यो पहाड़ में
श्री देवेश जोशीजल जंगल हिमाल
हैग्यो लिलामी हलाल
गिर्दा बोल बोलीक हारी पहाड़ में।
नि करण दियो हलाल यो पहाड़ में।।1।।
गैरसैंण हमरी पछाण
आन्दोलनै छ निसाण
गिर्दा एक दिन त आली यो पहाड़ में।
पाड़ी राज की या धानी यो पहाड़ में।।2।।
तभी छयो पहाड़
गिर्दा डान कानी छ घैल यो पहाड़ में।
बाटा गाड़-छानी छ घैल यो पहाड़ में।।3।।
राज बणायी पहाड़
पाणी सैंणाक जुगाड़
गिर्दा भौत बुरा हाल यो पहाड़ में।
रैग्यां बाग़ बांदर स्याल यो पहाड़ में।।4।।
गीत त्यार पहाड़
गूंजना छ घर घर
गिर्दा आज भी धत्यूँछ यो पहाड़ में।
नि करण दियो लिलामी यो पहाड़ में।।5।।
श्री देवेश जोशी जी की यह कविता पहाड़ १९ से ली गयी है
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