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देवेन्द्र सती |
२६ जनवरी (गणतन्त्र दिवस)
(रचनाकार देवेन्द्र सती)
ऐ म्यर भारतीय बन्धु
ना हिन्दू बन ना मुसलमान
नी बन तू भ्रष्टाचार क गुलाम
बस तू बन एक भल इन्सान
यस क्वै कर करम
नी ओ तुकै क्वै शरम
इतु सुन्दर जीवन दिरो
हमूकें य अंग्रेज़ी फैशनल अंध कर हेलो
हमूले य जोश भरी जवानीक के क्ये समझों
य आजादी क क्यै मोल समझों
भारत मॉ तुकै सलाम
तिरंगा छु हमरि शान
भारत मॉक दुलार
हिन्दू मुस्लिम ने करो मारमार
भारत मॉ प्यार के नी बना इतु गैर
विक लिजी सब एक समान
सब मिलबै रवों यमई छ भारते शान
कै हिन्दू के मुसलमान
कै सिक्ख के ईसाई
हम सब छु भाई भाई
कतु बलिदान कतु कुरबानी
भारत मॉ शान आई कैले नी जाणी
ना हिन्दू बन ना मुसलमान
नी बन तू भ्रष्टाचार क गुलाम
बस तू बन एक भल इन्सान
यस क्वै कर करम
नी ओ तुकै क्वै शरम
इतु सुन्दर जीवन दिरो
हमूकें य अंग्रेज़ी फैशनल अंध कर हेलो
हमूले य जोश भरी जवानीक के क्ये समझों
य आजादी क क्यै मोल समझों
भारत मॉ तुकै सलाम
तिरंगा छु हमरि शान
भारत मॉक दुलार
हिन्दू मुस्लिम ने करो मारमार
भारत मॉ प्यार के नी बना इतु गैर
विक लिजी सब एक समान
सब मिलबै रवों यमई छ भारते शान
कै हिन्दू के मुसलमान
कै सिक्ख के ईसाई
हम सब छु भाई भाई
कतु बलिदान कतु कुरबानी
भारत मॉ शान आई कैले नी जाणी
गणतंत्र दिवस क भौत भौत हार्दिक शुभकामनॉओ सहित
कविता- देव सती, पपनैपुरी पाखुडा़
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