सुनिए सुर सम्राट गोपाल बाबू गोस्वामी जी के सुमधुर गीत
गोस्वामी जी का प्रसिद्ध कुमाऊँनी श्रंगार गीत, "रंगीली चंगीली पुतई कसि"
रंगीली चंगीली पुतई कसि,
फुल फटंगां जून जसि,
काकड़े फुल्युड़ कसि, ओ मेरी किसाणा !
उठ सुआ उज्याव हैगो, चम चमको घामा।
उठ सुआ उज्याव हैगो, चम चमको घामा।
रंगीली चंगीली पुतई कसि,
फुल फटंगां जून जसि,
काकड़े फुल्युड़ कसि, ओ मेरी किसाणा।
उठ सुआ उज्याव हैगो, चम चमको घामा।
उठ सुआ उज्याव हैगो, चम चमको घामा।
गोरू बाछा अड़ाट लैगो, भुखै गोठ पना।
गोरू बाछा अड़ाट लैगो, भुखै गोठ पना।
तेरि नीना बज्यूण हैगे, भ्यार ऐ गोछ घामा।
तेरि नीना बज्यूण हैगे, भ्यार ऐ गोछ घामा।
घस्यारूं दातुली छणकि,
घस्यारू दातुली छणकि, वार पार का डाना।
उठ सुआ उज्याव हैगो, चम चमको घामा।
उठ सुआ उज्याव हैगो, चम चमको घामा।
रंगीली चंगीली पुतई कसि,
फुल फटंगां जून जसि,
काकड़े फुल्युड़ कसि, ओ मेरी किसाणा !
उठ सुआ उज्याव हैगो, चम चमको घामा।
उठ सुआ उज्याव हैगो, चम चमको घामा।
उठ भागी नखर नी कर,
उठ भागी नखर नी कर, पली खेड़ खातड़ा।
उठ सुआ नखर नी कर, पली खेड़ खातड़ा।
ले पीले चाहा गिलास गरमा गरम।
ले पिले चहा गिलास गरमा गरम।
उठ मेरी नांरिंगे दाणी,
उठ मेरी नांरिंगे दाणी, छोड़ वे घुर्र-घूरा।
ले पीले चाहा घुटुकी, गुड़ को कटका।
ले पीले चाहा घुटुकी, गुड़ को कटका।
रंगीली चंगीली पुतई कसि,
फुल फटंगां जून जसि,
काकड़े फुल्युड़ कसि, ओ मेरी किसाणा !
उठ सुआ उज्याव हैगो, चम चमको घामा।
उठ सुआ उज्याव हैगो, चम चमको घामा।
उठ भागी नखर नी कर, मानि जा मेरी बाता।
उठ भागी नखर नी कर, मानि जा मेरी बाता।
नी कर, नी कर भागी, नखर, मखारा।
तू नी कर, नी कर भागी, नखर, मखारा।
उठ मेरी पुन्यू की जूना,
उठ मेरी पुन्यू की जूना, छोड़ वे घुर्र-घूरा।
ले पीले चाहा गरमा, गुड़ को कटका।
ले पीले चाहा गरमा, गुड़ को कटका।
रंगीली चंगीली पुतई कसि,
फुल फटंगां जून जसि,
काकड़े फुल्युड़ कसि, ओ मेरी किसाणा!
उठ सुआ नखर नी कर, मानि जा मेरी बाता।
उठ सुआ नखर नी कर, मानि जा मेरी बाता।
ओ.... हो.... , ओहो...............
उठ भागी नखर नी कर, मानि जा मेरी बाता।
उठ भागी नखर नी कर, मानि जा मेरी बाता..........
गीत के सम्बन्ध में भूमिका देने की आवश्यकता नहीं है, गोस्वामी जी के स्वर में ही आप सुन सकते है:-
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