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रुद्राक्ष (Elaeocarpus ganitrus)

रुद्राक्ष एक वनस्पति है, इस पर लगने वाला फल गोल आकार का जिसके अंदर से गुठली रूप में रुद्राक्ष होता Rudraksh seed having religious and medicinal values

रुद्राक्ष (Elaeocarpus ganitrus)

लेखक: शम्भू नौटियाल

रुद्राक्ष एक वनस्पति है, वनस्पतिशास्त्र में इसे इलियोकार्पस गेनिट्रस (Elaeocarpus ganitrus) कहते हैं। इसके पेड़ पर बेर जैसे फल लगते है। ये पेड़ हिमालय की तलहटी में पाए जाते है। रुद्राक्ष के प्रभाव से आसपास का संपूर्ण वातावरण शुद्ध हो जाता है। रुद्राक्ष के वृक्ष भारत समेत विश्व के अनेक देशों में पाए जाते हैं। यह भारत के पहाड़ी क्षेत्रों तथा मैदानी इलाकों में भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं।  रुद्राक्ष का पेड़ किसी अन्य वृक्ष की भांति ही होता है, इसके वृक्ष 50 से लेकर 200 फीट तक पाए जाते हैं तथा इसके पत्ते आकार में लंबे होते हैं।  रुद्राक्ष के फूलों का रंग सफेद होता है तथा इस पर लगने वाला फल गोल आकार का होता है जिसके अंदर से गुठली रूप में रुद्राक्ष होता है।

पकने के बाद गिर जाती है फली रुद्राक्ष का फल पकने के बाद खुद ही गिर जाते है। जब उसका आवरण हटता है तो एक उसमें से अमूल्य रुद्राक्ष निकलता है। रुद्राक्ष में धारियां सी बनी होती है जो इनके मुखों का निर्धारण करती हैं। रुद्राक्ष को अनेक प्रकार की महीन सफाई प्रक्रिया द्वारा उपयोग में लाने के लिए तैयार किया जाता है।/p>

भारत में यहां मिलता है रुद्राक्ष

रुद्राक्ष भारत, के हिमालय के प्रदेशों में पाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त असम, मध्य प्रदेश, उत्‍त्‍राखंड, अरुणांचल प्रदेश, बंगाल, हरिद्वार, गढ़वाल और देहरादून के जंगलों में पर्याप्त मात्र में यह रुद्राक्ष पाए जाते हैं। इसके अलावा दक्षिण भारत में नीलगिरि और मैसूर में तथा कर्नाटक में भी रुद्राक्ष के वृक्ष देखे जा सकते हैं। रामेश्वरम में भी रुद्राक्ष पाया जाता है। उत्तरकाशी के गंगोत्री और यमुनोत्री के क्षेत्र में भी रुद्राक्ष मिलते हैं।

विदेशों से किया जाता है आयात

नेपाल, इंडोनेशिया, मलेशिया आदि प्रमुख रूप से रुद्राक्ष के बहुत बड़े उत्पादक रहे हैं और भारत सबसे बडा़ ख़रीदार रहा है। नेपाल में पाए जाने वाले रुद्राक्ष आकार में काफी बडे़ होते हैं, लेकिन इंडोनेशिया और मलेशिया में पाए जाने वाले रुद्राक्ष आकार में छोटे होते हैं। भारत में रुद्राक्ष भारी मात्रा में नेपाल और इंडोनेशिया से मंगाए जाते हैं और रुद्राक्ष का कारोबार अरबों में होता है। सिक्के के आकार का रुद्राक्ष, जो ‘इलयोकैरपस जेनीट्रस’ प्रजाति का होता है, बेहद दुर्लभ होता जो नेपाल से प्राप्त होता है।

भद्राक्ष बेचते हैं रुद्राक्ष बताकर

रुद्राक्ष के समान ही एक अन्य फल होता है जिसे भद्राक्ष कहा जाता है और यह रुद्राक्ष के जैसा हो दिखाई देता है इसलिए कुछ लोग रुद्राक्ष के स्थान पर इसे भी नकली रुद्राक्ष के रूप में बेचते हैं। भद्राक्ष दिखता तो रुद्राक्ष की भांति ही है किंतु इसमें रुद्राक्ष जैसे गुण नहीं होते।

80 फीसदी रुद्राक्ष होते हैं फर्जी

माना जाता है कि भारत में बिकने वाले 80 फीसदी रुद्राक्ष फर्जी होते हैं और उन्हें तराश कर बनाया जाता है। इसलिए रुद्राक्ष को खरीदने से पहले इसके गुणवत्ता को देखना बेहद आवश्यक है। औषधीय और आध्यात्मिक गुणों के कारण सदियों से ऋषि-मुनि इसे धारण करते आए हैं।

आयुर्वेद ने रुद्राक्ष को बहुत गुणकारी माना है। इसमें लोहा, जस्ता, निकल, मैंगनीज, एल्यूमिनियम, फास्फोरस, कैल्शियम, कोबाल्ट, पोटैशियम, सोडियम, सिलिका, गंधक आदि तत्व मौजूद होते हैं। इस कारण ये लकड़ी का होने के बावजूद अपने भीतरी घनत्व के कारण पानी में डूब जाता है। रुद्राक्ष के दानों में गैसीय तत्व है। इसमें ताबा कोबाल्ट ताबा आयरन की मात्रा भी होती है। इसमें चुम्बकीय और विद्युत ऊर्जा से शरीर को रुद्राक्ष का अलग-अलग लाभ होता है।

रुद्राक्ष एक वनस्पति है, इस पर लगने वाला फल गोल आकार का जिसके अंदर से गुठली रूप में रुद्राक्ष होता Rudraksh seed having religious and medicinal values

रुद्राक्ष को शुद्ध जल में तीन घंटे रखकर उसका पानी किसी अन्य पात्र में निकालकर, पहले निकाले गए पानी को पीने से बेचैनी, घबराहट, मिचली व आंखों का जलन शांत हो जाता है। दो बूंद रुद्राक्ष का जल दोनों कानों में डालने से सिरदर्द में आराम मिलता है। रुद्राक्ष का जल हृदय रोग के लिए भी लाभकारी है। चरणामृत की तरह प्रतिदिन दो घूंट इस जल को पीने से शरीर स्वस्थ रहता है। इस प्रकार के अन्य बहुत से रोगों का उपचार आयुर्वेद में बताया गया है।

सेंट्रल काउंसिल ऑफ आयुर्वेदिक रिसर्च नई दिल्ली में 1966 में आयुर्वेदिक औषधि में प्रकाशित किया गया जिसमें रुद्राक्ष थैरेपी की चर्चा की गई थी। अस्सी के दशक में बनारस के इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने डॉ. एस. राय के नेतृत्व में रुद्राक्ष पर अध्ययन कर इसके विद्युत चुंबकीय, अर्धचुंबकीय तथा औषधीय गुणों को सही पाया।

वैज्ञानिकों ने माना है कि इसकी औषधीय क्षमता विद्युत चुंबकीय प्रभाव से पैदा होती है। रुद्राक्ष के विद्युत चुंबकीय क्षेत्र एवं तेज गति की कंपन आवृत्ति स्पंदन से वैज्ञानिक भी आश्चर्य चकित हैं। इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी फ्लोरिडा के वैज्ञानिक डॉ. डेविड ली ने अनुसंधान कर बताया कि रुद्राक्ष विद्युत ऊर्जा के आवेश को संचित करता है जिससे इसमें चुंबकीय गुण विकसित होताहै। इसे डाय इलेक्ट्रिक प्रापर्टी कहा गया। इसकी प्रकृति इलेक्ट्रोमैग्नेटिक व पैरामैग्नेटिक है एवं इसकी डायनामिक पोलेरिटी विशेषता अद्भुत है।

भारतीय वैज्ञानिक डॉ. एस.के. भट्टाचार्य ने 1975 में रुद्राक्ष के फार्माकोलॉजिकल गुणों का अध्ययन कर बताया कि कीमोफार्माकोलॉजिकल विशेषताओं के कारण यह हृदयरोग, रक्तचाप एवं कोलेस्ट्रॉल स्तर नियंत्रण में प्रभावशाली है। स्नायुतंत्र (नर्वस सिस्टम) पर भी यह प्रभाव डालता है एवं संभवत: न्यूरोट्रांसमीटर्स के प्रवाह को संतुलित करता है।

वैज्ञानिकों द्वारा इसका जैव-रासायनिक (बायो कैमिकल) विश्लेषण कर इसमें कोबाल्ट, जस्ता, निकल, लोहा, मैग्नीज़, फास्फोरस, एल्युमिनियम, कैल्शियम, सोडियम, पोटैशियम, सिलिका एवं गंधक तत्वों की उपस्थिति देखी गई। इन तत्वों की उपस्थिति से घनत्व बढ़ जाता है एवं इसी के फलस्वरूप पानीमें रखने पर यह डूब जाता है।

पानी में डूबने वाले रुद्राक्ष को असली माना जाता है, कुछ लोग यह भी मानते हैं कि दो तांबों के सिक्कों के मध्यरखने पर यदि इसमें कंपन होता है, तो यह असली है। असल में इस कंपन का कारण विद्युत चुंबकीय गुण तथा डायनामिक पोलेरिटी हो सकता है। जैव वैज्ञानिकों ने रुद्राक्ष में जीवाणु (बैक्टीरिया), विषाणु (वायरस), फफूंद(फंगाई) प्रतिरोधी गुणों को पाया है। कुछ कैंसर प्रतिरोधी क्षमता का आकलन भी किया गया है।

चीन में हुए खोज कार्य दर्शाते हैं कि रुद्राक्ष यिन-यांग एनर्जी का संतुलन बनाए रखने में कारगर है। दुनियाभर के वैज्ञानिक रुद्राक्ष के इतने सारे गुणों को एक साथ देखकर आश्चर्यचकित हैं।

रुद्राक्ष के विभिन्न प्रकार

रुद्राक्ष की अलग-अलग किस्मों के लाभ भी अलग होते है। यहां प्रस्तुत है रुद्राक्ष के प्रमुख प्रकार और उनके फायदे:
एकमुखी रुद्राक्ष: यह आंख, नाक, कान और गले की बीमारियों को दूर करने में सहायक होता है।
द्विमुखी रुद्राक्ष: यह मस्तिष्क की शांति, धैर्य और सामाजिक प्रतिष्ठा की वृद्धि में सहायक होता है। साथ ही इसे धारण करने से पाचन तंत्र संबंधी समस्याएं भी काफी हद तक दूर हो जाती है।
पंचमुखी रुद्राक्ष: यह पंच ब्रह्म तत्व का प्रतीक है। यह युवाओं के जीवन को सही दिशा देता है। इससे धन और मान-सम्मान में वृद्धि होती है और यह उच्च रक्तचाप को भी नियंत्रित करता है।
सप्तमुखी रुद्राक्ष: माना जाता है कि इसे धारण करने से आंखों की दृष्टि में वृद्धि होती है।

अध्ययन में ये रुद्राक्ष पाए गए नकली

रुद्राक्ष की भारत में कुल 33 प्रजातियां हैं। बाजार में बेचे जा रहे तीन मुखी से नीचे और सात मुखी से ऊपर के अधिकतर रुद्राक्ष नकली हैं। चार, पांच और छह मुखी रुद्राक्ष 95 फीसदी तक सही पाए गए हैं। रुद्राक्ष बाजार में एक रुपए से लेकर 30 हजार रुपए तक की कीमत में बेचे जा रहे हैं।

रुद्राक्ष एक वनस्पति है, इस पर लगने वाला फल गोल आकार का जिसके अंदर से गुठली रूप में रुद्राक्ष होता Rudraksh seed having religious and medicinal values

ये हैं रुद्राक्ष की असली और नकली प्रजातियां

वैज्ञानिकों ने इलेइओकार्पस गैनीट्रस प्रजाति को शुद्ध रुद्राक्ष माना है। जबकि इलेइओकार्पस लेकुनोसस को नकली प्रजाति माना गया है।
प्लास्टिक और फाइबर का रुद्राक्ष भी बिक रहा है
बाजार में प्लास्टिक और फाइबर के रुद्राक्ष धड़ल्ले से बिक रहे हैं। लकड़ी को रुद्राक्ष का आकार देकर या फिर टूटे रुद्राक्षों को जोड़कर भी नया रुद्राक्ष बनाने का धंधा चल रहा है।/p>

ऐसे पहचानें रुद्राक्ष और भद्राक्ष का अंतर

1. असली रुद्राक्ष के फल में प्राकृतिक रूप से छेद होते हैं। जबकि भद्राक्ष में छेद कर इसे रुद्राक्ष के तौर पर पेश किया जाता है।
2. रुद्राक्ष की पत्तियां आरी के दांत जैसे होते हैं जबकि भद्राक्ष की पत्तियों का सिरा गोलाकार होता है।
3. असली रुद्राक्ष को यदि सरसों के तेल में डुबाया जाए तो यह रंग नहीं छोड़ता। नकली रुद्राक्ष रंग छोड़ सकता है।
4. पानी में डुबाने पर रुद्राक्ष डूब जाएगा, जबकि नकली डूबेगा नहीं।


रुद्राक्ष स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक माना गया है

आयुर्वेद में रुद्राक्ष को महान औषधि संजीवनि कहा है। रुद्राक्ष स्वास्थ्य लाभ के लिए अनेक प्रकार से उपयोग किया जा सकता है।
त्रिदोषों से मुक्ति हेतु (Rudraksha gives relief from three basic health ailments)
वात, पित्त और कफ त्रिदोष हैं इनका असंतुलन स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। अत: शरीर में इनका संतुलन बेहद आवश्यक है। इसलिए इन दोषों से मुक्ति हेतु रुद्राक्ष धारण किया जा सकता है। त्रिदोषों के शमन के लिए रुद्राक्ष का उपयोग बेहद लाभदायक है। रुद्राक्ष को घीस कर पीने से कफ से उत्पन्न रोगों का शमन होता है।
रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक Rudraksha helps to control blood pressure
रुद्राक्ष के रक्तचाप को सामान्य बनाने के लिए भी बहुत लाभदायक होता है। इसमे इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक फिल्ड होने के कारण यह शरीर में रक्तका संचार व्यवस्थित करता है। मान्यता है कि इसे धारण करने से मन को शांति मिलती है क्योंकि यह शरीर की गर्मी को अपने में खींचकर उसे बाहर कर देता है। दोमुखी रुद्राक्ष की भस्म को स्वर्णमाच्छिक भस्म के साथ बराबर मात्रा में एक रत्ती सुबह-शाम हाई ब्लडप्रेशर के रोगी को दूध के साथ सेवन कराई जाए तो यह फ़ायदेमंद होती है।

हृदय रोगों से बचाव के लिए (Rudraksha protects from heart diseases)
रुद्राक्ष द्वारा आप रक्त चाप को सामान्य रख सकते हैं तथा ह्रदय संबंधि रोगों से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं. रुद्राक्ष को कंठ में इस प्रकार धारण करें कि उसका स्पर्श आपके हृदय स्थल का स्पर्श कर सके। इसके अलावा कृतिका नक्षत्र समय या रविवार के दिन पांच मुखी रुद्राक्ष को तांबे के कलश में जल भरकर डाल दें तथा अगले दिन खाली पेट इस जल का सेवन करें ऐसा नियमित रुप से करते रहें इससे हृदय संबंधी समस्याओं से निजात प्राप्त होगा।
खसरा (मिजल्स) से बचाव हेतु Rudraksha protects from Measles

रुद्राक्ष का उपयोग चेचक की बिमारी के लिए भी किया जाता है। खसरा होने पर रुद्राक्ष घिसकर चाटने से आराम मिलता है।
स्मरण शक्ति को तेज करता है Rudraksha helps to increase the memory power
रुद्राक्ष स्मरण शक्ति को तेज करता है तथा यादाशत मजबूत बनाता है. चार मुखी रुद्रा़ का उपयोग करने से मंद बुद्धि, क्षीण स्मरण शक्ति एवं कमजोर वाक शक्ति मजबूत होती है।
चर्म रोगों को दूर करे Rudraksha to remove skin diseases
रुद्राक्ष के कुछ दाने ताँबे के बर्तन में पानी डालकर भिगोकर यह रुद्राक्ष जल सुबह खाली पेट ग्रहण करने से विभिन्न चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है। तीन मुखी रुद्राक्ष को घिस कर इसका लेप नाभि पर लगाने से धातु रोग दूर होता है. इसके अतिरिक्त नौ मुखी रुद्राक्ष की भस्म को तुलसी के पत्तों के साथ मिलाकर घाव पर लगाने से घाव जल्दी भर जाता है।
रुद्राक्ष को नीम के पत्तों के साथ मिलाकर चूर्ण बना लें इस चूर्ण को लेप की तरह खुजली वाले स्थान पर लगाएँ फायदा होगा.

रुद्राक्ष एक वनस्पति है, इस पर लगने वाला फल गोल आकार का जिसके अंदर से गुठली रूप में रुद्राक्ष होता Rudraksh seed having religious and medicinal values

रुद्राक्ष सौंदर्यवर्धक Rudraksha to enhance beauty

त्वचा में कांति एवं निखार लाने हेतु भी रुद्राक्ष बहुत फ़ायदेमंद होता है। रुद्राक्ष को चंदन में पिस कर उबटन की तरह चेहरे पर लगाने से चेहरा मुलायम एवं निखार से भर जाता है. इस उबटन को पूरे शरीर पर लगाने से तन की दुर्गंध भी दूर हो जाती है। इसके अलावा रुद्राक्ष को बादाम और गुलाब जल के साथ मिलाकर भी उबटन रुप में उपयुक्त किया जा सकता है।

शरीर के दर्द को दूर करता है Rudraksha gives relief from body pains

शरीर में होने वाले दर्दों जैसे गठिया की समस्या या जोडों का दर्द या फिर शरीर में किसी अंग पर सूजन आ जाने पर रुद्राक्ष द्वारा उपचार करने से बहुत लाभ मिलता है। रुद्राक्ष को पीस कर उसे सरसों के तेल के साथ मिलाकर मालिश करने से दर्द और सूजन में आराम मिलता है।

सर्दी जुकाम और खांसी को दूर करता है Rudraksha helsp to treat cold and cough

रुद्राक्ष को तुलसी के साथ मिलाकर चूर्ण की तरह बना लें और इस चूर्ण को शहद के साथ नियमित रुप से खाली पेट सेवन करें लाभ होगा।

तनाव दूर करने में सहायक Rudrakshs helps to reduce stress

रुद्राक्ष को को गाय के दूध में उबालकर पीने से. मानसिक रोग दूर होते हैं तथा शांति प्राप्त होती है। रुद्राक्ष को चंदन में मिलाकर इसका लेप मस्तिष्क पर लगाने से सिर दर्द से राहत मिलती है तथा स्नायु रोग दूर होते हैं।

रुद्राक्ष के अन्य उपचार (Rudraksha and other treatments)

रुद्राक्ष स्त्री संबंधी रोग, त्वचा रोग तथा उदर संबंधी रोगों, गुर्दा, फेफड़े एवं पाचन क्रिया से संबंधी विकारों, मानसिक रोग, पक्षाघात, पीत, ज्वर, दमा-श्वास, यौन विकार आदि रोगों में शांति के लिलाभदायक होता है। मंदबुद्धि बच्चों के लिए तथा जिनकी वाक् शक्ति कमजोर हो उनके फायदेकारक है। यह मधुमेह, नेत्र रोग, दृष्टि दोष, लकवा, अस्थिदुर्बलता तथा मिरगी आदि रोगों के शमन के लिए फायदेमंद है। हिस्टीरिया, अपस्मार दमा, गठिया, जलोदर, मंदाग्नि, कुष्ठ रोग, हैजा, अतिसार, में बहुत लाभदायक हैं।


श्री शम्भू नौटियाल जी के फेसबुक पोस्ट से साभार
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