'

महातीर्थ शिवधाम बागेश्वर

शिवधाम बागेश्वर बागनाथ मन्दिर,Bagnath temple Bageshwar, Bageshwar ka Bagnath mandir

कुमाऊँ का महातीर्थ शिवधाम बागेश्वर

लेखकदुर्गा दत्त जोशी

दुर्वासा जी के द्वारा बागेश्वर का महात्म्य बताया गया। बागेश्वर का पुराणों के अनुसार महत्व।  काशीभुवं च संत्यज्य तथा कैलाश पर्वतम्। सरयू नैव सन्त्यज्या शंकरप्रेयसी यतः।सरयू जान्हवीं विध्दिं यमुना विध्दि गोमतीम्। विन्ध्यं नीलाचलं राजन् साक्षात् कांचनसंन्निभम्। अश्वत्थमक्षयवटं माधवं विंदुमाधवम्। प्रयागम् तीर्थराजं च विध्दिं संगममध्यगम्। विश्वेश्वरम् च वागीशं पुरीं चण्डीशकल्पिताम्। विध्दिं वाराणसीं दिव्यामुत्तरस्यां शिवप्रियाम्।

काशी और कैलाश छूट जाय सरयू कभी न छोड़ें क्योंकि सरयू भगवान शंकर को अत्यंत प्रिय है। सरयू को गंगा और गोमती को यमुना जानो। नील पर्वत को विंध्य पर्वत अथवा सुवर्णाचल जानो।यहां स्थित पीपल को अक्षयवट, माधव की मूर्ति को विंदुमाधव समझो, दोनों नदियों के संगम को तीर्थराज प्रयाग समझो। भगवान बागनाथ को विश्वेश्वर शिव इस पावन नगरी को वाराणसी का दूसरा रूप यानी उत्तर वाराणसी समझो। इस क्षेत्र के कीड़े,मक्खियां, चींटिया सियार आदि जंगली जानवर जलजंतु मानव आदि सभी मृत्यु के बाद सीधे शिवपुरी जाएंगे।
वागेश्वर पुरी काशी से करोड़गुना ज्यादा पवित्र और मोक्षदायिनी है। यहां आकर जघन्य पाप भी नष्ट होते हैं।
शिवधाम बागेश्वर बागनाथ मन्दिर,Bagnath temple Bageshwar, Bageshwar ka Bagnath mandir

मुनि दुर्वासा कहते हैं इस पावन बागेश्वर में आकर गोमती सरयू में स्नान कर भगवान भोलेनाथ की नाभि का यहां पूजन करते हैं उन्हें तीन सौ वरँष तक शिवपूजन का फल मिलता है। जोभी यहां आकर सोना वागीश को अर्पण करता है लह यथेप्सित सुख भोगकर अपने करोड़ों कुलों के साथ शिवलोक जाता है। बागीश्वर जैसा तीर्थ और पतित पावनी सरयू जैसी नदी तीनों लोकों में नहीं है।
शिवधाम बागेश्वर बागनाथ मन्दिर,Bagnath temple Bageshwar, Bageshwar ka Bagnath mandir

दुर्गा दत्त जोशी
 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ