
रधुली इज बाबू फसक
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लेखक: कैलाश सिंह 'चिलवाल'
रधुलि इज - रधुली बाबू कस चलि रै पै तुमैरि लाकडाउन में?
रधुलि बाबू - घर में त्यर कचकचाट सुंणि भैर भाजि जानु। भैर बटी पुलिस' क डंड खैबेर भितेर ऐ जानु। 👊
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रधुलि इज - अहो! य स्थिति कदिन तक सामान्य होलि? के अंताज छा तमूकै?
रधुली बाबू - सितुल सवाल छु यार, जदिन शराब'क ठ्याक भलिकै खुल जाल नै समझ लियै कि "सब सामान्य" है गो। 🖐🖐
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रधुलि इज - यार पुर बैसाख खतम हैगो जेठ'क म्हैंणा'क लगन लै खतम हुंणी छन, हल्लू पुरि, पार्टी??
रधुली बाबू - यार के बतू? मी त सुगर पेसेंट भय, यस लागणौं हल्लू बांटणी मैस सामणि ऐ बेर लै वापस लौटि गो। 😥😥
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रधुलि बाबु - लगनोंक जिगर में एक बात याद ऐगे यार - आभोव पहाड़ो में नयी ब्वारियां'क काटणि यानि चुगली इसिक हुंण लागि रै, "ओ इजा! त रमदा'कि ब्वारि कै चाओ धै शरम लाज के न्हैंत दी मिनट लै मुखम मास्क नी रुन हो, सौर - जिठांण'क सामणि बिन मुंख ढकियै धम धम धिरकणैं, हाथ लै नी ध्वैन बल, तैक मैं'ल तकै सैनिटाइज करण नी नी सिखै रय, गौं पनै चेलि-बेटिया दगाण माल -खाव ताल -खाव पंजैत करिबेर सोसल डिस्टैंस'क शरम लै बेचि खै है - छी छी छी!!!😲😲
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रधुली बाबू - इतु हंसि मजाक सुणैं बेर लै तू तौ बेलन और चिमाट ली बेर म्यर पछिल किलै पणि रै छै कौ???
रधुली इज - ग्यान! ग्यान मिल गो मिकै, अल्लै मेरि इज'क फोन ऐ रौछी, इज कूंणछी, "चेलि! जवै ज्यु दगाण कभै गालि- गलौज तू-तड़क झन करियै", चेलि! "शरीर में लागि घाव भरी जाते है पर शब्दों लागि घाव नी भरीते है बल"
😝😝तब मील सोचा कि शरीर में मारुंगी त तुमारे "घौ" जल्दी भल हो जाएंगे, डिमाग लगाओ!!
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कैलाश सिंह'चिलवाल'। 23/05/2021

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