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रणसिंग बाजौ

"जिज्ञासु" जी की पहली कुमाउनी कविता ‘रणसिंग बाजौ’ 1962 में चीनी हमले के बाद लिखी। first kumauni poem of Banshidhar Pathak Jigyashu, Kumaoni Poen

रणसिंग बाजौ

रचियता - बंशीधर पाठक "जिज्ञासु"
"जिज्ञासु" जी की पहली कुमाउनी कविता ‘रणसिंग बाजौ’ 1962 में चीनी हमले के बाद लिखी।
यह कविता 1969 में ‘शिखरों के स्वर’ में प्रकाशित हुई।

रणसिंग बाजौ-
खबरदार!
होशियार!
अरे ओ देशाक् पहरेदार!

रणसिंग बाजौ-

करी घोर-बज्र हुकार
गजैं गो अगास-पताल
सार दुनी संसार।
खबरदार!
होशियार!
अरे ओ देशाक् पहरेदार!

रणसिंग बाजौ-
जागो रे वीरो जागौ!
ओ रे रणधीरों जागौ!
रणसिंग बाजौ-
तुमन कैं जगूं
बार-बार, हजार बार!
खबरदार!

रणसिंग बाजौ-
दरिंद दुश्ममणै फौज अपार,
आजिलै ठाडि़ छ
वां सरहदै पार
जो दींणै तुमन कैं ललकार!
खबरदार!

रणसिंग बाजौ-
कि है जाऔ तैयार,
उठाओ खुकुरि,
हथ्याऔ तलवार,
पल्टै दियौ ढान-भुंइन कैं,
फोड़ दियौ दावन-कैं।
हिटौ जसिक बादव हिटनी।
कदम बढाऔ,
बढ़नै जाऔ,
मारौ फाल,
चढि़ जाऔ जल्दी ह्यूंवाल-धार।
दुश्मण मारौ,
ख्येति आऔ सीमा पार!
खबरदार!

रणसिंग बाजौ-
उठौ ज्वानो उठौ,
बढ़ौ रे ज्वानौ बढ़ौ,
वीरों में बलवान तुम,
भारत मां की शान छा,
छा तुम सरदारोंक सरदार!
खबरदार!
होशियार!
अरे ओ देशाक् पहरेदार!

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