'

गैरसैंणक् काम पुर हैगो

कुमाऊँनी कविता, गैरसैंणक् काम पुर हैगो बंण गो भवन विशाल, राजधानी आब् बंणो नि बंणो गांठ में ऐ गो माल।Kumaoni Poem on Gairsain capital politics

गैरसैंणक् काम पुर हैगो..
(रचनाकार: दिनेश कांडपाल)

राजधानिक हल्ल बीच म्यार लै द्वी क्वीण.....

गैरसैंणक् काम पुर हैगो बंण गो भवन विशाल
राजधानी आब् बंणो नि बंणो गांठ में ऐ गो माल

गांठ में ऐगो माल कांग्रेसी कास् उसै जास गयीं
भाजपाईयूंक् मुखांक् बोल तबै जै सुकिजस् रयीं

दूनै की हाउ में मिलम् रै दिल्लि वालि जो बास
वीकै दम पर चल रैछौ सब नेता ,सैपूंकि सांस

एन जी टी लै पेट में आब् उठ रै जोरै कि पीड़्
वां तक लै के पुजैनै तब्बै वीकलै आंख रयीं तीड़्

टैम्परेरी सब काम छैं और टेम्परेरी सब राज
फैद हैं जैल् जमीन् हालि वूं नेता है रयीं नाराज

हमर य सिद्धांत छू आदू कटिगे आदू कटि जालि
य नेतानूं क काम छू तू मुनौव खपां र यै खालि

बहुगुणा त्याड़ि कत्याणि गाय् खोल नैं ठुलस्कूल
सन् सत्तरै कि उ भूल का आई तक बुढ़नी शूल

बुढ बाड़िकि जो सुंणल नै उ इसि कै पछताल
चंद्रसिंह ज्यूकि सुंणनां अगर बिगड़न् तबनै हाल


@दिनेश कांडपाल, 10-04-2018

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ