
भट्ट का जौला
लेखिका: प्रेमा पांडेकाले भट्ट (काली सोयाबीन), के फायदे अनेक।
नही खाया तो अब बनाओ और खाओ और लोगो को भी खिलाओ व फायदे भी जानो।
उत्तराखँँण्ड मे पायी जाने वाली यह भट्ट दाल , प्रोटीन से भरपूर , विटामिन ई "से भरपूर दाल, जो डैड स्कीन को दूर करता है, वजन कम करता है , त्वचा को पोषण और बालों की समस्या दूर करने में कारगर है , विटामिनो से भरपूर, काले भट्ट सेहत का खजाना है, इसे जहाँ डाईट मे शामिल करके अच्छी सेहत पाई जा सकती है, वही पर त्वचा और बालों की सेहत में भी कारगर।
अनादि काल से हमारे उत्तराखँड में प्रकृति ने अनमोल जड़ी बूटियो का खजाना दिया है , उतना संसार के किसी भी भाग को नही दिया , चाहे फल फ्रूटो मे , दालों में , सब्जी में , आज इन सबकी गुणवत्ता को समझते हुऐ , आयुर्वेद, एलोपैथिक , यूनानी एवं होम्योपैथिक चिकित्सा में उपयोग में ला रहे है, वैध्य हकीम लोग तो अनादि काल से उपयोग में करते आ रहे है । यहाँ पाई जाने वाली दालो के अलग अलग नाम व गुण बेशकीमती है जो अब धीरे धीरे लुप्त की कगार में पहुंच रहे है, विदेशो में इसकी मांगे बढ़ रही है।
तो आईये बनाते है भट्ट का जौला।
एक कटोरी भट्ट ६-७ घन्टा पहले भिगो ले, एक चौथाई चावल भिगोले, मोटा मोटा पीसैं, लोहे की कढ़ाई में एक चम्मच घी डाल कर कढाई के चारो तरफ उसे लगा लें, भट्ट पिसे हुऐ डाल दे, इसे खूब पका ले, बाद में भिगाये हुऐ चावल पीस कर मिला लें, व खूब पका ले, पकते पकते काला सा यह भट्ट का जौला अब तैयार है खाने लायक, अपने अपने स्वाद के अनुसार, कई लोग हरे धनिया के नमक के साथ पसन्द करते हैं। कई लोग खट्टी (झोली / पयो) कढ़ी को पसन्द करते है, वैसे नीबूं पड़ी बड़ियां भट्टीजौला बहुत पसँद है मुझे, जो कि जाड़ो में विशेष पसंन्द किया जाता है।
तो सोचिये मत बस पकाईये।
प्रेमा पांडे

प्रेमा पांडे जी द्वारा फेसबुक ग्रुप कुमाऊँनी शब्द सम्पदा से साभार
प्रेमा पांडे जी के फेसबुक प्रोफाइल को विजिट करें
0 टिप्पणियाँ