
मुनस्यारी अर्थात "सार संसार एक मुन्स्यार"
(मुनस्यारी कुमाऊँ का प्रमुख पर्यटक स्थल है)
देवभूमि उत्तराखंड के कुमाऊं अंचल में स्थित मुन्स्यारी के सौन्दर्य के बारे में स्थानीय कुमाऊँनी भाषा में एक उक्ति प्रसिद्ध है "सार संसार, एक मुनस्यार"। जिसका अर्थ है कि सारा सात महाद्वीपों युक्त संसार एक तरफ और मुन्स्यारी का सौंदर्य एक तरफ यानि चाहे आप सारे संसार का भ्रमण कर लें, लेकिन यदि आपने मुन्स्यारी नहीं देखा तो फिर पूरा संसार नहीं देखा। वास्तव में ही मुन्स्यारी की पूरी खूबसूरती इसके सामने हिमाच्छादित पर्वत श्रृंखलाओं और नजदीक के सुन्दर प्राकृतिक स्थलों और यहां की मोहक सांस्कृतिक विरासत में निहित है।
उत्तराखंड के पूर्वी पहाड़ी जिले पिथौरागढ़ में स्थित मुनस्यारी, पूर्व की ओर नेपाल तथा उत्तर में तिब्बत की सीमा से लगे सीमांत क्षेत्र में छोटा सा पहाड़ी कस्बा है, जिसे 'लिटिल कश्मीर' के नाम से भी जाना जाता है। यह क्षेत्र प्रकृति प्रेमियों, साहसिक खेल प्रेमियों और पर्वतारोहियों के लिए एक तीर्थस्थल के समान है। यहाँ से हिमालय पर्वतमाला की पंचचूली हिम-श्रृंखला का एक मनमोहक दृश्य मन को प्रफ़ुल्लित कर देता है। विस्मयकारी हिमालय की पांच चोटियों वाली पंचाचूली पर्वतमाला, जिसे कोई पांच पांडवों के स्वर्गारोहण करने के दौरान प्रयोग की गई पांच चूलियां (कुमाऊँनी में चुल्हा) कहते हैं और यह भी कहते हैं की पांडवों ने अपनी अंतिम यात्रा में स्वर्ग की ओर बढ़ने से पहले हिमालय क्षेत्र में आखिरी बार यहीं पर खाना बनाया था। तो कोई इन चोटियों को हिमालय पर साक्षात रहने वाले देवों के देव महादेव के पंचमुखी पांच रूप मानते हैं।

मुनस्यारी तिब्बत जाने वाले प्राचीन 'नमक मार्ग' पर पड़ता है और जोहार घाटी का प्रवेश द्वार भी है जो गोरियम नदी के मार्ग के साथ मिलम ग्लेशियर में इसके स्रोत तक फैला हुआ है। इसके पास ही जोहार घाटी है, जो बीते समय में तिब्बत के साथ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार करने का यात्रा मार्ग हुआ करता था। बंगाल से लेकर कश्मीर व हिमांचल सहित पूरे देश भर से व्यापारी यहां नमक व ऊन के बने वस्त्रों की खरीद फरोख्त के लिए आया करते थे। उस दौर की ऐतिहासिक यात्राओं से सम्बंधित ढेरों यादें यहां आज भी शेर सिंह पांगती जी द्वारा स्वयं के प्रयासों से तैयार एक बड़े संग्रहालय में देखी जा सकती हैं। इस संग्रहालय को देखना भी मुन्स्यारी यात्रा का एक बड़ा आकर्षण होता है।
मुनस्यारी समुद्र ताल से २,२९८ मीटर की ऊंचाई पर एक एक छोटा सा पर विकसित हिमालयी टाउनशिप है जो स्कीइंग और अन्य शीतकालीन खेलों के केन्द्र के रूप में तेजी से विकसित हो रहा है। साथ ही यह गोरीगंगा नदी के तट पर स्थित यह एक तेजी से विकसित हो रहा पर्वतीय पर्यटन स्थल भी है। मुनस्यारी के पास स्थित कालामुनि व खलिया टॉप की ढलानों पर स्कीइंग से सम्बंधित सुविधाएं उपलब्ध हैं। इस स्थान की हल्की घुमावदार व सुरक्षित ढलानों पर अंतराष्ट्रीय स्तर का स्कीइंग स्थल बनने की पूरी संभावनाएं हैं। कालामुनि में स्थानीय लोगों की गहरी आस्था का केंद्र मां दुर्गा का प्रसिद्ध मंदिर भी है। नवरात्रों में यहां के उल्का देवी मंदिर में ढोल, वाद्य यंत्र व नगाड़ों की भक्तिमय गूंज के साथ ‘मिलकुटिया’ का बहुत बड़ा मेला लगता है।

हिमालयी ग्लेशियर के उत्साही भ्रमणकर्ता, ऊंचाई पर जाने वाले ट्रेकर्स और प्रकृति प्रेमी आमतौर पर इसे अपने आधार शिविर के रूप में उपयोग करते हैं। मुनस्यारी विराट हिमालय पर्वत श्रृंखला के आधार पर स्थित होने के कारण हिमालय के आंतरिक भाग में विभिन्न ट्रेक का एक प्रारंभिक बिंदु होने के साथ ही नंदादेवी चोटी के आरोहण का आधार शिविर भी है। नन्दा देवी चोटी के अलावा पंचाचूली की चोटियों, मिलम, नामिक और रालम ग्लेशियरों के लिए ट्रेकिंग का बेस कैंप भी है। देश के ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटक भी यहां ट्रेकिंग और माउंटेनियरिंग के लिए आते हैं।
सामान्य पर्यटकों के लिए बेटुलीधार, डानाधार और खलिया टॉप मुनस्यारी के नजदीक स्थित खूबसूरत पिकनिक स्पॉट हैं। मुनस्यारी में आसपास के ग्रामीण इलाकों में लंबे ट्रेक हैं जिनके आस-पास लुढ़कती हरी-भरी ऊँचाई वाले मैदानी इलाके में कई बुग्याल हैं। मुनस्यारी से नीचे घाटी में कल-कल बहती गोरी गंगा में रिवर राफ्टिंग की रोमांचकारी सुविधा भी उपलब्ध है। गोरी गंगा घाटी क्षेत्र को ट्रेकिंग प्रेमियों के लिए स्वर्ग माना जाता है। इसके जलागम क्षेत्र में गोड़ीपार, जल्थ, जेती, नानासैंण, शमेर्ली, शंखधुरा व सुरंगी जैसे छोटे-छोटे गांवों का नजारा भी आने वालों को आकर्षित करता है। इस क्षेत्र में कई जगह औषधीय गुणों युक्त गंधक की मौजूदगी बताई जाती है, जिसके प्रभाव से गोरी गंगा के जल में कई त्वचा रोगों संबंधी औषधीय गुण बताए जाते हैं।

मुनस्यारी में कुदरत अपने आंचल में तमाम खूबसूरत नजारों के साथ अमूल्य पेड़-पौधे व तमाम जड़ी-बूटियों को छुपाए हुए है। यहां के तिकसेन नाम के बाजार में उच्च हिमालयी क्षेत्रों पाए जाने वाले जंबू, गंधरैणी, काला जीरा आदि मसाले/जड़ी-बूटियां, यहां की खास बड़े आकार की राजमा दाल तथा यहां घर-घर में पलने वाली भेड़ों से प्राप्त पश्मीना ऊन व उससे बनी चीजें खास आकर्षण होती हैं। मुन्स्यारी वाइल्डलाइफ प्रेमियों व बर्ड वांचिंग शौकीनों के लिए भी एक विशिष्ट स्थान रखता है। यहाँ वाइल्ड लाइफ एडवेंचर्स और बर्ड वॉचर्स के लिए विस्लिंग थ्रस, वेगटेल, हॉक कूकू, फॉल्कोन और सर्पेंट ईगल सहित सैकड़ों प्रजाति के दुर्लभ व सुन्दर पक्षियों की चहचहाहट सुनने का अवसर मिलता है। वही यहाँ के पहाड़ी वन क्षेत्र में गुलदार, कस्तूरी मृग व पर्वतीय भालू आदि वन्य जीवों की गूंज आसानी से सुनी जा सकती है और दर्शन भी किये जा सकते हैं।
सितम्बर से नवम्बर यानी हेमंत ऋतु के समय यहां आने के सबसे उपयुक्त कहा जा सकता है, इस दौरान यहां धुले-धुले आसमान से बेहद खुशनुमा प्राकृतिक नजारे दृष्टिगोचर होते हैं। इन दिनों में साफ व सुहावने मौसम में यहां से सुर्योदय और सूर्यास्त के दौरान विशेष रूप से स्वर्णिम आभा के साथ दमकती पंचाचूली की चोटियों का नजारा अद्भुत सौंदर्य लिए होता है। नवम्बर से फरवरी तक की सर्दियों में मुन्स्यारी के कालामुनि कि चोटी हिमाच्छादित रहती है, अक्सर होने वाली बर्फवारी के साथ ही इस दौरान यहां उत्तराखंड के राज्य वृक्ष बुरांश पर खिले सूर्ख लाल दमकते फूलों के नजारे तो स्वर्ग में होने जैसे दिव्य होते हैं, किन्तु इस समय दुर्गम क्षेत्र होने के कारण सामान्य पर्यटकों का पहुंचना कठिन होता है। वर्षाकाल में भी भारी वर्षा से सड़कों के खराब रहने और अक्सर होने वाले भू-स्खलन के कारण मार्ग बंद हो जाने की संभावना लगातार बनी रहती है।

वहीं गर्मियों के मौसम में मुन्स्यारी की शीतलता मैदानों की गर्मी की तपन से झुलसे मानव शरीर में नए प्राण भर देती है। यह समय ट्रेकिंग के लिए सर्वश्रेष्ठ रहता है। लेकिन ज्यादातर आसमान में धुंध की वजह से दूरी से हिमालय की पंचाचूली व अन्य पर्वत श्रृंखलाओं के खूबसूरत दृश्य नहीं दिखाई दे पाते हैं। गर्मियों के दिनों में ठहरने के लिए पूर्व आरक्षण करवा लेना उचित होगा क्योंकि होटल, लॉज और गेस्ट हाउसों के भरे होने की समस्या रहती है। आवासीय सुविधा के लिए कुमाऊं मंडल विकास निगम के शानदार रेस्ट हाउस के साथ ही लोक निर्माण विभाग का गेस्ट हाउस और कई प्राइवेट होटल तथा होम स्टे की सुविधाएं भी उपलब्ध हैं।
बिर्थी जलप्रपात:
मुनस्यारी के आस पास स्थित प्राकृतिक खजानों में आप यहां के बिर्थी जलप्रपात की सैर का प्लान बना सकते हैं। मुनस्यारी जाने वाले रास्ते पर यह स्थल मानसिक और आत्मिक शांति के लिए एक आदर्श विश्राम स्थल है। यहां तक पहुंचने के लिए आपको मुख्य शहर से 35 किमी का सफर तय करना पड़ेगा। अपने अद्भुत दृश्यों के साथ यह जलप्रपात कुमाऊं मंडल में स्थित कुछ चुनिंदा पिकनिक स्पार्ट के रूप में भी जाना जाता है। पहाड़ी परिदृश्य के साथ यहां का हरा-भरा वातावरण सैलानियों को आनंदित करने का काम करता है। इन सब के अलावा यह स्थान लंबी पैदल यात्रा और ट्रेकिंग के लिए भी अच्छा है क्योकि बस से कुछ किमी का सफर करने के बाद आपको यहां तक पहुंचने के लिए कुछ किमी ट्रेकिंग करके ही आना होगा। ट्रेकिंग सफर के बीच आप आसपास के प्राकृतिक दृश्यों का आनंद भी ले सकते हैं।

कालामुनि टॉप:
मुनस्यारी शहर के रास्ते पड़ने वाला कालामुनि टॉप स्थल भी यहां के नजदीकी पर्यटन स्थलों में से एक है। मुख्य शहर से १४ किमी के फासले पर स्थित यह पहाड़ी गंतव्य समुद्र ताल से लगभग 9600 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह स्थल ऊंचाई पर बसा है इसलिए इसे कालामुनि टॉप टॉप के नाम से जाना जाता है। धार्मिक महत्व के अलावा पंचाचूली पर्वत श्रृंखला के अद्भुत दृश्य इस स्थान को खास बनाने का काम करते हैं। वैसे प्राकृतिक दृश्यों से भरा यह स्थान अपने धार्मिक महत्व के लिए काफी विख्यात है। यहां मां काली को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है जिस वजह से यह स्थान शहर और आसपास के गांवों में एक पवित्र स्थान के रूप में जाना जाता है। कुमाऊँ के अन्य मन्दिरों की तरह ही यहां के मंदिर में भी पारंपरिक मान्यता का पालन किया जाता है जिसके अंतर्गत श्रद्धालु मंदिर परिसर में घंटी बांधकर देवी से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।

थमरी कुंड:
मुनस्यारी से पहाड़ी खूबसूरती का नजारा लेने के अलावा अगर आप पैदल चलना पसन्द करते है तो यहां थमरी कुंड की सैर पर जा सकते हैं। थमरी कुंड इस कुमाऊं घाटी में स्थित सबसे ताजे पानी की झील मानी जाती है जो एक छोटी सी बारहमासी झील है। पहाड़ों पर घने और ऊंचे-मोटे वृक्षों से घिरा एक रोमांचक ट्रेक रूट इस झील की ओर जाता है। ट्रेक के माध्यम से मुख्य शहर से इस झील तक पहुंचने के लिए लगभग 8 घंटों का समय लग जाता है। इसलिए अगर आप पहाड़ों पर ट्रैकिंग के शौक़ीन हों तभी यहाँ आयें और तैयारी के साथ शहर से सुबह तड़के ही निकलें। थमरी कुंड अल्पाइन के पेडों से घिरा हुआ है जो इस जगह का शानदार दृश्य प्रदान करते हैं। अगर आप सौभाग्यशाली हुए तो आपको झील के आस-पास कस्तुरी मृग के साक्षात् दर्शन भी हो सकते हैं।

महेश्वरी कुंड:
थमरी कुंड के अलावा आप यहां महेश्वरी कुंड की सैर का प्लान भी बना सकते हैं। मुनस्यारी से कुछ दूर स्थित महेश्वरी कुंड एक प्राचीन झील है, जिसके साथ कई स्थानीय पौराणिक मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं। माना जाता है कि यह झील किसी यक्ष से सम्बन्धित है, एक बार किसी वजह से जब प्रतिशोध लेने के लिए मुनस्यारी के ग्रामीणों ने इस झील को सूखा दिया था तो यक्ष ने उनसे बदला लेने का फैसला किया, जिसके बाद यह पूरा शहर सूखे की चपेट में आ गया। गांव को बचाने के लिए ग्रामीणों को यक्ष से माफी मांगनी पड़ी थी और इस परंपरा का पालन आज भी यहां किया जाता है। महेश्वरी कुंड से देखने पर पंचाचूली पर्वत श्रृंखला अपने आपको एक अद्भुत रूप पेश करती है।

मदकोट:
उपरोक्त स्थानों के अलावा आप मुनस्यारी से ५ किमी के फासले पर स्थित मदकोट की यात्रा का प्लान बना सकते हैं जो अपने गर्म पानी के प्राकृतिक कुंड के लिए जाना जाता है। माना जाता है कि भूमि से उत्पन्न गर्म पानी का स्रोत त्वचा संबंधी रोग, बदन दर्द और गठिया जैसी बीमारियों को ठीक करने में सक्षम है। यह खूबसूरत स्थल शहरी भीड़भाड़ से अलग एक शांत परिवेश में स्थित है, जहां सैलानियों को एक अलग शांति और संतुष्टि का अनुभव होता है। मुनस्यारी से मदकोट आप पैदल, निजी वाहन या कैब सेवा के माध्यम से भी पहुंच सकते हैं।

तो ये था मुनस्यारी के आसपास स्थित कुछ आकर्षक स्थल का विवरण जहां का प्लान आप साल के किसी भी माह बना सकते हैं। लेकिन अक्टूबर-नवम्बर और मार्च से जून ज्यादा उपयुक्त होगा क्योंकि जुलाई से सितम्बर में बरसात तथा दिसंबर-जनवरी में अत्यधिक ठण्ड और बर्फ़बारी में इसके दूरस्थ होने के कारण साहसिक पर्यटकों और ट्रेकर्स के अलावा अन्य पर्यटकों के लिए परेशानी हो सकती है।
मुन्स्यारी पहुंचने के लिए दो रास्ते हैं पहले रास्ते से निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम और हल्द्वानी लगभग ३०० किमी की दूरी पर स्थित हैं। यहां से अल्मोड़ा और आगे धौलछीना, सेराघाट, गणाई, बेरीनाग, चौकोड़ी से थल, नाचनी, टिमटिया, क्वीटी, बिर्थी, डोर, गिरगांव, रातापानी और कालामुनि होते हुए सड़क मार्ग से मुनस्यारी पहुंचा जाता है। हल्द्वानी से नजदीकी हवाई अड्डा पंतनगर ३० किमी के दूरी पर है पर यहां से हवाई सेवाएं नियमित नहीं हैं, आपको पहले पता करना पडेगा। वैसे नियमित हवाई सेवा केवल दिल्ली तक ही है, दिल्ली से हल्द्वानी-काठगोदाम तक ट्रैन या टैक्सी से आने पर मुन्स्यारी तक की सड़क मार्ग से दूरी लगभग ६१० किमी है। दूसरा रास्ता पूर्वी भारत से निकटम रेलवे स्टेशन टनकपुर से चम्पावत पिथौरागढ़ होते हुए मुनस्यारी पहुंचा जा सकता है जो मुनस्यारी से लगभग २७० किमी की दूरी पर स्थिंत है।
0 टिप्पणियाँ