
पहाड़ में शराब क् क्वीण.....
(रचनाकार: दिनेश कांडपाल)
कतुकै तुम जतन करो धरना और उपवास,
शराब बेचणीं फैक्टरी सब नेता ज्यू क छैं खास।
सब नेताज्यू क छैं खास ठुलि ठुलि बात बतौनी,
मीटिंगं क् बाद बोतल भरि भरि सब्बै चढ़कौनी।
क्लास फैलो हबै ठुल हैगो ग्लास फैलो व्यवहार,
जो बोतल हबै दूर छन उनार न्है आब यार।
सांझपड़ि धूपबत्ति भुला पउवक लागौ निसास्,
सैणि जेंवर गिरबि छू कपाड़ नहांति ननां पास।
सरकार ल लै भलि करि गौं-गौं जतुक दुकान,
पैली सुरा क बोतल गछीं आब पौन्टीक सामान।
पूज पाठूंक लै जोर है रौ घर घर वेद पुराण,
काम काज कस्सै करो बस .बोतल देलि तरांण।
@दिनेश कांडपाल

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