
यो बिल के हूँ ईजा?”
लेखक: डी.पी. तिवारी
“यो बिल के हूँ ईजा?” एक आठ सालाक च्यालैल आपुणि ईज थें पुछौ!
ईजैल उकें समझा, “जब हम कैथैइं कोई सामान ल्हीनु या काम करुंनू तो ऊ सामानाक या कामाक बदल में हमन थें ढेपु ल्हिं और हमन कें ऊ काम या सामानैकी एक सूची बणै बेर दीं, यकैइं हम बिल कूंनू" !
च्यालै कें यो बात भलीकै समझ में एगे! रात हूँ शेण हैबेर पैंली वील आपुण ईजाक तकियाक तली एक कागज़ धर दे जमें ऊ दिनौक हिसाब लेखी छी!
बगलैकि दुकान बटी सामन लयूँ - ५ रु
बाबुक लिजि काँगिल लयुँ - ५ रु
बड्बाज्युक खोर दबा - १० रु
ईजैक चाभी ढूंढी - १० रु
कुल - ३० रु
यो तो सिर्फ आजौक बिल छी, यकें आजै चुकता कर दियौ तो भल होल!
रत्तै जब ऊ उठो तो वीक तकियाक तली ३० रु. धरी छी! यो देखबेर ऊ भौत खुश भौ कि यो भल काम मिल गो! तबै वील एक और कागज़ वहीं धरी हुई देखौ! जल्दी से उठै बेर वील ऊ कागज़ पढो जमें ईजैल लेख राख छी!
जन्म बटी आज तक पालण पोसण - रु ००
बीमार हुण पर रात रात भर छातील लगैबेर घुमूण - रु ००
स्कूल भेजण और घर में होम वर्क करुंण - रु ००
रत्तै बटी ब्याल ज्यालै खऊँण पेउण, लुकुड सिणन, प्रेस करण - रु ००
ज्यादातर मांग पुरी करण - रु ००
कुल - रु ००
यो अल्लै तकौक पूर बिल छू, यकें जब चुकुंण चालै चुकै दियै !!!!
च्यालाक आँख भर अयीं! सिद्द जा बेर ईजाक खुटन में झुक गो और बमुश्किल बलै सकौ “त्वील बिल में दाम तो लेखी नी राख ईजा, यो तो अनमोल छन, यकैं चुकुणि लैकौ ढेपु टाक तो हमार पास कब्भैं लै नी होल, मकें माफ़ कर दियै ईजा!“ ईजैल हँसते हुए उकें अँग्वाल हाल ल्हे !!!!
को कुँ, आसूँन में वजन नी हुन..!!
एक बूँद आंसू लै छलक जाँ तो मन हल्क है जाँ .!!
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