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घीं सग्यानि त्यार

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घीं सग्यानि त्यार 

रचनाकार: चम्पा पान्डे

हमरि सभ्यता हमरि संस्कृति
हमर, रीति रिवाज,
सबन कैं मुबारक हो
घीं सग्यानि त्यार।

त्यार मनाणक महत्व
चारूं तरफ हरियाली,
हरी परी घा पातक
रन मन हैंजैं भारी।

हरी परी घा खैबेर
भैंस गोरु बाछ खुशि है जानीं,
दै दूध धिनाई पाणिक
खूब रन मन करानीं।

नाज पाणि, साग पात ,फल फूल
सब फसल है जैं तैयार, 
आपण मेहनत फलीभूत देख्
हैं सबन कैं खुशी अपार।

देख धिनाई,घ्यूं, फल फूलों बहार
नाज पाणिल भरी हरी भरी स्यार,
सबूक भरी रो हमेशा भंडार
यै लीजी मनाई जां घीं सग्यानि त्यार।।

घ्यूं चाखिया,और ख्वारम् लगाया चुपौड़ हाथ
यौ छु एक पारंपरिक आधार,
जो नी खान आज घ्यूं
उ लै जां बेलि गनेलक जून पार।।🤔🤔

सर्वाधिकार सुरक्षित, धन्यवाद
*चम्पा *पान्डे*, 17-08-2021

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