
वरिष्ठ साहित्यकार श्री जगदीश चंद्र जोशी ज्यू
कुमाउनी इंटरव्यू © हमार कुमाउनी रचनाकार【11】
प्रस्तुति: राजेन्द्र ढैलामित्रो, कुमाउनी रचनाकार संक्षिप्त परिचय श्रृंखला'क यौ क्रम में, आज मैं आपूं सबना सामणी हमार वरिष्ठ साहित्यकार श्री जगदीश चंद्र जोशी ज्यूक परिचय प्रस्तुत करण लाग रयूँ। जो कुमाउनी बोलि-भाषा, साहित्य कें समृद्ध बणूंण में आपण महत्वपूर्ण योगदान दिण लाग रयी। इनर जनम 01 अगस्त सन 1956 हूँ ग्राम-खेरदा (उच्यूर), जनपद-अल्माड़ में ईजा श्रीमती हेमा जोशी व बौज्यू श्री शिवदत्त जोशी ज्यू वाँ भौ।
इनर वर्तमान निवास स्थान ग्राम भगवानपुर,पोस्ट-हरिपुर नायक,हल्द्वाणी जिल्ल नैनताल छ। इनून पढाई-लिखाई (शिक्षा) स्नातक और अंग्रेजी साहित्य में परास्नातक करै। जैक बाद यौ सरकारी स्कूल में अंग्रेजी प्रवक्ता पद पर कार्य करते हुए शिक्षा विभाग में 37 साल (31 मार्च 1980 बटी 31 मार्च 2017 तक) आपणि सेवा दिणा बाद 31 मार्च साल 2017 में राजकीय इंटर कॉलेज कालाढूंगी बटी सेवा निवृत्त है गयी। आब् आपण संपूर्ण समय कुमाउनी साहित्य कें समृद्ध करण में बितूंनयी। प्रस्तुत छन इनन् दगड़ी हैई बातचीताक कुछ अंश..
सवाल01◆ उ तीन मनखीनों नाम बताओ जनून आपूं कें प्रभावित करौ?
जवाब● तीनै किलै? म्यर साहित्यि'क ब्यक्तित्व बणून में कत्तूकवां'क हाथ छ। गौरी दत्त पांडे 'गौरदा', हीरा सिंह राणा, शेरदा 'अनपढ़', भवानी दत्त पंत 'दीपाधार' और बाद में सुधीर शाह, राजेन्द्र बोरा, गोपाल दत्त भट्ट, और लै कत्तुक छन।
सवाल02◆ रचना धर्मिता कब बटी और कसिक शुरू भै आपूं हिंदी लै लिखछा लेकिन कुमाउनी शुरू करणैकि प्रेरणा कां बटी मिलै?
जवाब● उसिक मैंल, जथैं सही में लेखण कूनी 1972 बै शुरू करि हैल छी। हिंदी बटिकै शुरुआत भै। जब 1972 में बी.ए. पैल साल में छ्यूं, यो सालै अल्मोडा़ म.वि. सरकारि है गो छी। यैकि पैल पत्रिका निकवणी छी। सम्पादक छी शेखर पाठक। मैं आपणि रचना ल्ही बेर गयूं, उनूल मैं थैं कुमाउनी में लेखणा लिजी कौ। बाद में शेरदा'ल लै कौ। जां बटी जब चिट्ठि ऐ मैं रचना भेजनै रयूं।
सवाल03◆ आपुण लोकप्रिय मनखी को छन? क्वे एक नाम बताओ।
जवाब● श्रीमती इंदिरा गांधी म्या्र लोकप्रिय मनखी छन। किलैकि नाजा मामुल में देश कैं आत्मनिर्भर बणून में उनून भौत ठुल काम करौ। दुसर दुनियां नक्श में एक नयी देश बंगलादेश कैं जनम दे। उलै उ बखत जब अमेरिका पाकिस्तानै मदद करणा और हमूकैं डरूणा लिजी सतूं बेड़ा भेजणौंछी।
सवाल04◆ अच्छा आपुण खास शौक के-के छन?
जवाब● एक पढ़नी-लेखणी मैंस'क पढ़न-लेखणा अलावा के शौक है सकूं? एक यसि किताब पढ़ी जौ, जो आत्मा कैं खुश करि द्यौ। पर या्स किताब भौत ढुनि बेर मिलनी।
सवाल05◆ आपूंल कुमाउनी साहित्याक को-को विधाओं में आपणि कलम चलै राखै और आपुणि लिखणैकि मनपसंद विधा कि छ?
जवाब● पैलि-पैलि त मैंल कवितानै बै शुरू करौ। गद्य में भौत बाद में आयूं। कहानिना अलावा मैंल संस्मरण, लेख, निबंध और पुस्तक समीक्षा लै लेखि राखी। एक शाक्षात्कार 'पहरु' पत्रिका क जून 2020 क अंक में ऊनेर छ। यैक अलावा मैंल देशी-विदेशी भाषान बै कहानिनौ अनुवाद कुमाउनी में करि राखौ। ताकि कुमाउनी'क पाठक'नकि विश्व साहित्य दगै लै जाण-पछ्याण लागि सकौ। यैक अलावा प्रो. शेखर पाठक ज्यून पांच लेख अंग्रेजी बै हिंदी में अनुवाद करण हुं दी, जो मैंल करि लै हैली। यनमें बै एक नृपसिंह नपच्याल ज्यूनौ रघुनंदन सिंह टोलिया ज्यू पर लेख, 'पहाड़' पत्रिका'क स्मृति विशेषांक-एक में छपि बेर ऐ लै गो।
सवाल06◆ अछा आपुण हिंदी और कुमाउनी में किताब लै छप रयी उ किताबों नाम के-के छ?
जवाब● मेरि आज जानै कुमाउनी में तीन किताब छपि गई। जैङड़ी उज्याव (काव्य संग्रह), चांदि और सुनार (काव्य संग्रह) और ग्यस उज्याव (कहानी संग्रह)। यैक अलावा चार किताब- एक काव्य संग्रह, एक संस्मरण संग्रह, एक निबंध और लेख'नक संग्रह तथा एक अंग्रेजी/हिंदी बै अनुदित कहानि'नक संग्रह अणछपियै छन।
सवाल07◆ लेखन कार्य करते हुए आपूं कें आज तक के-के सम्मान और पुरस्कार मिलि रयी?
जवाब● शौल उड़ै बेर कतुक बार सम्मानित करीगो- यैकि के फाम न्हैंतन। बाल प्रहरी'क सम्पादक किरोला ज्यून लै निमखण उपाधि दी राखी। यैक अलावा मैं कैं तीन और पुरस्कार मिलि रई-1) शेर सिंह बिष्ट 'अनपढ़' कविता पुरस्कार (2011), 2) उत्तराखंड भाषा संस्थान, उत्तराखंड सरकार'क पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल सम्मान(2011- 12) और 3) बहादुर बोरा 'श्रीबंधु' कहानी पुरस्कार (2013)।
सवाल08◆ आपुण जिंदगी एक यादगार किस्स बताओ जो सबन दगड़ी साझा करण चाँछा?
जवाब● सैद 1 मार्च,1980 क बात छ। तब मैं चितै में छ्यूं। होइकि इकादशी दिन छी। मैं आपण घर ख्यार्द अल्माड़ बजारा बा्ट जाणै छ्यूं, पैदल। पेटन भुक लागी भै। जेब में डबल एक नि भै। एन.टी.डी. कि सड़क में डामरौ काम लागी भै। जस्सै मैं फायर ब्रिगेडा औफिस तिर पुज्यूं एक पुलिस वा्व सौ-सौ रुपैं क नोट गणनै ऊणौ छि। एक नोट वीक हा्थ बै छुटि पड़ौ। वीक ध्यान कथ्थप छी। आघिल कै ऊनै रौ। मैंल आङु लगै बतूण चा। म्या्र लुकुड़ और पाई दाड़ि देखि सैद मैं कैं वील क्वे लोफर समझ हुनोल। कपोरि खै दिणि आंखूंल चै मैं थैं पुछौ- के छ?
मैंन शान करिबेर बता- तुमा्र डबल।
'कां'?
मैंन' शान लै बता- तली सड़क में।
जब वील नोट उठै बेर मेरि उज्याणी चा, वीक मुखै रंगत देखण लैक छी।
सवाल09◆ आपण जिंदगी'क सबन हैं ठुलि खुशीक एक मौक बताओ?
जवाब● जब मेरि एक चिट्ठि 'सम्पादक के नाम पत्र' कौलम में स्वाधीन प्रजा अखबार में छपी। उभत वीक सम्पादक अग्निहोत्री ज्यू छी।
सवाल10◆ क्वे यस काम जो आपूं समजंछा अगर यौ है जांछियो तो भौत भल हुंछी?
जवाब● जब मैं चितै में छ्यूं एक खण्ड काव्य 'कलंकी कोख' लेखण शुरू करौ। एक सर्ग लेखौ लै। के करीं जब र्वा्ट मिलण लागनी, गाणि-माणिन में ट्वा्ट पड़ि जानी। पुर है जानौ ठीकै हुन।
सवाल11◆ वर्तमान में के रचनौछा और आपुणि ऊणी वाली क्वे रचना?
जवाब● नयी के खास नी लेखीणै। खास तौर पर जै थैं मौलिक कूनी उ। हयात रावत ज्यू जे लै लेखूनी, लेखि द्यूं। क्वे और'ल लै म्यर करण लैक काम बतायौ, करि द्यूं। तीन-चार किताब छपूंण छन। छपि जाना भल हुन। देखौ, के-के है सकूं।
सवाल12◆ साहित्यकि परिभाषा आपण शब्दों में बताओ धैंॽ
जवाब● साहित्य मैंस'क मष्तिष्क कैं पंयै बेर सजूण'क काम करुं। जसिक शारीरा विकासा लिजी खाणु जरूड़ी हुं उसीकै मष्तिष्का विकासा लिजी साहित्य लै जरूड़ी छ।
सवाल13◆ आपुण हिंदी और कुमाउनी'क प्रिय लेखक को-को छनॽ एक-एक नाम बताओ।
जवाब● हिंदी में म्या्र प्रिय कवि॑न में कबीर, मैथलीशरण गुप्त, सुमित्रानंदन पंत, हरिवंशराय बच्चन, नीरज, धूमिल आदि छन और लेखकन में प्रेमचंद, शैलेश मटियानी, शेखर जोशी और फणीश्वरनाथ 'रेणु' छन। और कुमाउनी रचनाकारन में गौर्दा, चारु चंद्र पांडे, शेरदा, गोपाल दत्त भट्ट, राजेन्द्र बोरा और मथुरादत्त मठपाल मैं कैं भाल लागनी। किलै कि यनर रचनान में ताजगी और नवीनता भरीण हैं।
सवाल14◆ टीवी में आपूं के देखण भल मानछाॽ
जवाब● टीवी में आ्ब जादेतर समाचारै सुणू। जाधे देर तक बैठीनै नै।
सवाल15◆ जबकि आपूं आब् शिक्षक पद बटी रिटैर हैगहा तो आपुणि दिनचर्या कसी बितैं के-के करछा आपूंॽ
जवाब● रिटैर हुण तक मैंस सोचूं बची-खुची सब काम रिटैर हयी बाद करुंल। पर उज जबाब दिण लागें। मैं कैं लागूं मैं के कामै नी करणयूं फिर लै दिन कभत बितौ पत्तै नी चलन। घर पन हम द्वीयै जाणी भयां, जे लै काम है सक मिलि-बांटि बेर करि ल्हीनू। साहित्यकारी लै निभूणै भै। कै लै कैं बलायौ जा्ण लै जरूड़ी भै। दिनै नै म्हैण-साल कसिक बिति जानी के पत्त नि चलन।
सवाल16◆ पहाड़ी खाणु में आपुण मनपसंद खाणु के छॽ
जवाब● उसिक सबै पहाड़ि खाण मैं कैं भा्ल लागनी। खास तौर परि झुङर कैं भुटि बेर बणाई खीर मैं कैं भौत भलि लागैं।
सवाल17◆ आपुण जिंदगीक् मूल मंत्र कि छॽ
जवाब◆ कैलै त्या्र लिजी कतुकै नक लै करी हो, उ सब भुलि, वील त्यर राइ-रत्ती भरि लै भल करी छ त उकैं याद धर।
सवाल18◆ नवोदित लेखक व रचनाकारों हूँ आपूं कि कूंण चांछाॽ नई लेखक कस लिखनयी और कस लिखी जाणैकि जरवत छ आईॽ
जवाब◆ नयी लेखक और कविन थैं मैं एतुकै कूण चां कि उ के यस लेखौ जो उनर नाम लै करौ और कुमाउनी भाषा कैं एक मजबूत और भारि आधार द्यौ। दुसरि विकसित भाषान में लेखणीन कैं लागौ कि यसि रचना मेरि भाषा में लेखीण चैं। रचना वी भलि हैं जकैं पढ़न में आनन्द औ। नयी-नयी लेखार त ऊण भौत री पर पुर आङा बाव ठाड़ कर दिणी रचना नी उणै। वा-वा करनी परख करनी नि हुन। सवाल यैक न्हैंतन कि कतुक लेखणी छन बल्कि यैक छ कि कस लेखीणौ। मैं कैं नयी रचनाकारन में मनोज उप्रेती और मधु मेहरा॑कि रचना वजनदार लागनी।
सवाल19◆ हमार जनकवि स्व.गिर्दा दगड़ी जुड़ी क्वे याद या आपुण अनुभव शेयर करण चालाॽ
जवाब● 1977-78 में अल्माड़ में एक नाटक उत्तराखंड संघर्ष वाहिनी उज्याणि बै खेली गो- थैक्यू मिस्टर ग्लाड। यैकि रिहर्सल्स राम कृष्ण धाम में भै और मंचन रामजे इंटर कालेज में। डाइरक्टर छी गिरीश तिवाड़ी 'गिरदा'। डेढ़ म्हैण तक उनूल हमन कैं तालीम दे। यैं बै म्या्र समझ में नाटकै गहराई ऐ। यमैं उनूल मैं कैं 'पागल कैदी' क पाठ खेलण हुं दे। जो एतुक जाधे चर्चित भौ कि उभता जो लोग म्यर नौ भुलि जानी उ मैं कैं पागल कैदी कै बेर आज लै धात लगूनी। शेखर पाठक ज्यू आपणि हर चिट्ठी में प्रिय पागल कैदी लेखनी। 2010 में 2 अप्रैल बै 4 अप्रैल तक देहरादून अकेता होटला एक्कै कम्र में दगड़ै रूणौ मौक मिलौ। यां द्वी नकै दून लाइब्रेरी द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कविता पाठ छी।
सवाल20◆ आपण पाठकों हूँ के संदेश दिनहाॽ
जवाब● पाठक नै की छत्र-छाया में लेखक ज्यून रूनी। असली पाठक उ छ जो एक निर्दयी पारखी लै छ। पाठक कैं आपणि पढ़ि भलि रचना या किताबा बा्र में औरन कैं लै बतूण चैं ताकि उ कैं पढ़ना लिजी और लै आपण मन बणै सकौ।
सवाल21◆ क्वे यसि बात जो मैं पुछि न पाई और आपूं हम सब लोगन दगै साझा करण चांछाॽ
जवाब● प्रो बटरोही आपूं त हिंदी में लेखनी पर कुमाउनी में लेखणियांन कैं लै पिरेरित करनै रूनी। जून 1995 में उनूल कुमाउनी कवि॑न कैं उ बखत उ. प्र. सा राज्यपाल थैं सम्मानित करूणा लिजी नैनताल शैले हौल में बुला। कत्तुक जाणी मैं थैं कई करनी- त्या्र हाथ भौत कौं छन। उ दिन मोतीलाल बोरा ज्यून शौल उड़ै बेर मैं दगै हाथ मिला, मैं कैं लागौ- उनार हाथ म्या्र है लै कौं छी।
सप्रेम धन्यवाद सादर
★प्रस्तुति राजेंद्र ढैला, काठगोदाम।
आपसे अनुरोध है कि कलाकार के रूप में ढैला जी की प्रतिभा को जानने के लिए
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