
कुमाऊँनी भाषा में मुहावरे और लोकोक्तियाँ
यहाँ पर हम कुमाऊँनी की कुछ प्रचलित मुहावरों और लोकोक्तियों को उनके अर्थ के साथ जानने का प्रयास करेंगे:-
इकल ढुंग, लोटिनै रै
अर्थात
अकेला व्यक्ति जहां तहां भटकता रहता है
इकलू बानर जस
अर्थात
कम सामाजिक या अकेला रहने वाला व्यक्ति
इकारि इकारि लगौण
अर्थात
दूसरे की बात सुने बिना अपनी ही बात दुहराते जाना
इकलि पराणि, जां लै टोपि रै
अर्थात
अकेले व्यक्ति का पक्का ठिकाना नहीं होता
इकलि पराणि, यतुक धाणि
अर्थात
कार्य का अत्यधिक भार होना
ईकॉई लगौंण
अर्थात
एक समय खाने की आदत बनाना
ईजैल लगै यौ लोकेकि, बाब लगौनि पर लोकैकि
अर्थात
परिवार/समूह के अंदर ही गहरे मतभेद होना
ईजौक ना बाबौक, पिनाऊक गाबक
अर्थात
सबसे असम्बद्ध रहने वाला व्यक्
ईतर हारौ, तेल जितौ
अर्थात
ज्यादा आकर्षक मित्रता कम टिकती है (जैसे ईत्र उड़ जाता है, तेल मौजूद रहता है)
ईज्जत डुबौंण
अर्थात
सम्मान गंवा देना (ईज्जत डुबा देना)
ईज्जत उतारण
अर्थात
दूसरे की बेईज्जती करना (ईज्जत उतारना)
उजै कि पूज
कर्मठ व्यक्ति को हर जगह सम्मान प्राप्त होता है
उपरोक्त मुहावरों और लोकोक्तियों के सम्बन्ध में सभी पाठकों से उनके विचारो, सुझावों एवं टिप्पणियों का स्वागत है।
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