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रामबांस (Americal agave)

रामबांस को पशुओं और जंगली जानवरों से सुरक्षा हेतु खेत की मेड़ों पर लगाया जाता है। Rambans or American agave is a useful wild plant in Kumaun Hills


रामबांस (Americal agave)

लेखक: शम्भू नौटियाल

रामबांस (Botanical Name: Agave americana) को पशुओं और जंगली जानवरों से सुरक्षा हेतु खेत की मेड़ों पर लगाया जाता था परंतु अब यह एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक रेशा प्रदान करने वाली फसल के रूप में उभर रही है। इसकी पत्तियों से उच्च गुणवत्ता युक्त मजबूत और चमकीला प्राकृतिक रेशा जो प्राप्त होता है। 

विश्व में रेशा प्रदान करने वाली प्रमुख फसलों में रामबांस का छटवाँ स्थान है और पौध रेशा उत्पादन में दो प्रतिशत की हिस्सेदारी है। वर्त्तमान में हमारे देश में लगभग 12000 टन रामबांस रेशे का उत्पादन होता है, जबकि 50000 टन रेशे की आवश्यकता है। भारत को प्रति वर्ष रामबांस के रेशे अन्य देशों जैसे तंजानिया, केनिया आदि से आयात करना पड़ता है।

रामबांस यानि सेंचुरी प्लांट (एगेव) प्रजाति की विभिन्न किस्मों अर्थात एगेव सीसलाना एगेव कैनटला, अमेरिकाना, एगेवएमेनियेनसीस, एगेव फोरक्रोयडेस एगेव एनगुस्टीफोलिया इत्यादि की पत्तियों से रेशा प्राप्त होता है। सीसल (एगेव सीसलाना) एगेव वर्ग के एगेभेसीवंशज के अन्तर्गत आता है। इसकी पत्तियां 2 से 3 फिट लम्बी होती है जिनके अग्र भाग यानि टिप पर नुकीले कांटे होते है। स्वतंत्रता से पहले रामबांस उत्तराखंड बड़ा आर्थिक महत्व की वनस्पति थी। इससे मजबूत रस्सियाँ बनाई जाती थी यह मजबूत रस्सियाँ बगैर फैक्ट्री व कैमिकल के बगैर तैयार होती थी जिनका उपयोग पुल बनाने में होता था। रामबांस से बाड़ तो लगाई जाती थी साथ में रामबांस से रेशे मिलते थे। रामबांस से कपड़े धोये जाते थे। रामबांस कई दवाइयों में काम आता था। रामबांस के कोमल कोपलों के भाजी भी खायी जाती थी।

इसके अतिरिक्त चीनी व शराब भी रामबांस से बनाई जाती थी। भारत में पत्तियों से रेशा प्राप्ति वाली फसलों में सीसल अर्थात खेतकी एक अत्यधिक महत्वपूर्ण फसल है। सीसल के पौधों को उगाकर मिट्टीके कटाव को भी रोका जा सकता है। खेत के चारों तरफ सीसल की बाड़ (फेंसिंग) लगाने से जानवरों से फसल की सुरक्षा की जा सकती है। इसका रेशा मजबूत सफ़ेद और चमकीला होता है। इसका उपयोग समुद्री जहाज के लंगर का रस्सा और औद्योगिक कल-कारखानों में भी होता है। इसके अलावा गद्दी, चटाई, चारपाई बुनाई की रस्सी और घरेलू उपयोग में प्रयोग किया जाता है। सीसल का रेशा उत्कृष्ट किस्म के कागज बनाने में उपयोग किया जाता है।

वर्तमान में इसका अनेक प्रकार की वस्तुएं बनाने में उपयोग किया जा रहा है। जैसे कि फिशिंग नेट, कुशन, ब्रश, स्ट्रेप चप्पल और फैन्सी सामग्री के रूप में लेडीज बैग, कालीन, बेल्ट, फ्लोर कवर, वाल कवर इत्यादि के अलावा घर को सजाने के लिए विभिनन प्रकार की सजावट की वस्तुएं बनायी जा रही हैं। सीसल के रेशे से बनायी गयी वस्तुएं अपेक्षाकृत मजबूत टिकाऊ और सस्ती होती है। सीसल रेशा निकलने के बाद शेष कचरे में हेकोजेनीन पाया जाता है। जिसका कारटीजोन हार्मोन बनाने में उपयोग किया जाता है। इसके अलावा कचरे का उपयोग जैविक खाद के रूप में भी किया जाता


श्री शम्भू नौटियाल जी के फेसबुक पोस्ट से साभार
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