
कुमाऊँ में जोशी-१
कुमाऊँ में बामणनाक बार में जाण लियो जरा।
लेखक: भुवन चन्द्र पांडे
पैलिया पोस्टक तारतम्य में।
कुमाऊँ में जोशी -
पुराण समय में जो ज्योतिश शास्त्र कैं जाणछी ऊ ज्योतिशी उर्फ जोशी कई जांछी। पुराण ताम्र पत्र में इनुकूं "जोइशी" लिखी हुई छू।
पुराण समय में जो ज्योतिश शास्त्र कैं जाणछी ऊ ज्योतिशी उर्फ जोशी कई जांछी। पुराण ताम्र पत्र में इनुकूं "जोइशी" लिखी हुई छू।
मध्य प्रदेश और दक्षिण में जोशि लोग भौत विद्वान छी और प्रतिष्ठित पदों पर छी पर संयुक्त प्रान्त में सामान्य मानी जांछी। पर कूर्मांचल ऊ काफी प्रतिष्ठित समझी जांछी। राजनीति में जबरदस्त भाग लिणा कारण जोशि ने खिलाफ जनश्रुति लै भौत छी।
पहाड़ मे जोशि लोग यजुर्वेदी छन जबकि ताल देश मे जोशि ज्यादातर शामवेदी छन। पहाड़ि जोशि और देशि जोशि भिन्न भिन्न छन। पहाड़ाक जोशि कान्यकुब्जी ब्राह्मण भाय और तब राजनीतिक बागडोर हाथ मे हुंणा कारण भौत प्रभुता सम्पन्न है गाय। जोशिनैकि बुध्दि, गुणग्राहकता, राजनीतिक चातुर्य निर्विवाद भौय, शताब्दियों तक इनूल कुमाऊँ राजन कैं और जन्ता कैं शतरंजै गोटी जै नचाइ भौय।
तमाम राजनीतिक शक्ति ज्यादातर झिझाड़, दन्या, और थोड़ि भौत गल्ली जोशियों हाथ मे रई भैइ। अंग्रेजी शासन में चीनाखान और मकिड़ीक जोशि लै अघिन बड़ ग्याय।
झिझाड़ाक जोशी-
प० सुधानिधि चौबे(सनाढ्य) कान्यकुब्ज ब्राह्मण उन्नाव में ड्योड़ियखेड़ा बटि कुं सोम चन्द दगाड़ कुमाऊँ मे आई। सोम चंद जब राज बड़ो वील सुनिधि कैं आपुण वजीर या दीवान बड़ाय। चंपावत में सेलाखोला गांव में रूणक कारण सेलाखोलाक जोशी कहलाई। बाद में अल्माड़ में झुस्याड़ गांव में बसनैक कारण झिझाड़ाक जोशी कहलाई।श्री हेरम्ब जोशी राजा लक्ष्मी चंदाक समय में अल्माड़ आई उनार च्याल श्रीविष्णुदास और नरोत्तम कैं झिझाड़ गांव मिलौ। ऊं राजा त्रिमल चंदाक मंत्री छी, उनौर संतान पं० शिवदत्त जोशी राजा कल्याण चंद और दीप चंद समय एक प्रसिध्द मंत्री छी। शिव दत्त ज्यूक द्वि च्याल छी जय कृष्ण और हर्ष देव। इनूल चंद, गोरखा और अंग्रेज राज में आपण राजनीतिक कौशलैल सब कूं चकित कर दे। सुनिधि चौबे बटि निकली जोशी वंशावली में एक हबेर एक धुरन्धर लोग निकली जनूल आपण वंशवली नाम रोशन करो। य लोग सेला खोला जोशी, झिझाड़ाक जोशी कह लाई। यौं जोशी सेलाखोला, झिझाड़, दिगौली, नई गांव, बलियागांव, बाराकोट, कलौन,, कोटाल गांव, अल्मोड़ आदि आदि गांव में रूनी, यौं सब गर्ग गोत्री छन।
दन्या जोशि -
प्रयागराजक नजदीक जयरामऊ निवासी उपमन्यु गोत्री श्रीनिवास द्विवेदी १४ वीं शताब्दी में राजा थोहर चंदक दगाड़ काली कुमऊँ मे आईं। राजाल उनकूं पांडे पद दिवेर चौथानी ब्हाहमणों नियुक्त करबेर चौकीगांव रूणा लिजि दे। कुछ पीढ़ियों बाद एक भाइ नैपाल नहैगे वां दरबारी है गोय। कुछ भाइ वैद्य है गेई, जो भाइ काशी बटि ज्योतिष पढ़कर आईं ऊं जोशी कहलाई। १६ वीं शताब्दी में श्री रघनाथ जोशी कैं चौगर्खा में दन्या जागीर में मिली। तब ऊं दन्याक जोशी कई जांणि लागी। य लोग जागेश्वर मंदिरौक प्रबन्धक लै रई। अल्माड़ में राज दरवार ऊंण पर भरत जोशी कैं राज पदाधिकारी नियुक्त करी गई तब बटि यों दीवान कहलाईं।
राजा बहादुर चंदाक और उद्योत चंदाक समय जयदेव जोशी राजा जगत चंदाक और जगत चंदाक समयश्री बीरभद्र जोशी और कल्याण चंदाक समय शिव दत्त जोशी, भवानन्द जोशी और हरिराम जोशी मंत्री छी। यशोधर जोशी नाम पर जशपुर बसाई गो। गोरखा राज और अंग्रेजी राज में गलीक जोशि दीवान, कारदार, मुंसिफ रैईं
अब यौं दन्या, अल्मोड़, चौगर्खा, सोर, कांडा आदि स्थानूं मे रूनी।
सदर्भ- कुमाऊँ का इतिहास बद्री दत्त पाण्डे ।
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