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हमारे पहाड़ और बिचार-नातक/सूतक

कुमाऊँनी रीति-रिवाज में परिवार में मृत्यु पर सूतक और जन्म पर नातक का विचार किया जाता है, Natak relates to birth and Sutak relates to Death in family

हमारे पहाड़, और बिचार......

लेखिका: प्रेमा पांडे 

सवाल है... ?

१. नातक:-

जब अपने घर कोई बच्चे ने जनम लिया तो कहा जाता है, नातक हो गया(नातक है रो) इसमें करना क्या है......?
परन्तु आज के समय में यह बातें कम सुनाई देती है, पर अभी बहुत घर है जहाँ पर बिचारों को महत्व दिया जाता है ....
आप सब लोग क्या करते है...? 
क्या आपका बच्चा इसपर सवाल खड़े करता है या श्रध्धा से अपनाता है......
व किन चीजो को वर्जित करते है....

२. सूतक:-

किसी घर पर मौत होगई, बहुत चीजे वर्जित की जाती है,
शनिवार मँगलवार ही उनके घर दुःख प्रकट करने जाते है, 
व केले या कोई मेवे ले कर जाने की परम्परा निभाते है, 
घर के सदस्य कितने परहेज से रहते है.....

३. दिन विचार:-

किसी के घर मँगलवार शनिवार जाना बुरा माना जाता है ....
लड़की को शुभ दिन बिदा किया जाता है , तथा वार को महत्व दिया जाता है......
कई सवालों की जँजीरो से बँधी हमारी यह परम्परा क्या आज के बच्चो को ऐसे बाँध पाऐगी , कब तक .....
आज के बच्चे एक सामुहिक परिवार हर जाति के परिवार के साथ जुड़ा हुवा है , जो , हर रीति को देख समझ रहा है व वही कर रहा है , जो देख रहा है.....
हम सभी लोग तो यह जानना चाहेंगे ही ना......
आप सबकी क्या राय है , व कितने सक्षम है , इन्है अपनाने में.....
जरुर अवगत् कराईये अपने विचारों से......

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