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माई सरस्वती

माई सरस्वती-कुमाऊँनी कविता,kumaoni mein maa saraswati ki vandana, saraswati vandana in kumaoni

"माई सरस्वती"

रचनाकार: मोहन चन्द्र जोशी
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माई सरस्वती !
हे माता सरस्वती !
धरिये मेरी पती,
शारदे ! हर मेरि दुर्गति।।
नमन वंदन प्रणाम पैलाग।
आशीष दिबैर जगै दे भाग।।
मन में अमिरत बणीं आ,
निमै दे रीस खड़याँट की आग।।
हे माई सरस्वती!. . . .
कमलासन त्यर् मुकुट कपाव।
हाथ धरी त्यार् पुस्तक माव।।
कंगन और घुंडरु झमकन छन ।
सुन्दर मुख नख्याव-मुख्याव।।
हे माता सरस्वती! . . . .

कण कण में व्यापत तेरि माया।
सुन्दर सुकिल छु पैरण काया।।
वीणा हाथों में हंस की सवारी।
विराजित स्वर- शब्दों की माया।।
हे माई सरस्वती ! . . . .

आज विश्व में पैंल जरूरत,
सद्बुद्धि सुविचार एकमत।।
भरि दे सुमति- सम्पत्ति।
साधन प्रेम अहिंसा और सत्।।
हे माता सरस्वती ।।

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