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हरियालीक छू यौं त्यौहार

कुमाऊँनी कविता, हरी भरी धरती मां, श्रौणक महिन भयो, हरियालीक छू यौं त्यौहार।

हरियालीक छू यौं त्यौहार
रचनाकार: दीपाली सुयाल

हरी भरी धरती मां
हरियालीक छू यौं त्यौहार

श्रौणक महिन भयो
आशीषोक लागी रै बौछार
पूरी लगड़ बनें
बजी घंटी संखो की आवाज़
जौं तिल धान बटी
सतनज भयी अनाज
दस दिन सैत बटी
बनों यौं त्यौहार

चेली बेटिक आशाऊक
इज के लैं रो निशाश
यौं कोरोनान तिविन
सब करी हल बेकार
खेतो मां हरी फ़सल
लगी रौ यौं चौंमास
जी रया ,जाग रया
भेंटने रया बारम्बार
अपण यौं घर द्वार..।।

हरेला पर्व की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं 
🌻🌺🌼🌻🌺🌼🌺🌺🌱🌿🌱🌱
दीपाली सुयाल-Dsuyal, 16-07-2020
उत्तराखंड रामनगर

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