
--:हमरि जेड़ज (ताईजी):--
लेखिका: अरुण प्रभा पंत
लेखिका: अरुण प्रभा पंत
उम, च्यूड़, भांग ,सुखई दाढ़िमाक गुद,काकौड़ौक सुखी धुस,जामिर ,निम्मुऔक चूख, थापचिनी चावल, मडुऔक, चावलौक पिस्यू,गा घ्यू(गाय का घी) आपण हाथाक बणईं खजुर पुन्तुरन में भेजणी, घुघुंट मुंगुंट गाड़ि सिध पल्लैक खद्दरैक धोति (साड़ी) और आंगौड पैरी मेरि जेड़ज जौ स्नेही को है सकूं हो! इजा पोथा, चेला कै बेर हमौर पुठ पलाशणी, हमार ख्वारन हाथ धरणी हमरि जेड़ज जौ को हैसकूं।
हम सब भै-बैणिनकं एक समान मानणी हमर इज कं आपणि नान बैण जौ समझणी हमरि जेड़ज लै हमार जेठबौज्यूक पास पुजगेछन। पर उनौर स्नेह ममता ,हमन कं खाण खऊणैक हौस (चाव) हम कै (कह) नि सकना। झटपट खाण तंग्यार (तैयार) कर दिणी और चार आलुन (आलुओं) में लै स्वाद साग पकै दिणी हमर जेड़ज आब परलोक न्हैगे।
जब घर ऊलौ तो तुरंत पिसुऔक हलु दगै गरम चहा हमने कं को द्योल। झड़ पड़ी में कभै गरम पकौड़ि खऊणी कभै जुनाल भुटणी जेड़जा तु कांछै। तु हमरि 'ठुल इज' इजै भई, हमतुकं गौव (गला) भर बेर आंसुक त्वापनाक (बूंदों) दगै (साथ) याद करणयां।
जेड़जा तु निस्वार्थ आत्मा जांलै होली (होगी) आफि स्वर्ग बणै देली हम नि भुल सकना मरण जांलै।
हमर प्रणाम तुकों।।

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