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हमार म्हैण, ऋतु, त्यार-ब्यार, खान-पान

  कुमाऊँनी लेख-हमार म्हैण,ऋतु,त्यार- ब्यार, खान-पान, article about festivals in Kumaon during autumn and winter season

-:हमारे म्हैण,ऋतु,त्यार- ब्यार, खान-पान:-

लेखिका: अरुण प्रभा पंत

गतांक (भाग तीन) बटि अघिल भाग चार:-

कार्तिक पुन्यू, तुलसी विवाह, यो दिन समस्त पौ पर्वनैक सिरमौर मानि जैं।  सरयू गोमती गंगा में स्नानौक महत्त्व यो दिन विशेष रूपैल छु।  पुर कार्तिकाक म्हैण मैस विशेषकर शैणी रत्ति पर उठ नै बेर तुलसी पुंज और भजन करनी जैसी --"तुलसा माहरानी नमो नमो,हर की पटरानी नमो नमो"
यो दिन तयेसि (तुलसी) कं वस्त्र पैरै बेर सजूनी और विधिवत पुज करनी कार्तिक पुन्यूक दिन ब्या काजनैक धूम मच रैं।शेष भारत में गुरुनानक जयंती मनैयी जैं।

मार्गशीर्ष पौष-नवंबर,दिसंबर जनवरी--हेमंत ऋतु:-
मंगशीरेक (मार्गशीर्ष)मोक्षदा एकादशि और मौनीअमूशि कं भौतै माहत्तम छु ऐस पुराण जमानाक मैस कुंछी, खासकर अगर मौनी अमावस्या सोमवाराक दिन और मोक्षदा एकादशि बिप्पै(बृहस्पतिवार) दिन भयी तो।  पूषाक म्हेणेक पुत्रदा एकादशि लै अण्त गण्त (विशेष) भै।
पूषाक म्हैणाक ऐंतवार (रविवार)बर्त लै हमार उत्तराखंड में विशेष स्थान धरनीं,नानछना बै यो बर्त नाननानतिनन कं आरोग्याक लिजि करूणौक रिवाज छु ,जमें रत्तै ठंड पाणिल ख्वारैल नांण और दिन उछाण है पैल्ली लापसि या करने लै मिठ भोजन करणैक रीत छु।
रात्रि टैम सूर्य कं अर्ग दिनी सूर्य मंत्र जपनी।

माघ फाल्गुन-जनवरी फरवरी मार्च
शिशिर ऋतु:-
यो म्हैणौक प्रमुख आकर्षण हमौर घुघुतिया त्यार जकं उतणैणि और कालेकव्वा लै कुनी,एक अत्यंत पवित्र और शुभ मानी जां जो मकर संक्रांति दिन बै प्रारंभ हुं और कुछ मैस पुर माघाक म्हैण गंगा तीरे छोलि बाद बेर रुनी द्वि बखत नानी ,एकौय खानी, हवन करनी और पुर म्हैण फरार खानी पवित्र ग्रंथ पढ़नी,सत्संग करनी।
आब अगर क्वे इतु कठिन जीवन एक म्हैणाक लिजि लै नि जि सकन तो उ लोग मात्र तीन दिन घरै में रै बेर 'त्रिमाकि' करनी।

आब नान बालगोपालनाक बार मेंबात करनूं, संक्रातिक पैल दिन या संक्रांतिक दिन गुड़ या चिनिक ग्यूंक पिस्सुआक खजुर और भिन्न भिन्न आकृति वाल आकृति बणैबे उनन कं घ्यु में बणूंनी फिर उनैर माल नानतिनाक लिजिए बणूनी और कै ंसंग्रांतिक दिन कै संग्रांतिक दुबारा दिन कपाल पिठ्यालगै गावन खजुरनेक माल पैर बेर काले कव्वा लै कुनी और आफि लै खानी। हर नान नानतिन यो त्यारैक प्रतीक्षा करू जब तक उ नान हुं।

यो म्हैण काल तिलनौक हवन करण और तिलगुड़ाक लाड़ खाम भल मानी जां।  यो म्हैण माघैक शुक्ल पक्षैक पंचमी दिन बसंत पंचैम मनयी जैं,जमैं पिहंल वस्त्रपैरनी,द्यापतन कं पिहंल वस्त्र पिहंल फूल पु पकवानचढ़ूनी,स्वयं लै पिंहल लुकुड़ पैरनी और सबनाक ख्वारन जौं धरनीं(पात)।

हमारे उत्तराखंड में बसंत पंचमी दिन अक्षरारंभ करूणौक पाटि में 'ॐ' लेखूणौक लै रिवाज छु।
क्रमशः---

मौलिक
अरुण प्रभा पंत, 19-08-2020

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