
-:हमारे म्हैण, ऋतु, त्यार- ब्यार, खान-पान:-
लेखिका: अरुण प्रभा पंत
गतांक (भाग दो) बटि अघिल -भाग तीन
भदौ म्हैण एक पैंट हुं घ्यु संग्रांत मनई जैं, तकं ओल्गी और सिंह संग्रांत लै कुनन, आजाक दिन बै सूर्य सिंह राशि में स्थांतरित है जां। यो त्यार पूर्ण रूपेण कृषि और गोर बाछनौक छु। खूब धिनाय दूध दै घ्यु क इफरात आम तौर पर इन दिनन हैं खूब हरि घा खैबेर गोर भैंस दूद दिनी अतः यो त्यार में घ्यु खाणौक चलन छु। बामण चेलि बेटिन कं और जनर पास कमी छु उनन कं सागपात धिनाय और दान-दक्षिणा दिणौक लै रिवाज छु। यो संग्रांत में माषाक बेड़ु र्वाट गाबौक साग घुइयांक दै हालि साग लै बणूनी।
आश्विन कार्तिक (सितंबर,अक्टूबर नवंबर):-
-:शरद ऋतु:-
असोजाक पैल पैंट हुं खतचड़ु औक तर्रार लै मनई जां जमें गोरुक गोठैक सफाई और गोरबाछनैक सफाया उननकं पिठ्या लगूनी उनैर आरती करनी और पुर गोठ में धुंग लगै बेर गोठकं किटाणु नाशक करनी। रात्रि हुं हर मैस आपण घराक भरता क्वे उच्च जाग में आग जै बेर खुशी धर्म-कर्म लै करनी ,मौत पैल्ली कुमाऊं राजैक जीतकर मनूणाक वास्ते ऐस करणै रीत बणी।
यो म्हैण में सोल श्राद्ध पड़नीऔर शुभ कार्य वर्जित हुनी।सब आपण पितरनौक श्राद्धि तिथि अनुसार करनीसिर्फ स्त्री प्रजातिक श्राद्ध मातृ नवमी दिन हुं जो पुरुष पितर नौमी तिथि बाद मेरी हुं और वीक पत्नी लै दिवंगत है चुकगे, उ पुरूष पितरौक श्राद्ध अष्टमी दिन करनी ऐस नियम छु।
पितर पक्ष में सात्त्विक भोजनौक नियम बणीं छु। श्राद्ध असोजैक पुन्यु बै शुरू हुनीऔर अमूश हुं अंतिम श्राद्ध हुं।पड़्याव बै शारदीय नवरात्रि शुरू हुनी। राम लीला और उत्सवाक वातावरण में हल्क गुलाबि ठंडक में यो दिनन भल चितयीं।घरन धानैक फसल सबनाक मन कं प्रसन्नता प्रदान करें।लोग बर्त हवन पुज पाठ करनी। पहाड़ाक अधिकांश पकवान खाद्य पदार्थ चावल आधारित हुनी अतः नय धानाक च्यूड़ चावलौक पिस्यु विभिन्न प्रकाराक धानैल भकार भरि जानी।
पड़्यावाक दिन पैल नौर्त हुं हर्याव बोई जां। दशमी दिन विजयादशमी त्यार हुं जदिन विभिन्न पहाड़ि पकवान बणयी जानी टिक पिठ्या करनी ,एक दुसराक घर जानी,नमः लुकुड़ पैरनी। विजयादशमी बाद जो पुन्यु हैं उकं कोजागर पुन्यु(शरद पूर्णिमा)कुनी उदिन लै लक्ष्मी पौ और ऐपण दिनी, दि जगूनी।कोजागर पुन्यू दिन लै सिंगल पकूणौक रिवाज भौय।
आब सब लोग शुभ कामकाजनैक तैयारी करण लाग जानी।घरनैक सफाई सजावट ऐपण दिण पौ दिणैक होड़ जै हैजैं किलैकि आब सब धनतेरस, नर्क चतुर्दशी, दीपावली,गोवर्धन और बग्वालिक त्यारैक तैयारी में लाग जानि।
धनतेरस अर्थात यमद्वीप:-
कुछ लोग धनतेरसौक बर्त लै करनी यैक पुज सांझ बखत हैंगोधूली बेला में मुख्यत द्वाराक अघिल यम द्वीप जलूनीजमें घराक हर ज्यून सदस्याक नामौक बात जलूनी। नर्क चतुर्दशी---सब नानतिनन कं रत्तै नवैबेर पिठ्या लगै बेर उनैरि आरती करनी,निमछोल(न्योंछावर)करनी। फिर दिवालिक त्यार लक्ष्मी पूजन पुर घर क उज्याव कर परंपरागत पकवान बणै बेर मनूनी।
दिवालिक अघिल दिन गोवर्धन पुज खीर रैत बाड़ मास चावलनाक नमकीन पु बणैबेर मनूनी। गोवर्धन कं अन्नकूट लै कुनी। गोवरधनाक अघिल दिन दूज तिथि हुं बग्वालिक त्यार मनयी जमैं फिर टिक पाट च्यूंड़ खुट बै लिजैबेर ख्वार में धरि जानी, सींग चुपोड़नी , पकवान, जमै सिंगल मुख्य हुनी बणयी जानी।
मौलिक
अरुण प्रभा पंत, 19-08-2020
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