रचनाकार: कैलाश सिंह 'चिलवाल'
मील लै कस् देख्
आब् कस् देखणंयी,
दार और पाथरों छाई मकान हुंछी
आभोव सब लेंटर डालणंयी
हमर "नौ"मकानों बीचम
कभै दिवाल नी छी
दाज्यू! आभोव दी घरों बीचम
आण् घुच्च लगूणंयी
अहा रे! 'कैलाशा' पै?
कस देख् आब कस देखणयी।
इनु बाखई मैसोंक
एक-गई पाणि हुंछी
आभोव मनखी, मनखी
बै दूर भाजणंयी
एक दुसरक चुल' क रवाट् गिणंछी
आब त्यार हुं लै नी बलाणंयी
पै! कस् देख् कैलाशा
आब् कस् देखणयी।।
कैलाश सिंह ' चिलवाल', 26-06-2021
बनौड़ा भैषड़गाँव सोमेश्वर अल्मोड़ा।
वर्तमान स्थान: गुड़गाँव, लखनऊ।
बनौड़ा भैषड़गाँव सोमेश्वर अल्मोड़ा।
वर्तमान स्थान: गुड़गाँव, लखनऊ।
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