुमाऊँनी भाषा में (भाग-०२)

कुमाऊँनी भाषा के कुछ प्रचलित मुहावरे और लोकोक्तियाँ और हिंदी अर्थ Idioms and phrases Kumauni language and hindi meaning

कुमाऊँनी भाषा में मुहावरे और लोकोक्तियाँ


यहाँ पर हम कुमाऊँनी की कुछ प्रचलित मुहावरों और लोकोक्तियों को उनके अर्थ के साथ जानने का प्रयास करेंगे:-

आंग में नि भै लत्ता, जांण भै कलकत्ता
अर्थात
बिना किसी तैयारी के किसी काम को करने का निर्णय करना

आपुण खुट जांण, पराई खुट ऊंण
अर्थात
किसी से मिलने जाने पर वहां से वापसी दूसरे पर निर्भर होती है

आपूं जोगी बगि रौ, दूहरौंक ख्वर हाथ
अर्थात
अपने खुद मुसीबत में है पर दुसरे की समस्या का समाधान करने का नाटक

आपूं मरि बिगैर स्वर्ग नि देखिं
अर्थात
अपने किये बगैर कोई काम का अनुभव नहीं हो सकता

आपूं हिटणी रीता, औरों कैं पढ़ौनी गीता
अर्थात
अपने तो किसी काम के नहीं औरों को उपदेश देना

आफि नैग, आफि पैग
अर्थात
सब श्रेय अपने आप को ही देना

आफि औतारि, आफि पुजारी
अर्थात
हर बात में अपने को शामिल आकर लेना

आपुण बखतम पाणि है लै पतव
अर्थात
अपना काम निकालने के लिए चापलूसी करना

आपुण मुलूकौक ढुंग लै चुपड़
या
आपुण मैतौक, कुकुर लै प्यार
अर्थात
अपने क्षेत्र/घर की हर वस्तु से व्यक्ति प्यार करता है

आपुण सुनै जै ख्वट, तो परखणिक क्ये दोष
अर्थात
अगर अपने पक्ष से ही बुराई हो तो दूसरे को दोषी नहीं बता सकते

आपुण हाथ जगन्नाथ
अर्थात
जैसे हिंदी में अपने हाथ का हुनर भगवान है

उपरोक्त मुहावरों और लोकोक्तियों के सम्बन्ध में सभी पाठकों से
उनके विचारो, सुझावों एवं टिप्पणियों का स्वागत है।

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