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जिम कार्बेट पार्काक् शेर......

 कुमाऊँनी भाषा में शेर-शायरी, ज्ञान पंत जी द्वारा  Kumauni Sher-Shayari by Gyan Pant, Kumaoni Shayari

जिम कार्बेट पार्काक् शेर......

रचनाकार: ज्ञान पंत

पहाड़नौ मिजाज़ 
को जाँणों ....
मन नि ऐ त 
झिट घड़ि मैयी 
ढुँङनै बरसात 
है जनेर भै .....
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रुढिन में त
पहाड़ 
कटकि रुनेर भै 
जेसीबी'क चोट 
बुल्डोजर'कि मार 
सब बर्दाश्त करनेर भै
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मगर 
चौमास'न में 
गाड़ दिगा 
सल्ला करि .......
पुर हिसाब ले 
 करि ल्हीनेर भै।
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अगाश पुजी 
पहाड़ना बीच में 
  ठुलि गाड़ कैं
 मेल-मिलाप वालि 
 बैणिं समझौ .....
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बरसन बटी 
पहाड़ और पहाड़ि ले 
यसी कै 
दगाड़ रयी भ्या ......
द्वियै तरफ बटी 
ऊँण-जा्ँण लाग्यै भै 
चौमासन में ले 
गाड़ 
बा्ट दि दिनेर भै ......
........................................................
इथकै 
जब बटी ठुलि गाड़ कैं 
बिजुलि बणूँना लिजि
थल में "बादि" ग्यो ....
तब बटी 
गौंन में 
अन्या्र पट्ट है रै ....
उज्याव 
कां है रौ 
के नि कै सकीन। 
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कुदरत 
आपण में ऐ गियी त 
तुमा्र आपदा प्रबंधन 
सब धरियै रै जा्ल।  

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अन्या्र में ले 
आस भयी .....
तबै जैङिणी 
च्याट्ट पुजि जानीं।
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गाड़ 
गध्यार 
रौड़ 
छीड़ 
ताल 
और
 तालुन लै मा्ँछ .......
कभै 
"ढुँङ" घुर्यै बेरि 
देखियै धैं ....
जिंदगी 
सबै ठौर हुनेर भै। 
....................
फू~ करण में 
के लागौं .....
कभै द्वि ले 
जगैयी कर। 
.....................
बात
हा्व में ले
 उड़ै सकछै, मगर 
जब भीं में आले त 
"जमीन" 
ता्व तावै मुचि जालि।
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शब्दार्थ:- 
ढुँङनै - पत्थरों की, रुढ़िन में - गरमी में, कटकि रुँछ - चुप रहता है, चौमासन - बरसात में, सल्ला - दोस्ती, इथकै - इधर, बादि ग्यो - बाँध बनाया गया है, अन्यार पट्ट - घटाटोप अँधेरा, सकीन - सकता है
जैंङिणी - जुगनूँ,  
च्याट्ट - तुरन्त, 
घुर्यै - लुढकाना,  
फू - फूक मारकर बुझाना, 
द्वि - दिया, 
ता्व तावै - नीचे नीचे ही, 
मुचि - सरक

...... ज्ञान पंत, July 15 & 17, 2018
ज्ञान पंत जी द्वारा फ़ेसबुक ग्रुप कुमाऊँनी से साभार

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