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आओ लौट आओरे तुम फिर आपुणा पहाड़


आओ लौट आओरे तुम फिर आपुणा पहाड़
रचनाकार: राजन चन्द्र जोशी

आओ लौट आओरे तुम फिर आपुणा पहाड़,
तुम्हरि बाट देखिं री यांका बन्द पड़ी घर द्वार।

रतिब्याण्ड उठनतकै सुणला मधुर कोयल की बोल,
दुपहरी में ठन्डी पानी पिबेर पत चलल पहाड़ मोल।
साँझ पडनतक देखला फैटन चाड़न आपन घोल,
रातहें मडुवा रवाट खाबेर भुल जाला मोमो और रोल।
आबतें समझी रे आपण पित्रों भूमि पहाड़क मोल।

आओ लौट आओरे तुम फिर आपुणा पहाड़,
तुम्हरि बाट देखिं री यांका बन्द पड़ी घर द्वार।

राजन चन्द्र जोशी
फोटो सोर्स: गूगल

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