
पिथौरागढ़ के पांखू स्थित मां कोटगाड़ी का मंदिर जागरण आर्काइव
🔥 न्याय की देवी है कोकिला माता🔥
शक्ति रूपेण संस्थिता...
पिथौरागढ़ जिले की थल तहसील क्षेत्र के अंतर्गत पुंगराऊ घाटी में न्याय देने वाली कोकिला माता का मंदिर है। अन्याय होने पर देवी के दरबार में पुकार लगाने पर न्याय मिलता है। जिसका प्रमाण यहां पर न्याय के लिए लगाए गए असंख्य पत्र हैं। कोकिला मां मंदिर भक्ति एवं आस्था का प्रमुख केंद्र है।
इतिहास
कोटगाड़ी देवी की स्थापना के बारे में माना जाता है यहां पर इनकी स्थापना सदियों पूर्व स्थानीय व्यक्ति को स्वप्न देवी के द्वारा व्यक्त की गई इच्छा के अनुसार की गई थी। मां कोकिला की मूर्ति को ढक कर रखा जाता है। मां के मंदिर से नीचे भूगर्भ से जल निकलता है। इस स्रोत का जल कभी भी नहीं घटता है। इस जल को गंगा जल जैसी ही मान्यता मिली है। लोग इस धारे से जल अपने घरों को ले जाते हैं।
खासियत
मां कोकिला मंदिर अपनी तमाम विशेषताओं के लिए जाना जाता है। मंदिर में न्याय की पुकार करने वालों को जहां न्याय मिलता है वहीं चैत्र और शारदीय नवरात्र में संतानहीन महिलाएं प्रज्ज्वलित कर हाथों में रखकर रात्रि जागरण कर संतान के लिए मनौती करती हैं तो मान्यता है कि उनकी मनोकामना पूरी होती है। यहां पर न्याय के लिए लोग स्टाम्प पेपर लगा कर न्याय की गुहार करते हैं।
यहां पर मान्यता है कि कई पुश्त पहले किए गए अन्यायपूर्ण निर्णयों की भी मां सुनवाई होती है और न्याय मिलता है। जिले भर के लोग जंगलों को अवैध कटान से बचाने के लिए पांच से 10 साल तक जंगल मंदिर को चढ़ा देते हैं। जिससे जंगल तक सुरक्षित रहते हैं। चैत्र और शारदीय नवरात्र पर मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है।
”कोकिला मां करोड़ों भक्तों की आस्था का केंद्र है। मां न्याय देने वाली देवी हैं। अन्याय से पीड़ित न्याय नहीं मिल पाने पर जब मां के दरबार में पहुंचता है तो मां उसे न्याय देती है। सच्चे मन से मंदिर में आने वालों की हर मनोकामना पूर्ण होती है।”
-गोविंद पाठक, मंदिर के पुजारी
जागरण संवाददाता, दैनिक जागरण, शनिवार, अप्रैल 10, 2022
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