
राजमा (Kidney Beans)
लेखक: शम्भू नौटियालराजमा (किडनी बीन्स) वानस्पतिक नाम फैजियोलस बल्गेरिस (Phaseolus vulgaris L.) वानस्पतिक कुल फैबेसी (Fabaceae) या लैग्युमिनेसी (Leguminoceae) से संबंधित है। राजमा का उत्पति स्थल अमेरिका माना जाता है। उष्ण कटिबंधीय अफ्रीका, यूरोप और अमेरिका के भागों में यह एक महत्वपूर्ण दलहनी फसल है। इसे उष्ण कटिबंधी भारत तथा एशिया के अन्य देशों में भी उगाया जाता है। भारत में इसे उत्तराखण्ड के पर्वतीय भागों, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक के कुछ भाग तथा तमिलनाडु व आन्ध्रप्रदेश में उगाया जाता है। इसके सूखे दानों को दाल के रूप में तथा तल कर खाया जाता है। इसमें प्रोटीन की मात्रा 21 प्रतिशत होता है।
हर्षिल, जोशीमठ, चकराता एवं मुन्स्यारी की राजमा स्वादिष्ट होने के कारण काफी प्रसिद्ध है। यह पर्वतीय राजमा अपने स्वाद के चलते विशेष पहचान रखती है। मैदानी क्षेत्रों में पैदा होने वाली राजमा से आकार में कुछ बड़ी सीमांत की राजमा पूरी तरह जैविक तरीके से उत्पादित की जाती है। इसके उत्पादन में किसी तरह की रासायनिक खाद का उपयोग नहीं होता है। हिमालयी क्षेत्र में उत्पादित यह राजमा पौष्टिक गुणों से भरपूर होती है। इन्हीं गुणों के चलते पूरे उत्तर भारत में इसकी मांग रहती है, हालांकि मांग की तुलना में उत्पादन सीमित है।

सभी तरह की पहाड़ी राजमा की दाल आसानी से गलने वाली व स्वाद में उत्तम होती है। पौष्टिकता में भरपूर राजमा प्रोटीन व रेशे का बड़ा स्रोत है। राजमा की तासीर ठण्ड मानी जाती है इस लिए लहसून, प्याज एवं गर्म मसाले इस्तेमाल करते हैं। इसके पौधे सहारे से चढ़ने वाले बेल तथा झाड़ीनुमा होते है। जिसमें अच्छी तरह विकसित मूसला जड़ होती है। बीज का आकार अधिकतर आयताकार या गुर्दे के आकार का होता है। आजकल पूरे देश में शाकाहारी भोजन में राजमा का चलन बढ़ता जा रहा है। राजमा एक ओर जहां खाने में स्वादिष्ठ और स्वास्थ्यवर्धक है, वहीं दूसरी ओर मुनाफे के लिहाज से किसानों के लिए बहुत अच्छी दलहनी फसल है, जो मिट्टी की बिगड़ती हुई सेहत को भी कुछ हद तक सुधारने में मदद करती है। इस के दानों का बाजार मूल्य दूसरी दलहनी फसलों की मुकाबले कई गुना ज्यादा होता है।
राजमा की खेती परंपरागत ढंग से देश के पहाड़ी क्षेत्रों में की जाती है, पर इस फसल की नवीनतम प्रजातियों के विकास के बाद इसे उत्तरी भारत के मैदानी भागों में भी सफलतापूर्वक उगाया जाने लगा है। थोड़ी जानकारी व सावधानी इस फसल में रखना महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यह फसल जहां एक ओर दूसरी दलहनी फसलों के बजाय सर्दियों के प्रति अधिक संवेदी है, तो वहीं दूसरी ओर इस की जड़ों में नाइट्रोजन एकत्रीकरण की क्षमता भी कम पाई जाती है। मैदानी क्षेत्रों में यह रबी की फसलों के साथ जबकी पर्वतीय क्षेत्रों में यह खरीफ की फसलों के साथ उगायी जाती है।
राजमा में बहुत से पोषक पदार्थ भी होते हैं। 100 ग्राम राजमा में 333 कैलोरी, पोटेशियम 14 ग्राम, कार्बोहाइड्रेट 60 ग्राम, डाइटरी फाइबर 25 ग्राम, प्रोटीन 24 ग्राम, कैल्शियम 14%, विटामिन C 7%, विटामिन B-6 20%, मैग्निशियम 35%, आयरन (लोहा) 45% होता है। इस तरह राजमा स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होता है। म्यांमार, भारत, ब्राजील, चीन मैक्सिको सबसे अधिक राजमा उत्पादन करने वाले देश हैं। इसकी मांग बाजार में बहुत अधिक है इसलिए इसका मूल्य भी अधिक होता है। राजमा की खेती उत्तराखण्ड में बहुतायात से नकदी फसल के रूप में की जाती है।
उत्तराखण्ड में लगभग 4000 हैक्टेयर में 6.73 कुन्तल प्रति हैक्टेयर की दर से राजमा का उत्पादन किया जाता है। जैविक बाजार में पहाड़ी राजमा की बहुत अधिक मांग है। मध्य ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सहवर्ती फसल जैसे मंडुवा, कुल्थी गहथ, चौलाई के साथ बोया जाता है। लेकिन अघिक ऊॅंचाई वाले क्षेत्रों में इसे अलग फसल के रूप में उगाया जाता हैं। कोरोना वायरस को लेकर दुनियाभर के देश चिंतित हैं। दुनियाभर के देश चीन के साथ कारोबार करते हैं। भारत भी उनमें से एक है। भारत अपनी जरूरत का 50 फीसदी राजमा का आयात चीन से करता है।
राजमा चीन से आयात होने वाले मुख्य खाद्य पदार्थों में से एक है। कोरोना वायरस की वजह से राजमा की कीमतें बढ़ी हैं। हालांकि इसका अभी ज्यादा असर नहीं पड़ा है। लेकिन चीन होने वाला आयात प्रभावित होता है तो इसका असर अभी और बढ़ेगा। भारत अपनी जरूरत का 50 फीसदी राजमा का आयात चीन से करता है। राजमा चीन से आयात होने वाले मुख्य खाद्य पदार्थों में से एक है। ऐसे में राजमा के उत्पादन हेतु आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की और ध्यान केन्द्रित किया जाना चाहिए।
राजमा खाने के फायदे:
*राजमा के अंदर आयरन प्रोटीन भरपूर मात्रा में होता है जिसे खाने से हमें ऊर्जा मिलती है। राजमा खाने से शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह सुचारू रूप से हो जाता है।
*जो लोग शाकाहारी हैं वह राजमा खाकर अपनी प्रोटीन की आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं। राजमा प्रोटीन का बहुत अच्छा स्रोत है। चावल के साथ राजमा खाने पर बहुत ही स्वादिष्ट लगता है।
*जो लोग अपने वजन को लेकर चिंतित रहते हैं वह आराम से राजमा खा सकते हैं क्योंकि इसमें कैलोरी कम मात्रा में पाई जाती है। राजमा का सेवन सूप और सलाद के रूप में भी कर सकते हैं।
*राजमा में विटामिन K पाया जाता है जो मस्तिष्क के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह हमारी याददाश्त को मजबूत बनाता है। तंत्रिका तंत्र के कामकाज को सुचारू रूप से करने में मदद करता है।
*जिन लोगों को डायबिटीज (मधुमेह) की समस्या रहती है वह आसानी से राजमा खा सकते हैं क्योंकि इसमें शुगर ना के बराबर होती है।


*राजमा में फाइबर भरपूर मात्रा में होता है जो कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। इसे खाने से हृदय स्वस्थ रहता है। राजमा में मैग्नीशियम भी पाया जाता है जो कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है। यह शरीर को स्ट्रोक, धमनियों की कोलेस्ट्राल की जमावट और दिल की अन्य बीमारियों से बचाता है।
*राजमा के अंदर कैल्शियम मैग्निशियम बायोटिन जैसे पोषक पदार्थ होते हैं जो हड्डियों, नाखून और बालों के लिए बहुत उपयोगी होते हैं। राजमा खाने से हड्डी मजबूत होती है, नाखून चमकदार होते हैं, बालों का गिरना कम होता है। बाल लंबे काले और घने होते हैं।
*राजमा गठिया रोग, ऑस्टियोपोरोसिस, हड्डी की अन्य बीमारियां को रोकने में मददगार है। राजमा खाने से हड्डी टूटने (फ्रैक्चर होने) की संभावना भी कम रहती है क्योंकि हड्डियां मजबूत हो जाती हैं।
*राजमा के अंदर एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं जो कैंसर से रक्षा करता है।
*राजमा में मैग्नीशियम, पोटेशियम, फाइबर, प्रोटीन जैसे तत्व पाए जाते हैं जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करते हैं।
*राजमा में एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं जो झुर्रियों, मुहांसों, त्वचा की कोशिकाओं को बूढ़ा होने से रोकते हैं। जो लोग राजमा का सेवन करते हैं वे लंबे समय तक जवान और खूबसूरत दिखाई देते हैं।
*राजमा के अंदर पर्याप्त मात्रा में फाइबर पाया जाता है जो खाने को अच्छी तरह पचाता है। यह मल को नरम करता है जिससे मल त्यागने में आसानी होती है।
*जो लोग कब्ज जैसी समस्याओं से परेशान रहते हैं उन्हें राजमा खाना चाहिए। राजमा आंतों के लिए भी फायदेमंद होता है। यह कब्ज से राहत देता है।
*राजमा खाना बच्चों के लिए भी काफी फायदेमंद होता है। इसमें आयरन, फाइबर, प्रोटीन भरपूर मात्रा में होता है। यह खाने में टेस्टी भी होता है। यह नरम और चबाने में आसान होता है। बच्चों को लंच के रूप में भी राजमा बना कर दिया जा सकता है।
राजमा खाने से नुकसान:
*राजमा हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रोल और हड्डियों की मजबूती के लिए अच्छी मानी जाती है। यह एक ऐसी सब्जी है जिसके साथ फायदे के साथ ही भरपूर नुकसान भी जुड़े हैं। आवश्यकता से अधिक खाने पर इसके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। चूँकि राजमा में फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है और अगर आप ज्यादा राजमा की सब्जी खाते हैं तो इससे आपके शरीर को नुकसान पहुंचता है। दरअसल, अगर शरीर में ज्यादा फाइबर चला जाता है तो पाचन क्रिया प्रभावित होने लगती है। आवश्यकता से अधिक राजमा खाने पर गैस, पेट दर्द, आंतो में दर्द पैदा कर सकता है। पेट की बीमारी और गैस की समस्या से जूझने वाले लोगों को तो राजमा खाना ही नहीं चाहिए।
*ज्यादा राजमा खाने से शरीर में आयरन की मात्रा भी बढ़ जाती है। अगर शरीर में आयरन की मात्रा तय मात्रा से ज्यादा हो जाती है तो नुकसान होने लगता है। राजमा जब भी खाएं तो उसे अच्छे से पकाकर खाएं क्योंकि कच्चा राजमा नुकसान देता है। 1कप राजमा में आयरन (लोहा) 45% होता है। हमारे शरीर के लिए 25 से 38 ग्राम तक आयरन की जरूरत होती है। इसलिए अधिक राजमा का सेवन करने से शरीर के अंग प्रभावित हो सकते हैं।

श्री शम्भू नौटियाल जी के फेसबुक पोस्ट से साभार
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