
चार रास्ते निकले तो, कस्बे का नाम पड़ गया "चौखुटिया"
लेखक: उमराव सिंह नेगी
अल्मोड़ा जिले की चौखुटिया तहसील का नाम चौखुटिया क्यों पड़ा, इसके पीछे काफी पुराना इतिहास है। कुमाऊं और गढ़वाल के केंद्र में स्थित चौखुटिया में चार दिशाओं की तरफ जाने वाले चार अलग-अलग मार्ग हैं। इन्हीं रास्तों के कारण यहां का नाम पहले चौबटि (यह कुमाऊंनी शब्द है) और बाद में चौखुटिया पड़ गया।
चौखुटिया से पहला रास्ता रामगंगा नदी के उदगम स्थल और तागताल की ओर निकलता है। दूसरा रास्ता रामनगर की ओर जाने वाले तल्ला गेवाड़ क्षेत्र को जोड़ता है। तीसरा रास्ता द्वाराहाट और महाकालेश्वर की ओर तथा चौथा रास्ता कर्णप्रयाग और रामपुर क्षेत्र की ओर को निकलता है। इस कस्बे के बाद गढ़वाल की सीमा ज्यादा दूर नहीं है। अल्मोड़ा जिले के समृद्ध कस्बों में इसे इसलिए गिना जाता है, क्योंकि यहां पर खेतीबाड़ी ठीकठाक है। यही नहीं, पर्यटन की दृष्टि से देखें तो कई ऐसे छोटे-छोटे पर्यटन स्थल हैं, जिनकी खूबसूरती अपनी ओर आकर्षित करती है। रामगंगा किनारे बसे चौखुटिया को घाटी वाला इलाका कहा जाता है। यह बात अलग है कि इसके विकास के लिए कोई ठोस पहल नहीं हुई।

रंगीलो गेवाड़ नाम भी मशहूर:
चौखुटिया क्षेत्र रंगीलोगेवाड़ नाम से भीजाना जाता है। इसके पीछे तर्क यह दिया जाता है कि यहां की 30 प्रतिशत भूमि समतल और उपजाऊ है। यहां धान समेत अन्य फसलों का उत्पादन बहुतायत होता है। सबसे उपजाऊ भूमि वैराठ सेरा की है। ऐसा भी माना जाता है कि चौखुटिया क्षेत्र राजुला मालूशाही की लोक गाथा से भी जुड़ा हुआहै। यह कस्बा अल्मोड़ा का समृद्ध कस्बा है।
कत्यूरों की उप राजधानी चौखुटिया:
क्षेत्रकत्यूरी राजाओं की उप राजधानी भी रहा है। बताते हैं कि कत्यूरी राजाओं ने जोशीमठ से उप राजधानी स्थानांतरित करने के बाद चौखुटिया की सुंदरता को देखते हुए इसे अपनी उप राजधानी बनाया था। कत्यूरी राजाओं ने लंबे समय तक कुमाऊं की धरती पर शासन किया था। उनके दौर की स्मृतियां देवालयों के रूप में अब भी मौजूद है और तब की याद दिलाती हैं।

उमराव सिंह नेगी, चौखुटिया
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