
Pahru patrika: पहरू पत्रिका
मीठी मीठी-433: हमरि भाषा भौत भलि-12 वर्षक,"पहरू"
लेखक: पूरन चन्द्र काण्डपाल
कुमाउनी मासिक पत्रिका "पहरू" फरवरी 2020 अंक मिलिगो। भौत भल आवरण "दैणक फूल" और भतेर लै भलि सामग्री छपि रैछ। पोस्टल विभाग कि कोताही वजैल दिसम्बर 2019 और जनवरी 2020 अंक नि मिल। वर्तमान में चार पत्र - पत्रिका हमरि भाषाक लिजी भल काम करें रईं जनरि चर्चा लै करुल।
हमरि भाषा कुमाउनी-गढ़वाली लगभग 1100 वर्ष पुराणि छ । यैक संदर्भ हमर पास मौजूद छीं। कत्यूरी और चंद राजाओं क टैम में य राजकाज कि भाषा छी। आज लै करीब 400 लोग कुमाउनी में लेखनी जनर के न के साहित्य कुमाउनी पत्रिका "पहरू" में छपि गो । भाषा संविधान क आठूँ अनुसूची में आजि लै नि पुजि रइ। प्रयास चलि रौछ। सबूं हैं निवेदन छ कि भाषा कैं व्यवहार में धरो। हमार चार साहित्यकार छीं जनूकैं साहित्य अकादमी भाषा पुरस्कार लै प्रदान हैगो।
"पहरू" मासिक कुमाउनी पत्रिका लिजी डॉ हयात सिंह रावत (संपादक मोब 9412924897) अल्मोड़ा दगै संपर्क करी जै सकूं। कीमत ₹ 20/- मासिक। य पत्रिका डाक द्वारा घर ऐ सकीं । विगत 11 वर्ष बटि म्यर पास उरातार य पत्रिका पूजैं रै। मि येक आजीवन सदस्य छ्यूँ । बाकि बात आपूं हयातदा दगै करि सकछा।
उत्तराखंडी भाषाओं कि त्रैमासिक पत्रिका "कुमगढ़" जो काठगोदाम बै प्रकाशित हिंछ वीक लै आपूं सदस्य बनि सकछा। मि येक लै आजीवन सदस्य छ्यूँ। संपादक दामोदर जोशी 'देवांशु' मो.9411309868, मूल्य ₹ 25/-। पिथौरागढ़ बै कुमाउनी मासिक पत्रिका " आदलि कुशलि " छपैं रै । येक संपादक डॉ सरस्वती कोहली (9756553728) दगै संपर्क करी जै सकूं। मूल्य ₹ 30/- छ। अल्माड़ बै छपणी कुमाउनी साप्ताहिक अखबार " कुर्मांचाल अखबार " लै पाठकों लिजी मौजूद छ। सालाना सहयोग ₹ 200/- मोब. 7830039032 , संपादक डॉ सी पी फुलोरिया छीं।)
कुमाउनी भाषा में कविता संग्रह, कहानि संग्रह, नाटक, उपन्यास, सामान्य ज्ञान, निबंध, अनुच्छेद, चिठ्ठी, खंड काव्य, गद्य, संस्मरण, आलेख सहित सबै विधाओं में साहित्य उपलब्ध छ। बस एक बात य लै कूंण चानू कि आपणि इज और आपणि भाषा ( दुदबोलि, मातृभाषा ) कैं कभैं लै निभुलण चैन। जब हमरि भाषा व्यवहार में रौलि तबै य ज्यौन लै रौलि । आपण नना दागाड़ और आपण आपस में आपणि भाषा में बलाण झन भुलिया।
हमरि भाषा भौत भलि,
करि ल्यो ये दगै प्यार ।
बिन आपणि भाषा बलाइए,
नि ऊंनि दिल कि बात भ्यार।।
पूरन चन्द्र काण्डपाल, 09.03.2020

पूरन चन्द्र काण्डपाल
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