'

कुमाऊँ में ब्राह्मणों की वंशावली - पंत, उप्रेती और पाठक


कुमाऊँ में बामणनाक बार में जाण लियो जरा।

लेखक: भुवन चन्द्र पांडे

कुमाऊँ में ब्राह्मण- पाण्डे, तिवाड़ी, जोशी बाद पंत, उप्रेती और पाठक-

पंत-
भारत द्वाज गोत्री (भारद्वाजांगिरस बार्हस्पति त्रि:प्रवर: माध्यन्दिनी शाखा) पं० जय देव पंत कोकण देश (महराष्ट्र) वटि १० वीं शताब्दी मे चंद राजानाक समय में उत्तरा खण्डैकि तीर्थ यात्रा में आईं।  गंगोली तीर्थ यात्रा में लै आई और मंणकोटीक राजाक दरवार नें लै गई।  राजाल उनंकू प्रतिष्ठा पूर्वक आपण दगाड़ ठहरा और रिखाड़ी ग्राम जागीर में दे। बाद मे उप्रेतिन थैं बेर ल्हिबेर उप्रेत्यड़ा या उप्राड़ गांव लै जागीर में दे।
जयदेवक पुत्र रविदेव
रविदेवक पुत्र रामदेव
रामदेवक पुत्र भानुदेव
भानुदेवक पुत्र श्रीधर
श्रीधरक पुत्रं बलभद्र
बलभद्रक पुत्र शिवदेव
शिवदेवक तीन पुत्र भई- दामोदर, शंभुदेव , भानुदेव
दामोदराक द्वि पुत्र भई शर्म और श्रीनाथ
शंभुदेवाक एक पुत्र भवदास
भानुदेवाक द्वि पुत्र नाथू और विश्वरूप
ये चार भाइयों नामाल पंत चार घरानों में विभाजित छन
१- शर्म २-श्रीनाथ ३- नाथू ४- भवदास

सन १५०० लगभग उप्रेती घरान अत्यचारी हुणा कारण राजाक दृष्ट बै उतर गेईं और मणकोटी दरवार में यौं चारो पंत भाइनैक प्रतिष्ठा मिली।  शर्म राज वैद्य , श्रीनाथ राजगुरु, नाथू पौराणिक और भव दास सेनाध्यक्ष हैगाय।

नाथूक भाइ विश्वरूप उप्रेतियोंक सम्बन्धि हुणा कारण उप्रेतियौं पक्ष में बड़ी रैई।  राजैल कदुके समझा पर उनूल उप्रेतियों कैं नी छोड़, न भाइयौंक कई मानौ।  हट करबेर उनार दगाड़ बड़ी रई यै लिजी हटवाल कहलाई।  क्वे कूनी दरबार हबेर नाराज हबेर हाट में रूण लागी यै लिजी हटवाल कहलाई।

सन १५६५ में चंद राज अल्माड़ में ऐगोय, मणकोटी राज और राज्य लै वी में सामिल हैगोय।  चंद राजानौक दरबार में पन्तनैक प्रतिष्ठा बढ़ते गे ।उनूमे भाल भाल शास्त्रज्ञ, विद्वान, कवि, उत्तम वैद्य समय समय पर होते रई।

शर्म पंत -
अल्मोड़ा, उप्रड़ा, कुनलता, बरसायत, बड़ाऊं, जजूट, मलेरा, अधार, छखाता,  मालूज में रूनी।
श्रीनाथ पंत - तलाड़ी, पांडेखोला, अग्रौन में रूनी ।
नाथू पंत- डुमालखेत, खूंट, ज्योली, सिलौटी में रुनी ।
भवदास य भौदास पंत- पाली, स्यूनराकोट, गरौं, भटगांव, धनौली, खनवाली आदि मैं रूनी ।

पाराशरी पंत
पं० जयदेव ज्यू सांथ उनार बहनोई पाराशर गोत्री पं० दिनकर राव पंत लै महाराष्ट्र बटि आईं।उनैकूं राजा मणकोटील जोग्यूड़ गांव जागीर में दी।  उनार वंशज काल सिला, पिपलेत, चिंटगल,और गंगोली में रूनी।  कोई कोई इनौर मूल पुरुषक नाम नीलमणि लै बतूनी।

वशिष्टगोत्री पंत- 
उपरोक्त द्वि पंतनाक हबैर कुछ वशिष्ठ गोत्री पंत लै कुमाऊँ में छन।  यों लोग बलना और कुंड़कोली में रूनी।  यौ पराशर और भारद्वाज गोत्री पंतन में शादी ब्याह करनी।
"कुमाऊं का इतिहास" में लिख राखौ कि शर्म, श्रीनाथ,और नाथू पंत मांस नी खान बांकी पंत लोग मांस खानी।

चार मुख्य पंत, पांडे, जोशि और त्याड़ि बामणनौक इतिहास पुर हैगो आब अघिन कै उप्रेती, भट्ट, कोठारी, पाटणी, उपाध्याय,मठपाल,आदि आदिक बार में लिखणौंक प्रयास करि जाल।
यैक अलावा ३०० हबेर लै ज्यादे प्रकारक ब्राह्मण कुमाऊं मे रूनी बताई जानी कुछ तो यां मध्य काल में खस- राजपूतन्क समय बटि रूनी बताई जानी।

उप्रेती-
पं० रुद्र दत्त पंत के अनुसार कत्यूरी राजनाक समय डोटिक चौकी दांव बै शंभु शर्मा जो कि कन्नौजिया ब्राह्मण छी काली कुमाऊँ में आईं।  जो गांव में उं रूछी वीक नाम प्रेती उर्फ पेती गांव छी । यैक लिजी उप्रेती कहलाई।  यौ लोग पेती, कूँ, सूपाकोट, आदि आदि स्थानन में रूनी।

पं० राम दत्त ज्यौतिर्विद लिखनी कि - द्रविड़ देशाक बाजपेयी महाराष्ट्र ब्राह्मण शिवप्रसाद मणकोटी राजा समय आईं।  राजल उत्प्रेत्यड़ा गांव यनुकूं रूणा लिजि दे।  यौं चार धड़ मे सिंह, श्रीधर, देव, और पृथ्वीधर मे बट गई।

उपेरेती मणकोटी राजाक बजीर रैई पर इनूल दगा करबेर राज कैं मरै दे।  राणील आपौण राजकुमार कैं पंत लोगनकैं सौंप दे और सती हगे।
उप्रेती राज्याधिकार हबेर च्युत हगाय।
बाद मे यौं चद दरबार में लै रैई।
चौगर्खा, खेती धूरा, कफलनी, सुपाकोट, पाटिया, अले, कुमाऊँ मेंर बांकूबिंडा, सोर में हूड़ैती, बागेश्वराक उत्तर में फल्दाकोट में यौ लोग रूनी।  झिजाड़ में लै सूपाकोटाक उप्रेती रूनी।
पाट्या, झिझाड़, सुपाकोट वाल आपंकू एक वंशाक बतूनी और बांकिन कैं और वंशाक बतूनी।  पं० गंगादत्त उप्रेती उप्रेतिनन कैं महाराष्ट्रियन ब्राह्मण बतूनी।

पाठक-
पं० श्री जनार्दन शर्मा सारस्वत ब्राह्मण थानेश्वर कुरुक्षेत्र बटि मणकोटि राजाक यां गंगोली में आईं।  राजाल उनकैं कालिका देवीक मंदिर में पाठ करणा लिजि नियुक्त करौ । तब बटि यौं पाठक कहलाई।  जो जाग में पाठकनैल रूंणा लिजि कुड़ (मकान) बणा उ जाग पठ +कुड़ यानि कि पठक्यूड़ा कई जाण भगौय।
पं० रामदत्त ज्यौतिर्विद यनुकूं शांडिल्य गोत्री कान्य कुब्जी नरोत्तम वेदपाठीक (जो अवध के सौंडी पाली गांव में रूंछी ) वंशज बतूनी।
दसौली, कराला,ज्योली, दुसौर पठग्यूड़ में लै कुछ पाठक रूनी यौ सायद कैं और बै आई छन।
अटकिंसन कूनी कि कश्यप गोत्री पाठकनौक मूल पुरुष श्री कमलाकर छी जो अवधाक सनारपाली गांव बटि आई और मणकोटी राजा राज्य में रैई।  ऊं य लै कूनी कि शांडिल्य गोत्री पाठकनौक मूल पुरुषजनार्दन थानेश्वर बटि आई छी।  पल्याल घरानाक पाठक पाली में रूनी।
( साभार कुमाऊँ का इतिहास- पं० बद्रीदत्त पाण्डे कुमाऊँ केशरी)


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ