
घृतकुमारी, ग्वारपाठा या ऐलोवेरा (Aloe Vera)
लेखक: शम्भू नौटियाल
घृतकुमारी, ऐलोवेरा (Aloe Vera) या ग्वारपाठा; वानस्पतिक नाम Aloe vera (Linn.) Burm.f.; Syn.Aloe barbadensis Mill. है। यह पादप कुल ऐस्फोडिलसी (Asphodelaceae) से संबंधित है। इसका उत्पत्ति स्थान उत्तरी अफ्रीका माना जाता है। हिन्दी में इसे घीकुआँर, ग्वारपाठा या घीग्वार, संस्कृत में कुमारी, गृहकन्या, कन्या, घृतकुमारी तथा अग्रेंजी में एलो वेरा (Aloe vera), कॉमन एलो (Common aloe), बारबडोस एलो (Barbados aloe), मुसब्बार (Musabbar), कॉमन इण्डियन एलो (Common Indian aloe) कहते हैं। घृतकुमारी सभी स्थानों पर पूरे वर्ष सुगमता से मिलता है। इसके गूदे में लौह, कैल्शियम, पोटैशियम एवं मैग्नीशियम पाया जाता है।
यह कांटेदार पत्तियों वाला पौधा है जिसमें रोग निवारण के गुण भरे हुए होते हैं। इसे साइलेंट हीलर या चमत्कारी औषधि तथा ओषधी की दुनिया में इसे संजीवनी की संज्ञा भी दी गई हैं। रामायण, बाइबिल और वेदों में भी इस अनमोल पौधे के गुणों का वर्णन है। भारत के कई ग्रंथों जैसे कि अमरकोष, भावप्रकाश आदि में घृतकुमारी का वर्णन है। स्थान एवं अलग अलग देशों में एलोवेरा की 200 से भी अधिक प्रजातियां हैं लेकिन इनमें से 5 प्रजातियां हीं हमारे स्वास्थ्य के लिए सर्वाधिक लाभकारी होती हैं। जिन्हें विभिन्न प्रकार की बीमारियों के उपचार में आयुर्वेदिक एंव यूनानी पद्धति में प्रयोग किया जाता है; जैसे पेट के कीड़ों, पेट दर्द, वात विकार, चर्म रोग, जलने पर, नेत्र रोग, चेहरे की चमक बढ़ाने वाली त्वचा क्रीम, शेम्पू एवं सौन्दर्य प्रसाधन तथा सामान्य शक्तिवर्धक टॉनिक के रूप में यह उपयोगी है।

इसके अलावा एलोवेरा को रक्त शोधक, पाचन क्रिया के लिए बहुत ज्यादा गुणकारी माना जाता है। आज के समय में इसकी बढ़ती मांग की वजह से लोग व्यावसायिक रूप से इसकी खेती को अपना रहे हैं, तथा समुचित लाभ प्राप्त कर रहे हैं। एलोवेरा के पौधे की सामान्य उंचाई 60-90 सेमी. होती है। इसके पत्तों की लंबाई 30-45 सेमी. तथा चौड़ाई 2.5 से 7.5 सेमी. और मोटाई 1.25 सेमी. के लगभग होती है। एलोवेरा में जड़ के ऊपर जो तना होता है उसके उपर से पत्ते निकलते हैं, शुरूआत में पत्ते सफेद रंग के होते हैं। एलोवेरा के पत्ते आगे से नुकीले एवं किनारों पर कटीले होते हैं। इसकी खेती किसी भी प्रकार की भूमि में की जा सकती है। इसे चट्टानी, पथरीली, रेतीली भूमि में भी उगाया जा सकता है, किन्तु जलमग्न भूमि में नहीं उगाया जा सकता है। बलुई दोमट भूमि जिसका पी.एच. मान 6.5 से 8.0 के मध्य हो उपयुक्त है। इसके लिए न तो अधिक पानी व न ही अधिक समय तक प्रकाश की आवश्यकता होती। साथ ही एलोवेरा के पौधों को अवारा जानवरों का खतरा भी नहीं होता है।
औषधीय गुणों के दृष्टिगत दवाई कंपनियों से लेकर कास्मेटिक उत्पाद और face pack बनाने वाली कम्पनियाँ इसकी खरीद बड़े मात्रा में करती है। मार्केट में एलोवेरा की डिमांड को देखते हुए एलोवेरा की खेती करना बहुत ही फायदेमंद है और इस व्यापार में बहुत ज्यादा लागत भी नहीं आती है। इसकी खेती का मुख्य लाभ यह है कि इसके लिए कम पानी और रखरखाव की जरूरत होती है।


एलोवेरा के अनेकों फायदे:
*एलोवेरा मुंह के छाले, कब्ज, त्वचारोगों सहित बहुत से रोगों के उपचार के लिए अत्यंत गुणकारी औषधि है।
*आग से शरीर का कोई अंग जल या झुलस गया हो तो आप एलोवेरा का गूदा उस जगह पर लगाएं, आपको जलन से राहत मिलेगी और घाव भी जल्दी ठीक होगा।
*घृतकुमारी के गूदे में थोड़ी मात्रा में दारु हल्दी (दारुहरिद्रा) का चूर्ण मिलाकर इसे गर्म करके दर्द वाले स्थान पर बांधने से वात और कफ से होने वाले सिरदर्द में लाभ होता है।
*घृतकुमारी का गूदा आंखों में लगाने से आंखों की लाली मिटती है, गर्मी दूर होती है। यह विषाणु से होने वाले आखों के सूजन (वायरल कंजक्टीवाइटिस) में लाभप्रद होता है।
*घृतकुमारी के रस को हल्का गर्म करके अगर कान में दर्द हो रहा हो, उसके दूसरी तरफ के कान में दो-दो बूंद टपकाने से कानों के दर्द में आराम मिलता है।
*घृतकुमारी का गूदा और सेंधा नमक लेकर दोनों का भस्म तैयार कर इस भस्म का 5 ग्राम की मात्रा में मुनक्का के साथ सुबह-शाम सेवन करने से पुरानी खांसी तथा जुकाम में लाभ होता है।
*घृतकुमारी की 10-20 ग्राम जड़ को उबालकर, इसे छानकर इसमें भुनी हुई हींग मिलाकर पीने से पेट दर्द में आराम मिलता है।
*10-20 मिलीग्राम घृतकुमारी या एलोवेरा के रस में 2-3 ग्राम हल्दी चूर्ण मिलाकर सेवन करने से अपच में लाभ होता है।
*पीलिया रोग से ग्रसित व्यक्ति के लिए एलोवेरा एक रामबाण औषधि है। 15 ग्राम एलोवेरा का रस सुबह शाम पीने से इस रोग में फायदा मिलेगा।
*मूत्र संबंधी रोग हो या गुर्दों की समस्या हो तो एलोवेरा आपको फायदा पहुंचाता है। एलोवेरा का गूदा या रस का सेवन करें। एलोवेरा के 5-10 ग्राम ताजे गूदे में चीनी मिलाकर खाने से पेशाब करने में हो रही तकलीफ और पेशाब के समय होने वाली जलन में आराम मिलता है।
*डायबिटीज की समस्या हेतु 10 ग्राम एलोवेरा के रस में 10 ग्राम करेले का रस मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से डायबिटीज से मुक्ति मिलती है। 20 ग्राम आंवले के रस में 10 ग्राम एलोवेरा के गूदे को मिलाकर प्रतिदिन सुबह सेवन करने से शुगर की बीमारी में राहत पहुँचाता है।
*बवासीर में यदि खून ज्यादा बहता हो तो एलोवेरा के पत्तों का सेवन 25-25 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम करते हैं व बवासीर के मस्से खत्म करने के लिए एलोवेरा के गूदे में नीम की पत्तियों को जलाकर उसका राख मिलाकर और इस पेस्ट को मलद्वार पर बांधते हैं।
*एलोवेरा के 10 ग्राम गूदे पर 500 मिलीग्राम पलाश का क्षार बुरक कर दिन में दो बार सेवन करने से मासिक धर्म की परेशानियां दूर होती हैं।
*चेचक से होने वाले घावों पर एलोवेरा के गूदे का लेप करने से लाभ होता है।
*एलोवेरा के कोमल गूदे को नियमित रूप से 10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम खाने से गठिया में लाभ होता है।
*गेंहू का आटा, घी और एलोवेरा का गूदा (एलोवेरा का गूदा इतना हो जो आटे को गूंथने के लिए काफी हो) लेकर आटा गूंथ लें। इससे रोटी बनाएं और फिर उसका चूर्ण बनाकर लड्डू बना लें। प्रतिदिन 1-2 लड्डू को खाने से कमर दर्द ठीक होता है।
*फोड़ा ठीक से पक न रहा हो तो एलोवेरा के गूदें में थोड़ा सज्जीक्षार तथा हरड़ चूर्ण मिलाकर घाव पर बांधने से फोड़ा जल्दी पक कर फूट जाता है।
*घृतकुमारी का गूदा घावों को भरने के लिए सबसे उपयुक्त औषधि है। रेडियेशन के कारण हुए असाध्य घावों पर इसके प्रयोग से बहुत ही अच्छा फायदा मिलता है।
*एलोवेरा के पत्ते को एक तरफ से छीलकर चर्मकील (चर्म रोग) पर बताए गए तरीके से बांधने से चर्मकील (चर्म रोग) ठीक हो जाता है।
*एलोवेरा का रस सनस्क्रीन का काम करता है। धूप में निकलने से पहले एलोवेरा का रस अच्छी तरह से अपनी त्वचा पर लगाने से सूरज की हानिकारक किरणें त्वचा को नुकसान नहीं पहुंचा पातीं।
*रोज सुबह एलोवेरा जैल की मालिश करने सै स्ट्रेच मार्क को कम करता है। एलोवेरा के जैल को त्वचा पर लगाने से एक्जिमा, पिंपल और सिरोसिस की समस्या भी दूर होती है। एलोवेरा का गूदा चेहरे पर लगाने से चेहरा सुंदर और चमकदार बन जाता है।
*एलोवेरा शरीर में रक्त की मात्रा बढ़ाता है और साथ ही रक्त प्रवाह को भी सुचारू बनाये रखने में मदद करता है। एलोवेरा हाई ब्लड प्रेशर को सामान्य करता है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा कम होता है।
*फटी हुई एड़ियों पर एलोवेरा लगाने से वह बहुत जल्दी ठीक हो जाती हैं।
*एलोवेरा का रस मेहंदी में मिलाकर बालों में लगाने से बाल चमकदार और स्वस्थ होते हैं और सरसों के तेल में एलोवेरा के रस को मिलाकर सिर को धोनें से पहले लगाने से बालों में काफी चमक आती है।
*इसका गूदा या जैल निकालकर बालों की जड़ों में लगाने से बाल काले, घने-लंबे एवं गंजेपन को दूर किया जा सकता है।
*रोगों के साथ सौंदर्य निखार में एलोविरा सबसे आगे है वर्तमान बाजार में एलोविरा के हजारो प्रोडक्ट उपलब्ध है जिसमे एलोविरा जैल, बॉडी लोशन, हेयर जैल, स्किन जैल, शैंपू, साबुन, फेशियल फोम, ब्यूटी क्रीम आदि हैं।
*एलोवेरा की जड़ से निर्मित 10-20 मिलीग्राम काढ़े को दिन में तीन बार पिलाने से बुखार ठीक होता है।
एलोवेरा का जूस: इसके सेवन करने से शरीर में होने वाले पोषक तत्वों की कमी को भीं पूरा किया जा सकता है। इसे पीने से शरीर की प्रतिरक्षा क्षमता भी बढ़ जाती है। एलोवेरा के कांटेदार पत्तियों को छीलकर रस निकाला जाता है। और फिर 3 से 4 चम्मच रस सुबह खाली पेट लेने से दिन-भर शरीर में चुस्ती व स्फूर्ति बनी रहती है। एलोवेरा जूस में प्रचुर मात्रा में पाचक तत्व विद्यमान होते हैं। और इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण यह पेट के रोगो में बहुत ज्यादा फायदा करता है। एलोवेरा जूस के नियमित सेवन से कब्ज की समस्या भी दूर हो जाती है। और एलोवेरा जूस एक अच्छा डिटॉक्सीफिकेशन करने वाला पेय भी है। नियमित रूप से एलोवेरा का जूस पीने से बढ़ा हुआ वजन एकदम कम होने लगता है। और इसे पीने से बार-बार खाने की आदत भी दूर हो जाती है और पाचन क्रिया भी एकदम दुरूस्त रहती है। एलोवेरा जूस में कई पोषक तत्व होते है जो की शरीर को कमजोर नहीं होने देते है।
*(नोट: एलोवेरा का जरूरत से ज्यादा सेवन करना भी सेहत के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। बेहतर है कि डाक्टर से सलाह ली जाये। गर्भवती महिलाओं और पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिये घृतकुमारी-एलोविरा के आन्तरिक सेवन करने की सख्त मनाही है।)

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