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पहाड़ी पुदीना (Himalayan Garden Mint)

औषधि और आहार के लिए पहाड़ी पुदीने का ही प्रयोग किया जाता है। Mentha spicata Linn or Kumaoni Garden Mint is spice for food items, pahadi pudina ke upyog

पहाड़ी पुदीना (Himalayan Garden Mint)

लेखक: शम्भू नौटियाल

पुदीना वानास्पतिक नाम मेन्था स्पाइकेटा (Mentha spicata Linn. Syn-Mentha viridis Linn.) है। यह वानस्पतिक कुल लेमिएसी (Lamiaceae) से संबंधित है।  पुदीना को संस्कृत में पूतिहा, रोचिनी, पोदीनक व अग्रेंजी में Garden mint, Lamb mint, Spear mint कहते हैं। पुदीना के पौधे की कई प्रजातियां होती हैं, लेकिन औषधि और आहार के लिए मेंथा स्पाइकेटा लिन्न (Mentha spicata Linn.) का ही प्रयोग किया जाता है।  इस पुदीने को पहाड़ी पुदीना भी कहा जाता है। क्योंकि यह पहाड़ी इलाके में अधिक होता है।

पुदीने की खुशबू और इसके स्वाद भला किसे पसंद नहीं होगा।  पुदीना बहुत ही स्वादिष्ट और रिफ्रेशिंग होता है। पुदीना शरीर और मन पर ठंडा और शांत प्रभाव छोड़ता है, जिसकी मुख्य वजह इसमें मौजूद मेन्थॉल है। यह विटामिन 'ए' से भरपूर होने के साथ-साथ बहुत ही गुणकारी भी है। यह स्वास्थ्य के लिए भी बेहद लाभकारी होता है। पुदीने को गर्मी और बरसात की संजीवनी बूटी कहा भी गया है। स्वाद, सौन्दर्य और सुगंध का ऐसा संगम बहुत कम पौधों में दखने को मिलता है। इसकी चटनी का कोई जबाब ही नहीं। पोदीना पेट के विकारों में काफी फायदेमंद होता है। पोदीने में प्रोटीन, पोटेशियम, थायमिन, कैल्शियम, नियोसीन, रिबोफ्लेविन, आयरन, मैंगनीज, तांबा, विटामिन-ए, बी ,सी, डी और ई, मेन्थाल, टैनिन आदि रासायनिक घटक पाए जाते हैं।

पुदीने का इस्तेमाल पत्ते, तेल, चाय आदि के रूप में किया जाता हैं। इसके अलावा यह एंटीऑक्सीडेंट, जीवाणुरोधी, एंटीवायरल आदि गुणों की वजह से भी जाना जाता है।आयुर्वेद में सदियों से पुदीने का इस्तेमाल औषधि के रुप में हो रहा है। सामान्य तौर पर पुदीने का उपयोग दंत-मंजन, टूथपेस्ट, चुइंगगम्स, माउथ फ्रेशनर, कैंडीज, आदि में किया जाता है। डाइजेस्टिव एंड लिवर डिसीजस जर्नल 2007 के एक अध्ययन में शोध में पाया गया कि पुदीने के तेल से 4 सप्ताह उपचार करने से आई.बी.एस. (इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम) के रोगियों में पेट के लक्षणों में सुधार हो सकता है।

आयुर्वेद के अनुसार, पुदीना (dried mint) कफ और वात दोष को कम करता है, भूख बढ़ाता है।  पित्तकारक प्रकृति होने के कारण पित्त प्रवृति के लोगों को पोदीने का सेवन कम मात्रा में व कभी-कभी ही करना चाहिए। पोदीना भारी, मधुर, रुचिकारी, मलमूत्ररोधक, कफ, खांसी, बुखार, पेट के रोग, यकृत विकार को ठीक करने तथा नशा को दूर करने वाला तथा भूख को बढ़ाने वाला है।

*सिरदर्द से दिलाये राहत पुदीने की चाय: पुदीना अलग-अलग तरह के सिर दर्द से आराम दिलाने में भी सहायक है। विशेष रूप से यह माइग्रेन एवं तनाव संबंधित सिर दर्द के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसमें कुछ खास एनलजेसिक प्रभाव होते हैं जो दर्द को कम करने में सक्षम होते हैं। जोजोबा के तेल, जैतून के तेल या फिर किसी भी तेल में तीन बूँद पुदीने का तेल मिलाएं और अपने गर्दन के पिछले हिस्से और कनपटी पर लगाएं। 5-10 मिनट के लिए मसाज करें और इसके तेल की सुगंध का भी मजा लें क्योंकि इसकी सुगंध का भी सिर दर्द पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। आप एक कप पुदीने की चाय भी पी सकते हैं।

*मुंह के छाले की परेशानी करे व दुर्गन्ध कम करने में पुदीना: मुंह के छाले की परेशानी में पुदीने के पत्ते का काढ़ा बनाकर इससे गरारा करने से मुंह के छाले की समस्या ठीक होती है। तथा रोजाना चार-पाँच पुदीने की पत्तियां चबाना, पुदीना-युक्त मंजन तथा पुदीने की चाय का कुल्ला करने के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
*बाल झड़ने व अन्य उपचार में फायदेमंद पुदीना: पुदीना अपने वातशामक गुण के कारण बालों के रूखेपन को कम करने में सहयोग देता है। ऐसा होने से बालों की रूसी एवं उनका बेजान होकर झड़ना या टूटना कम होता है, जिससे बाल प्राकृतिक रूप से बढ़ने लगते हैं। पुदीने के तेल की कुछ बूँदें जैतून के तेल, नारियल तेल या अपनी पसंद के किसी भी अन्य तेल में मिलाएं। इस मिश्रण से अपने बालों और सिर की मालिश करें और एक घंटे के बाद अपने बालों को शैम्पू से धोना चाहिए। यह बालों के विकास को बढ़ावा देता है और रुसी का भी जमकर विरोध करता है। यह सिर की त्वचा के पी.एच. स्तर को भी संतुलन में रखता है।
*दांतों के दर्द में पुदीना के फायदे: पुदीने के पत्ते का चूर्ण बनाकर दांत को मांजने से दांतों का दर्द कम होता है। पुदीने के औषधीय गुण दाँत दर्द को कम करने में मदद करते हैं। पुदीना के लाभ दर्द से राहत दिलाने में बहुत मदद करता है।

औषधि और आहार के लिए पहाड़ी पुदीने का ही प्रयोग किया जाता है। Mentha spicata Linn or Kumaoni Garden Mint is spice for food items, pahadi pudina ke upyog

*सांस की नली की सूजन करे कम पुदीना: ठंड लगने पर सांस की नली अक्सर सूज जाती है और फिर गले में दर्द होने लगता है। इससे आराम पाने के लिए पुदीने के पत्ते का काढ़ा बनाकर 10-15 मिली सेवन करने से सांस की नली की सूजन से आराम मिलती है।
*अपच की समस्या में पुदीने के फायदे: नींबू, पुदीना तथा अदरक के 100-100 मिली रस में दोगुना (200 ग्राम) खांड़ मिलाकर चांदी के बर्तन में पकाकर। इस काढ़ा को 20 मिली मात्रा में सेवन करने से अपच की समस्या ठीक होती है।
*उल्टी से दिलाये राहत हेतु पुदीने का सेवन: उल्टी को रोकने के लिए पुदीना का सेवन करना लाभ पहुंचाता है। अक्सर एसिडिटी होने पर, या दवा के साइड इफेक्ट के कारण, या फिर अन्य कारणों से भी उल्टी होने लगती है। अगर आप भी उल्टी की परेशानी से ग्रस्त हैं तो पुदीना के पत्तों का काढ़ा बना लें। या धनिया, सौंफ व जीरा समभाग में लेकर उसे भिगोकर पीस लें। फिर 100 ग्राम पानी मिलाकर छान लें। इसमें पुदीने का अर्क मिलाकर पीने से उल्टी का शमन होता है। पुदीने की कैंडी भी विकल्प हैं।
*पेट दर्द व अरूचि दूर पुदीने का सेवन: पेटदर्द और अरुचि में 3 ग्राम पुदीने के रस में जीरा, हींग, कालीमिर्च, कुछ नमक डालकर गर्म करके पीने से लाभ होता है। यह पाचन क्रिया को उत्तेजित करने के लिए पाचक एन्जाइम के उत्पादन व सक्रियता को बढ़ावा देता है।
*पुदीना के सेवन से लगती है दस्त पर रोक: पुदीना के पंचांग का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मिली मात्रा में सेवन करें। इससे अपच और दस्त की समस्या भी ठीक होती है। पुदीने के पत्तों को पीसकर शहद के साथ मिलाकर दिन में तीन बार चाटने से अतिसार सें राहत मिलती है।
*अस्थमा में फायदेमंद पुदीना: पुदीना एलर्जी एवं अस्थमा के लक्षणों से लड़ने में भी सक्षम है। इसकी तासीर गर्म होती है जो कफ को कम करती है और फेफड़े, वायुनलियाँ और श्वासनली से बलगम को बाहर निकाल अस्थमा के लक्षणों से राहत दिलाती है।
पुदीने के तेल की कुछ बूंदें नारियल तेल में मिक्स करें और इसे अपने छाती, नाक और गर्दन पर लगाएं। इससे आपको सांस लेने में आसानी होगी। यदि कफ से ग्रस्त है तो एक कंटेनर में गर्म पानी डालें और उसमें कुछ बूँद पुदीने के तेल की मिलाकर भाप लें।
*मूत्र विकार में फायदेमंद पुदीने का प्रयोग: अगर पेशाब करते वक्त दर्द या जलन होता है पुदीने का इस तरह सेवन करने से लाभ मिलेगा। 500 मिग्रा पुदीना के पत्ते में 500 मिग्रा काली मिर्च को पीस लें। इसे छानकर मिश्री मिलाकर पुदीना की चाय की तरह पिएं। इससे मूत्र विकार ठीक होते हैं। 2 चम्मच पुदीने की चटनी शक्कर में मिलाकर भोजन के साथ खाने से मूत्र रोग में लाभ होता है।
*हाथीपांव या फाइलेरिया रोग (Filaria) में फायदेमंद पुदीना: इस बीमारी में पैर हाथी की तरह फूल जाता है, और दर्द के कारण चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है। हाथीपांव के दर्द से राहत पाने के लिए पुदीना का काढ़ा बना लें। इसे 15-20 मिली की मात्रा में सेवन करें।
*घाव सूखाने के लिए पुदीना का प्रयोग: पुदीना के पत्ते को पीसकर लेप लगाने से ना सिर्फ घाव से आने वाला दुर्गंध कम होता है, बल्कि घाव भी जल्दी भरता है। इसके अलावा पुदीना के पंचांग का काढ़ा बना लें। इससे घाव को धोने से भी घाव जल्दी भरता है।
*बुखार में फायदेमंद पुदीने का सेवन: पुदीने को पानी में उबालकर थोड़ी चीनी मिलाकर उसे गर्म-गर्म चाय (काढ़ा) की तरह पीने से बुखार दूर होकर बुखार के कारण आई निर्बलता भी दूर होती है। इसके अलावा पुदीने की चटनी बनाकर खिलाने से भी बुखार और बुखार के कारण होने वाली भूख की कमी ठीक होती है। पुदीने और सौंठ का क्वाथ बनाकर पीने से सर्दी के कारण होने वाले बुखार में राहत मिलती है।

औषधि और आहार के लिए पहाड़ी पुदीने का ही प्रयोग किया जाता है। Mentha spicata Linn or Kumaoni Garden Mint is spice for food items, pahadi pudina ke upyog

*बिच्छू या बर्रे के दंश के स्थान पर पुदीना का प्रयोग:
बिच्छु के काटने पर जो दर्द और जलन होता है, उससे राहत दिलाने में पुदीना मदद करता है। इसके लिए सूखा पुदीना के पत्तों को पीस लें। जिस जगह पर बिच्छु ने काटा है, वहां लगाने से यह विष को खींच लेता है और दर्द को भी शांत करता है। और पत्तों का रस 2-2 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार रोगी को पिलाने से आराम मिलता है।
*पुदीने का तेल है मांसपेशियों के दर्द में लाभकारी:
पुदीने में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं जो मांसपेशियों में हो रहे दर्द से राहत दिलाने में सहायक हैं। पुदीना मांसपेशियों में रक्त-प्रवाह को बढ़ा दर्द को कम करता है। मेंथोल, पुदीने के आवश्यक तत्वों में से एक है जो मांसपेशियों में हो रही सूजन को शांत करने में सक्षम है।
जैतून के तेल या फिर बादाम के तेल में पुदीने का तेल मिला प्रभावित क्षेत्र की आराम से मालिश कर सकते हैं।
*पाचन क्रिया में सुधार लाने के लिए:
रोजाना कुछ कप पुदीने की चाय पियें। अपच का उपचार करने के लिए, एक गिलास गर्म पानी में पुदीने के तेल की कुछ बुँदे डालकर और खाना खाने के बाद इसे पीना चाहिये।
*पेपरमिंट आयल का उपयोग तनाव मुक्ति:
पुदीने की स्फूर्तिदायक महक आपको तनाव से तो मुक्त कराता ही है परंतु साथ ही में यह मानसिक थकान को भी दूर करता है। इसके अलावा इसका शांत कर देने वाला स्वभाव रिलैक्स करने में और अच्छे से सोचने में मदद करता है। स्ट्रेस में हो तो एक रुमाल पर पुदीने के तेल की कुछ बुँदे गिराए और उसकी मनोहर महक को सूँघ कर अच्छा महसूस कर सकते हैं। यह मस्तिष्क को तरो-ताजा कर देता है और तनाव को कम कर देता है।
>*पुदीना के पत्तों का काढ़ा को 10-20 मिली की मात्रा में पीने से गठिया का दर्द कम होता है तथा पेशाब खुलकर आती है।
*पोदीने की पत्तियों को थोड़े-थोड़े समय के बाद चबाते रहने से मुंह की दुर्गंध दूर हो जाती है। पोदीने की 15-20 हरी पत्तियों को 1 गिलास पानी में अच्छी तरह उबालकर उस पानी से गरारे करने से भी मुंह की दुर्गंध दूर हो जाती है।
*पोदीने का रस कृमि (कीड़े) और वायु विकारों (रोगों) को नष्ट करने वाला होता है। पोदीने के 5 मिलीलीटर रस में नींबू का 5 मिलीलीटर रस और 7-8 ग्राम शहद मिलाकर सेवन करने से उदर (पेट) के रोग दूर हो जाते हैं।
*शराब के अंदर पुदीने की पत्तियों को पीसकर चेहरे पर लगाने से चेहरे के दाग, धब्बे, झांई सब मिट जाते हैं और चेहरा चमक उठता है।
*पुदीना के रस को शहद के साथ पन्द्रह दिनों तक सेवन करने से पीलिया में लाभ होगा। पोदीने की चटनी नित्य रोटी के साथ खाने से पीलिया में लाभ होता है।
*50 ग्राम पोदीने को पीसकर उसमें स्वाद के अनुसार सेंधानमक, हरा धनिया और कालीमिर्च को डालकर चटनी के रूप में सेवन करने से निम्न रक्तचाप में लाभ होता है।
*हरे पोदीने को पीसकर कम से कम 20 मिनट तक चेहरे पर लगाने से चेहरे की गर्मी समाप्त हो जाती है।
*पोदीने की पत्तियों को पीसकर गाढ़े लेप को सोने से पहले चेहरे पर अच्छी तरह से मल लें। सुबह चेहरा गर्म पानी से धो लें। इस लेप को रोजाना लगाने से चेहरे के दाग-धब्बे, झांइयां और फुंसियां दूर हो जाती हैं और चेहरे पर निखार आ जाता है।
*बेहोश व्यक्ति को पुदीना की खुशबू सुंघाने से बेहोशी दूर हो जाती है। पोदीने के पत्तों को मसलकर सुंघाने से बेहोशी दूर हो जाती है।
*तलवे में गर्मी के कारण आग पड़ने पर पुदीने का रस लगाना लाभकारी होता है।
*हरे पुदीने की 20-25 पत्तियां, मिश्री व सौंफ 10-10 ग्राम और कालीमिर्च 2-3 दाने इन सबको पीस लें और सूती, साफ कपड़े में रखकर निचोड़ लें।  इस रस की एक चम्मच मात्रा लेकर एक कप कुनकुने पानी में डालकर पीने से हिचकी बंद हो जाती है।
*हरा पुदीना पीसकर उसमें नींबू के रस की दो-तीन बूंद डालकर चेहरे पर लेप करें। कुछ देर लगा रहने दें। बाद में चेहरा ठंडे पानी से धो डालें। कुछ दिनों के प्रयोग से मुंहासे दूर हो जाएंगे तथा चेहरे की कांति खिल उठेगी।
*हैजे में पुदीना, प्याज का रस, नींबू का रस बराबर-बराबर मात्रा में मिलाकर पिलाने से लाभ होता है। उल्टी-दस्त, हैजा हो तो आधा कप पुदीना का रस हर दो घंटे से पीना चाहिये।
नोटः
जिन लोगों का पित्ताशय की पथरी हों उन्हें पोदीना का कम मात्रा में या नहीं करना चाहिए। उच्च खुराक में पुदीना लेने से, यह गुर्दे की विफलता (Renal Failure) का कारण बन सकता है। इसलिए वैद्य या चिकित्सक की सलाह को प्राथमिकता देना आवश्यक है।



श्री शम्भू नौटियाल जी के फेसबुक पोस्ट से साभार
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