
आज की पहाड़ी रेसिपी "तिमुल की सब्जी"
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दोस्त्तो, वैसे तो हमारे पहाड़ (उत्तराखण्ड) में बहुत सारे बेस्किमती जंगली फल-फूल भौत ज्यादा मात्रा में मिलते हैं।
आज हम उनमें से ही एक जंगली फल तिमुल की बात करते हैं जिसको पहाड़ में प्राचीन समय से बूढ़े बुजुर्गों द्वारा खान पान में शामिल किया गया है। जो कि अब विलुप्ति की कगार पर है।
तिमुल की सब्जी बनाने की परम्परागत विधि:
👉सबसे पहले तिमुल के कच्चे दानों को तोड़कर लाया जाता है। फिर उन्हें लोहे के भद्याव(कड़ाई) में पानी में राख मिलाकर उम्बाला जाता है, राख मिलाने से उसका बाहरी जरेल पन अच्छी तरह निकल जाता है। उबल जाने के बाद उन्हें साफ़ पानी से धोकर, आलू की तरह टुकड़ों में काटा जाता है ! फिर कढ़ाई में सरसों का तेल डालकर इन्हें अन्य सब्जियों की तरह फ्राई करते हुए पकाया जाता है, इसमें सरसों के दाने या कच्चे भांग के बीजों को हल्का पानी के साथ पीसकर भी डाला जाता हैं, बांकी नमक, मिर्च, हल्दी स्वादानुसार ! इसे आप सुखा भी बना सकते हैं और थोड़ी तरी के साथ भी।
ये तो था परम्परागत तरीका, अब अगर आधुनिक तरीके की बात करें तो आप प्याज, लहसून, टमाटर की ग्रेवी बनाकर, अपने हिसाब से मसाले डालकर भी बना सकते हैं उंबालने और पकाने का तरीका वैसे ही रहेगा तो बढ़िया रहेगा।
अन्य जानकारियां:
👉 अल्मोड़ा से Jyotsana Pradhan Khatri जी के अनुसार - "तिमुल का अचार भी बनता है जिसको बनाने की विधि कुछ इस प्रकार से है :-
"कच्चे तिमलों को पहले धोकर उबालते हैं हल्का सा जिससे उसका चिपचिपापन जो दूध की वजह से होता है, वो दूर हो जाये....
फिर निथार कर और पोंछकर थोड़ा सूखा लेते हैं...
फिर चार टुकड़ों में काटकर थोड़ी धूप दिखाकर...
मसाले मिलाकर रख लो....
विधि वैसी ही है जो आम के अचार की है...
आम वाले मसाले कलौंजी को छोड़कर...
बाकि नमक मिर्च स्वादानुसार...
कुछ दिन एयर टाईट डिब्बे में रखकर धूप में रखने के बाद इस्तेमाल कर सकते हैं...
हो सकता है और भी विधियां हो मसाले की...
राई भी मिलाते हैं जिससे थोड़ा खट्टापन आ जाये...!"
👉अल्मोड़ा से ही श्री Biren Joshi जी के अनुसार - तिमुल का रायता भी बनता है जिसकी विधि कुछ इस प्रकार से है :-
"कच्चे तिमुल को राख में उबालने के बाद साफ़ पानी से धोकर सिलबट्टे या मिक्सी में पीसकर ककड़ी की ही तरह दही में मिलाने के बाद उसमें मसाले डाल दें, पीसी हुई राई डालें, राई रात की पीसी हुई हो तो जायका और ज्यादा बढ़ जाता है !"
👉 Bhuwan Chander Tewari जी के अनुसार तिमुल का हलवा भी बनता है जिसकी विधि कुछ इस प्रकार है :-
कच्चे तिमुल को राख में उबालने के बाद साफ़ पानी से धोकर सिलबट्टे में पीसकर इसे अन्य हलवे की तरह ही बनाया जाता है।

तिमुल से जुडी महत्वपूर्ण जानकारियां:👉👉
- हमारे पहाड़ में तिमुल दो प्रकार का होता है काचण तिमुल और पाकण तिमुल, सब्जी के लिये पाकण तिमुल का प्रयोग किया जाता है काचण तिमुल में कीड़े ज्यादा होते हैं।
- ये तिमुल अन्य राज्यों में होने वाले अंजीर, गुलर का पारिवारिक सदस्य है इनमें कुछ कुछ समानताएं भी होती हैं, जिसके कारण कुछ लोग इन्हें एक ही मानते हैं, लेकिन है ये अलग अलग।
- तिमुल को पेड़ पर ही पकने के बाद भी तोड़ कर फल की तरह खाया जाता है इसके अन्दर के हिस्से में शहद की तरह से तरल निकलता है जो काफी स्वादिष्ट और शीतल होता है।
अंत में इतना ही कि, दोस्तों आपके पास भी तिमुल से जुडी हुई अन्य जानकारियां या कोई रेसिपी वगैरा हैं तो कृपया अवगत करायें, हमारा प्रयास अपने पहाड़ी खान पान को संजोये रखना है जो हम इस पेज के माध्यम से कर रहे हैं।
आपका योगदान बहुत जरुरी है।
🙏धन्यवाद 🙏
टीम एडमिन सदस्य Gopu Bisht
फेसबुक पेज Pahadi Bagas-पहाड़ी बगस से साभार
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