
कुमाऊँ में भट्ट व अन्य ब्राह्मण
कुमाऊँ में बामणनाक बार में जाण लियो जरा।
लेखक: भुवन चन्द्र पांडे
कुमाऊँ मे बामण- पैलियैकि पोस्ट हबेर अगिल कै।-
भट्ट -
विशाड़ाक भट्टनाक मूल-पुरुष श्रीविश्व शर्मा दक्षिण द्रविड़-देश बटि बम राजनाक जमान में सोर में आंई। बम राजैल उनकूं वेदपाठी समझ बेर आपंण राज्य में आश्रय दे। विश्वाड़ गौं में जो बाद में विशाड़ कई जां जागीर दे । और कुछ समय बाद राज कर्मचारी लै बणा। अब यौ लोग विशाड़, पल्यूं, खेतीगांव, पांडेखोल्, काशीपुर रामनगर आदि जागन में रूनी।
विशाड़ाक भट्टों अलावा कुछ और प्रकाराक भट्ट लै छन जो राजा भीष्म चन्दाक बखत बनारस बटि दक्षिंण भारताक आई। राजल उनुकूं शुद्ध ब्राह्मण देखबेर दरबार में हलवाइ बड़ा। यौ खान्दानक लोग अल्माड़ मे रूनी।
बिसौताक यानि कि भटकोटाक भट्ट आपुंण कैं काशी बटि आई बतूनी।
भट्ट - ( कुछ और )
अटकिंसन कूं कि भट्ट लोग भारद्वाज,उपमन्यु, विश्वामित्र और कश्यप गोत्री हुनी। यौ लोग कुनी कि हम भट्टाचार्य छि। कुछ लोग राजा अभय चंद जमान और कुछ लोग राजा भीष्म चन्द समय में आपुकैं आई बतूनी । क्वै कूनी कि यौं, द्वि भाइ श्री और हर आईं जो राजाक यां नौकर भईं । यौं जो जो गौं में रैई उनू पै यनैर नाम पड़गो जस कि बड़ुवा, कपोली, धनकोटा, डालाकोटी, मठवाल । यौ लोग सब आपस में ब्या कर ल्हिनी । भट्टन में कुछ लोग देश में महाब्राह्मणनौक काम लै करनी और ग्रहण दान लै ल्हिनी । भेड़ बकरी और घ्वड़ौक दान लै ल्हिनी, ब्या, वृतपंद, नामकरण में लै दक्षिंणा ल्हिनी।
कुछ पुजारि लै आंपण कैं भट्ट बतूनी। जागेश्वराक पंड जो बड़ू कई जानी आपुंकूं भट्ट कूनी और कूनी कि यौं राजा उद्यान चन्दक समय में बनारस बटि आईं। पर ज्यादा प्रचलित बात यौ छु कि यौ दंक्षिणाक भट्टनैकि सन्तान छन जो उन जगंमनाक दगाड़ आईं जनुकूं आदि संकराचार्यल मठ और मन्दिरन मे धरौ। जंगम दगा आई भटज्यूल पहाड़ बामंणि दगा ब्या करौ जैकि सन्तान बटुक यानि कि बड़ु कैई गैयीं।
राम दत्त ज्यू लिखनी कि-आदि संकराचार्य समय में कुमारिल स्वामी यां आई जनार दगाड़ भट्ट ब्राम्हण लै छी, वील यां पहाड़ी बामण कन्या दगाड़ ब्या करल्है। वीक सन्तान जागेश्वर मन्दिराक पुजारी छन और बड़ू कई जानी।
कुमाऊँ में अन्य ब्राह्मण -
मंटनिया- दक्षिण बटि आई। मनटांण गांव रूहूं मिलौ यै लिजी मंटनिया कई जानी। श्रीचंद त्रिपाठील यौनेरी भौत परवरिश करी। अल्माड़ में जमीन में हिस्स दे, तब बट यौ अल्माड़ाक हर काम में ऊंछी, अब के हूं पत्त न्हैं ।
दुमका- यौ पैली पाली पंछाऊं रूंछी । नारायण तिवाड़ील यनुकूं आपुं आश्रम मे धरौ। तब बटि यौ अल्माड़ में रूनी ।
पनेरू- गणेश पनेरू राज सोमचंद दगाड़ कुमाऊँ आ, यैक वंशज पनेरू कहलाई ।
कुमाऊंक इतिहासकार रुद्र दत्त पंत ज्यूक अनुसार भौत ब्राह्मण कुमाऊंक पुराण ब्राह्मण कई जानी जनौर पछ्यंण उनौर गौं नामल हुं जस कि हाट में रूंणी हटवाल ( द्वाराहाट, तैलीहाट,सैलीहाट, डिडीहाट, आदि)
चहज गौंक पुरान ब्राह्मण चहजी उर्फ चौदसी कई जानी, यौ लोग चहज, दत्वाली,तपाड़ा, चिफड़ध़ा,खोली में रूनी। यौ ज्यौतिशी काम करनी यै लिजी जोशी लै कई जानी ।
गुराणी- गुराण गांव पर
छिम्बाल- छिमी गांव पर
मंटनिया-मटना गांव पर
कपोली- कपोला गांव पर
दुगाल- दुग गांव पर
बनौला- बनौली गांव पर
सनवाल- सन गांव पर
पछ्याणी जानी ।
और लै गांवनाक नाम पर जाती प्रसिद्ध छन -
बगड़वाल,सेलाकोटी, मनौली, नेउली, रेगनी, पवनै, शिवनै, जनकंडिया, जुकंडिया, गहत्याड़ी, चौसाल, कफड़िया, कफलिया, धरवाल, मुनगली, मतोली, नयाल, अघै, कनौणियां, बटौला, चमड्याल, बेलाल, सती, खत्या, मनकुन्या, मनोली, अगरवाल, चिनाल, खोनिया, सुनाल, आदि ।
पं० राम दत्त ज्योतिर्विद लेखनी कि गांव और वृति ( कार्य ) नामल भौत जाति कुमाऊँ मे छन जस कि पुज करणी पुजारी,भक्ति करणी भक्त या भगत, दरबार में हरिकीर्तन करणी हरबोला, फूल दिंणी फुलारा, मठैकि रक्षा करणी मठपाल, दुर्ग या मन्दिरैकि रक्षा करणी दुर्गापाल, रांणि कैं मंत्र दिणी गुरुराणी, बेल दिवेर आशिर्वाद दिंणी बेलवाल, यैस प्रकाराक करीब ३०० हबेर लै अधिक ब्राह्मण जाती छन । कुछ तो पंत, पाण्डेक सन्तान छन, कोई देश बटि इकलै अबेर बसी छन ।
यस बताई जां कि कपिलाश्रमी, दुर्गापाल,मठपाल,भक्त गल्ली जोशिनाक वंशज छन, हैड़िया, पढ़नली सिल्वाल जोशिनाक संतान छन, सती, सुनाल बिजरौला ब्रजवाजी ब्राह्मणैकि ससंन्तान छन, तनवाल, ल्वैसाली त्रिपाठी संन्तान छन, बिलवाल, कैनी पाठकनैकि नस्ल छु, सुयाल, बलूटिया,बमेटा आपुकूं त्रिपाठी बतूनी।
यौ बिषय में अटकिसंनौक खोज लै छु, राजा रुद्र चंदौर विभाजन लै छू, गंगादत्त उप्रेतीक मत लै छू जो भौत विस्तृत छन। कैलै उच्च कोटिक ब्राह्मणनौक विवरण दिराखौ, कैलै भौतनकैं द्वतीय श्रेणी में धर राखौ। या सब लेखण सम्भव न्हैं।
संदर्भ-" कुमाऊँ का इतिहास" बद्री दत्त पाण्डे
जो दगड़ी और जानकारीकरंण चानी बद्रिदत्त पांण्डे ज्यूक "कुमाऊं का इतिहास " पढ़ सकनी।
बी० सी० पाण्डे।
भट्ट -
विशाड़ाक भट्टनाक मूल-पुरुष श्रीविश्व शर्मा दक्षिण द्रविड़-देश बटि बम राजनाक जमान में सोर में आंई। बम राजैल उनकूं वेदपाठी समझ बेर आपंण राज्य में आश्रय दे। विश्वाड़ गौं में जो बाद में विशाड़ कई जां जागीर दे । और कुछ समय बाद राज कर्मचारी लै बणा। अब यौ लोग विशाड़, पल्यूं, खेतीगांव, पांडेखोल्, काशीपुर रामनगर आदि जागन में रूनी।
विशाड़ाक भट्टों अलावा कुछ और प्रकाराक भट्ट लै छन जो राजा भीष्म चन्दाक बखत बनारस बटि दक्षिंण भारताक आई। राजल उनुकूं शुद्ध ब्राह्मण देखबेर दरबार में हलवाइ बड़ा। यौ खान्दानक लोग अल्माड़ मे रूनी।
बिसौताक यानि कि भटकोटाक भट्ट आपुंण कैं काशी बटि आई बतूनी।
भट्ट - ( कुछ और )
अटकिंसन कूं कि भट्ट लोग भारद्वाज,उपमन्यु, विश्वामित्र और कश्यप गोत्री हुनी। यौ लोग कुनी कि हम भट्टाचार्य छि। कुछ लोग राजा अभय चंद जमान और कुछ लोग राजा भीष्म चन्द समय में आपुकैं आई बतूनी । क्वै कूनी कि यौं, द्वि भाइ श्री और हर आईं जो राजाक यां नौकर भईं । यौं जो जो गौं में रैई उनू पै यनैर नाम पड़गो जस कि बड़ुवा, कपोली, धनकोटा, डालाकोटी, मठवाल । यौ लोग सब आपस में ब्या कर ल्हिनी । भट्टन में कुछ लोग देश में महाब्राह्मणनौक काम लै करनी और ग्रहण दान लै ल्हिनी । भेड़ बकरी और घ्वड़ौक दान लै ल्हिनी, ब्या, वृतपंद, नामकरण में लै दक्षिंणा ल्हिनी।
कुछ पुजारि लै आंपण कैं भट्ट बतूनी। जागेश्वराक पंड जो बड़ू कई जानी आपुंकूं भट्ट कूनी और कूनी कि यौं राजा उद्यान चन्दक समय में बनारस बटि आईं। पर ज्यादा प्रचलित बात यौ छु कि यौ दंक्षिणाक भट्टनैकि सन्तान छन जो उन जगंमनाक दगाड़ आईं जनुकूं आदि संकराचार्यल मठ और मन्दिरन मे धरौ। जंगम दगा आई भटज्यूल पहाड़ बामंणि दगा ब्या करौ जैकि सन्तान बटुक यानि कि बड़ु कैई गैयीं।
राम दत्त ज्यू लिखनी कि-आदि संकराचार्य समय में कुमारिल स्वामी यां आई जनार दगाड़ भट्ट ब्राम्हण लै छी, वील यां पहाड़ी बामण कन्या दगाड़ ब्या करल्है। वीक सन्तान जागेश्वर मन्दिराक पुजारी छन और बड़ू कई जानी।
कुमाऊँ में अन्य ब्राह्मण -
मंटनिया- दक्षिण बटि आई। मनटांण गांव रूहूं मिलौ यै लिजी मंटनिया कई जानी। श्रीचंद त्रिपाठील यौनेरी भौत परवरिश करी। अल्माड़ में जमीन में हिस्स दे, तब बट यौ अल्माड़ाक हर काम में ऊंछी, अब के हूं पत्त न्हैं ।
दुमका- यौ पैली पाली पंछाऊं रूंछी । नारायण तिवाड़ील यनुकूं आपुं आश्रम मे धरौ। तब बटि यौ अल्माड़ में रूनी ।
पनेरू- गणेश पनेरू राज सोमचंद दगाड़ कुमाऊँ आ, यैक वंशज पनेरू कहलाई ।
कुमाऊंक इतिहासकार रुद्र दत्त पंत ज्यूक अनुसार भौत ब्राह्मण कुमाऊंक पुराण ब्राह्मण कई जानी जनौर पछ्यंण उनौर गौं नामल हुं जस कि हाट में रूंणी हटवाल ( द्वाराहाट, तैलीहाट,सैलीहाट, डिडीहाट, आदि)
चहज गौंक पुरान ब्राह्मण चहजी उर्फ चौदसी कई जानी, यौ लोग चहज, दत्वाली,तपाड़ा, चिफड़ध़ा,खोली में रूनी। यौ ज्यौतिशी काम करनी यै लिजी जोशी लै कई जानी ।
गुराणी- गुराण गांव पर
छिम्बाल- छिमी गांव पर
मंटनिया-मटना गांव पर
कपोली- कपोला गांव पर
दुगाल- दुग गांव पर
बनौला- बनौली गांव पर
सनवाल- सन गांव पर
पछ्याणी जानी ।
और लै गांवनाक नाम पर जाती प्रसिद्ध छन -
बगड़वाल,सेलाकोटी, मनौली, नेउली, रेगनी, पवनै, शिवनै, जनकंडिया, जुकंडिया, गहत्याड़ी, चौसाल, कफड़िया, कफलिया, धरवाल, मुनगली, मतोली, नयाल, अघै, कनौणियां, बटौला, चमड्याल, बेलाल, सती, खत्या, मनकुन्या, मनोली, अगरवाल, चिनाल, खोनिया, सुनाल, आदि ।
पं० राम दत्त ज्योतिर्विद लेखनी कि गांव और वृति ( कार्य ) नामल भौत जाति कुमाऊँ मे छन जस कि पुज करणी पुजारी,भक्ति करणी भक्त या भगत, दरबार में हरिकीर्तन करणी हरबोला, फूल दिंणी फुलारा, मठैकि रक्षा करणी मठपाल, दुर्ग या मन्दिरैकि रक्षा करणी दुर्गापाल, रांणि कैं मंत्र दिणी गुरुराणी, बेल दिवेर आशिर्वाद दिंणी बेलवाल, यैस प्रकाराक करीब ३०० हबेर लै अधिक ब्राह्मण जाती छन । कुछ तो पंत, पाण्डेक सन्तान छन, कोई देश बटि इकलै अबेर बसी छन ।
यस बताई जां कि कपिलाश्रमी, दुर्गापाल,मठपाल,भक्त गल्ली जोशिनाक वंशज छन, हैड़िया, पढ़नली सिल्वाल जोशिनाक संतान छन, सती, सुनाल बिजरौला ब्रजवाजी ब्राह्मणैकि ससंन्तान छन, तनवाल, ल्वैसाली त्रिपाठी संन्तान छन, बिलवाल, कैनी पाठकनैकि नस्ल छु, सुयाल, बलूटिया,बमेटा आपुकूं त्रिपाठी बतूनी।
यौ बिषय में अटकिसंनौक खोज लै छु, राजा रुद्र चंदौर विभाजन लै छू, गंगादत्त उप्रेतीक मत लै छू जो भौत विस्तृत छन। कैलै उच्च कोटिक ब्राह्मणनौक विवरण दिराखौ, कैलै भौतनकैं द्वतीय श्रेणी में धर राखौ। या सब लेखण सम्भव न्हैं।
संदर्भ-" कुमाऊँ का इतिहास" बद्री दत्त पाण्डे
जो दगड़ी और जानकारीकरंण चानी बद्रिदत्त पांण्डे ज्यूक "कुमाऊं का इतिहास " पढ़ सकनी।
बी० सी० पाण्डे।
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