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गिलोय, गुर्जो या गुडुची (Tinospora cordifolia)


गिलोय, गुर्जो या गुडुची (Tinospora cordifolia)
लेखक: शम्भू नौटियाल

गिलोय, गुर्जो या गुडुची वानस्पतिक नाम: टीनोस्पोरा कार्डीफोलिया (Tinospora cordifolia): एक बहुवर्षीय लता होती है।  इसके पत्ते पान के पत्ते के तरह होते हैं। गिलोय इतनी गुणकारी होती है कि इसका नाम अमृता रखा गया है। आयुर्वेद में इसे ज्वर की महान औषधि माना गया है एवं जीवन्तिका, अमृता, गुडुची, छिन्नरुहा, चक्रांगी, आदि नामों से जाना जाता है। गिलोय की लता जंगलों, खेतों की मेड़ों, पहाड़ों की चट्टानों आदि स्थानों पर सामान्यतः कुण्डलाकार चढ़ती पाई जाती है।

वैज्ञानिक विश्लेषण के अनुसार इसमें एल्केलाइड गिलोइन नामक कड़वा ग्लूकोसाइड, वसा, अल्कोहल, ग्लिसरॉल व उडनशील तेल होते हैं।  इसकी पत्तियों में कैल्शियम, प्रोटीन, फॉस्फोरस और तने में स्टार्च पाया जाता है। वायरसों की दुश्मन गिलोय रोग संक्रमण रोकने में सक्षम होती है। यह एक श्रेष्ठ एंटीबयोटिक और एंटीवायरल तत्‍व भी होते है।  योगगुरू बाबा रामदेव के अनुसार गिलोय के सेवन (गिलोय के साथ तुलसी, कालीमिर्च व हल्दी का काढ़ा पीकर) से कोरोना वाइरस को रोकने के लिए शरीर की इम्यूनिटी (प्रतिरोधकता) बढ़ाई जा सकती है।
नोटः इसके पत्तों का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके तने का ही प्रयोग करना चाहिए।

उपयोग व लाभ:
गिलोय को ज्वरनाशक के रूप में जाना जाता है। दवाइयों के सेवन करने के बाद भी यदि बुखार काम नहीं हो रहा ही तो गिलोय का नियमित प्रयोग करना चाहिए इससे शीघ्र ही ज्वर से मुक्ति मिलती है। इसमें सूजन कम करने, शुगर को नियंत्रित करने, गठिया रोग से लड़ने के अलावा शरीर शोधन के भी गुण होते हैं। गिलोय हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढाती है। गिलोय सभी प्रकार के बुखार में विशेष रूप से डेंगू, चिकनगुनिया, स्वाइन फ्लू, कोरोना वाइरस बचाव हेतु प्रतिरोधक तन्त्र को मजबूत करने में फायदेमंद होती है। इसके नियमित सेवन से फ्लू जैसी बीमारियों के होने आ खतरा कम होता है। सभी प्रकार के जीर्ण च्वरों को दूर करने में गिलोय बहुत फायदेमंद है। यह सर्दी, खासी, जुकाम में भी फायदेमंद है। गिलोय कोलेस्ट्रोल को कम करती है और खून में शुगर के नियंत्रण में सहायता करती है।

गिलोय के नित्य प्रयोग से चेहरे पर तेज आता है और असमय ही झुर्रिया नहीं पड़ती। जोड़ों के रोग में भी फायदेमंद है। कामला यानी जॉन्डिस रोग में इसकी पत्तियों का पाउडर शहद के साथ लेने से या इसकी पत्तियों का काढ़ा बनाकर पीने से फायदा होता है। हेपटाइटिस बी में इसके सेवन से लाभ मिलता है। रक्तवर्द्धक होने के कारण यह खून की कमी यानी एनीमिया में बहुत लाभ पहुंचाती है। यदि डेंगू बुखार आ रहा हो तो उसके लिए मरीज को गिलोय घनवटी दवा का सेवन करना चाहिए तो बुखार में आराम मिलता है। डेंगू बुखार में गिलोय का काढ़ा सर्वोत्तम मन जाता है। जिनकी आंखों की रोशनी कम हो रही हो, उन्हें गिलोय के रस को आंवले के रस के साथ मिलकर सेवन करने से आँखो की रौशनी बढ़ती है तथा अन्य तकलीफे भी दूर होती है। गिलोय का प्रयोग वात, पित्त और कफ तीनो विकारो से यह मुक्ति दिलाता है। गिलोय के रस का नियमित रूप से सेवन करने से पाचन तंत्र ठीक रहता है। गिलोय शरीर में रक्त कणिकाओं को तेजी से बढ़ाता है।



मधुमेह अर्थात डायबिटीज की समस्या वाले रोगियों के लिए गिलोय बहुत ही फायदेमंद होती है। नितमित सेवन से रक्त में शर्करा का स्तर कम होता है। मोटापे की समस्या से पीड़ित व्यक्तियों को गिलोय के रस का सेवन करना चाहिए, इसके एक चम्मच रस में एक चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम लेने से मोटापा दूर हो जाता है। गिलोय में एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ते है, गिलोय किडनी और लिवर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाल रक्त को साफ करती है। नीम के पत्तो व आंवले के साथ गिलोय का काढ़ा बनाकर पीने से हाथ पैरों और शरीर की जलन दूर हो जाती है। गिलोय के पत्तों के रस को गुनगुना करके कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है। साथ ही गिलोय को पानी में घिसकर और गुनगुना करके दोनों कानों में दिन में 2 बार डालने से कान का मैल निकल जाता है। गर्मियों के मौसम में यदि उल्टी आने की शिकायत हो तो गिलोय के रस को लेने से उल्टी आने की समस्या से निजात मिलती है। गिलोय के रस या गिलोय के रस में शहद मिलाकर सेवन करने से पेट से संबंधित सभी रोग ठीक हो जाते है। गिलोय और शतावरी को साथ पीस कर एक गिलास पानी में मिलाकर पकने के बाद जब उबाल कर काढ़ा आधा रह जाये तो इस काढ़े को सुबह-शाम पीने से पेट की तकलीफो से निजात मिलती है। इसके लिए गिलोय के पत्तों को हल्दी के साथ पीसकर खुजली वाले स्थान पर लगाने से या सुबह-शाम गिलोय का रस शहद के साथ मिलाकर पीने से खुजली से मुक्ति मिलती है। इस जड़ी बूटी में शक्तिशाली गुण होते हैं जो प्रभावी रूप से दोषपूर्ण पाचन का इलाज कर सकते। गुडुची के लाभ निम्न हैं-

1. पाचन रोगों का इलाज करता है
गुडुची(Guduchi) पाचन रोगों जैसे अतिसंवेदनशीलता, कोलाइटिस, भूख की कमी, पेट दर्द और हेपेटाइटिस जैसी जिगर की बीमारियों का इलाज करता है।
2. क्रोनिक बुखार का इलाज करता है
गुडुची संयंत्र का स्टार्च पुराने बुखार के इलाज के लिए एक घरेलू उपाय है, भूख और ऊर्जा को बढ़ाने के दौरान जलने की उत्तेजना को कम करता है।
3. रेनल बीमारियों का इलाज करता है
गुडुची(Guduchi) रक्त यूरिया के स्तर को कम कर देता है और गुर्दे कैलिकुली से छुटकारा पाने में मदद करता है।
4. संधि विकार का इलाज करता है।
गुडुची और सनथी का संयोजन गठिया और संधि रोगों जैसी स्थितियों का इलाज कर सकता है।
5. मधुमेह उपचार
गुडुची, निंबा और वासा का मिश्रण प्रभावी रूप से मधुमेह का इलाज कर सकता है। कहा गया कानकोक्शन की खपत से रक्त शर्करा का स्तर कम हो जाता है।
6. हेपेटाइटिस और जांडिस का इलाज करता है
गुडुची(Guduchi) में गुणों को डिक्सीफाइड करने का गुण है जो प्रभावी रूप से हेपेटाइटिस और पीलिया का इलाज कर सकते हैं। एक नैदानिक ​​के अनुसार, चूहों को यकृत विषाक्तता से प्रेरित किया गया था। चूहों को गुडुची के साथ शराब दिया गया था। चूहों के यकृतों को उससे निकाल कर संरक्षित किया गया था जिसमें हेपेट्रोप्रोटेक्टीव प्रभावकारिता दिखाई दे रही थी।
7. एक कायाकल्प के रूप में कार्य करता है: गुडुची मनुष्यों में ऑक्सीडेटिव तनाव को कम कर देता है। अत: मानसिक दवाब और चिंता को दूर करने के लिए उपयोग अत्यधिक लाभकारी है। गिलोय चूर्ण को अश्वगंधा और शतावरी के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है। इसमेंयाददाश्त बढ़ाने का गुण होता है। यह शरीर और दिमाग पर उम्र बढ़ने के प्रभाव की गति को कम करता है।
यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है जो समय से पहले उम्र बढ़ने से भी बचा सकता है।



गर्भवती महिलाओं को बिना चिकित्सकीय सलाह के इसके इस्तेमाल से बचना चाहिए।
इसमें अनेकों गुण हैं; इनके सम्पूर्ण गुणों का बखान करना आसान कार्य नहीं है। इसको घर या कार्यस्थल के पास जरूर लगाये यह असली मनी प्लांट हैं, नकली मनी प्लांट के बजाय इसकी डंठल काट कर घर में किसी गमले में या मिटटी में लगा देंगे तो ये वहां अपने आप उग जाएगी।

 

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