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त्रायमाण (Himalayan Gentian, Indian gentian)

त्रायमाण (Himalayan Gentian or Indian gentian) हिमालय का एक गंभीर रूप से विलुप्ति के कगार पर पहुँचा औषधीय हर्बल पौधा है  Himalayan Gentian is a herb and medicinal plant grow in high altitude area of Himalayan region

त्रायमाण (Himalayan Gentian, Indian gentian)

लेखक: शम्भू नौटियाल

त्रायमाण (Himalayan Gentian, Indian gentian) इसका वानस्पतिक नाम- जेंटियाना कुरू रॉयल: Gentiana kurroo है तथा कुल-जेंटियानसी: (Gentianaceae) से संबन्धित है। त्रायमाण या हिमालयन जेंटियन हिमालय का एक गंभीर रूप से विलुप्ति के कगार पर पहुँचा औषधीय हर्बल पौधा है जो उत्तराखंड में लगभग 1800-2700 मीटर तक की ऊंचाई पर कुछ ही स्थानों पर पाया जाता है।  त्रायमाण पौधे को पत्थरों और चट्टानों के बीच 1 फीट की ऊंचाई तक देखा जा सकता है।

त्रायमाण (Himalayan Gentian or Indian gentian) हिमालय का एक गंभीर रूप से विलुप्ति के कगार पर पहुँचा औषधीय हर्बल पौधा है  Himalayan Gentian is a herb and medicinal plant grow in high altitude area of Himalayan region

फूल गहरे नीले से बैंगनी रंग के होते हैं और फल 0.5 से 0.75 इंच व्यास के होते हैं। वर्षात के मौसम के बाद सितम्बर से अक्टूबर इसमें फूलों को देखा जाता है। इसकी जड़ भूरे या राख के रंग की होती है। इसके बेमिसाल फायदे जानकर आपको आश्चर्य होगा कि खड़ी चट्टानी पहाड़ियों पर उगने वाला यह पौधा आयुर्वेद में कितना खास महत्व रखता है।

त्रायमाण (Himalayan Gentian or Indian gentian) हिमालय का एक गंभीर रूप से विलुप्ति के कगार पर पहुँचा औषधीय हर्बल पौधा है  Himalayan Gentian is a herb and medicinal plant grow in high altitude area of Himalayan region

औषधीय उपयोग:

इस पौधे की जड़ में पाचन विकारों के उपचार में हर्बल कड़वा के रूप में उपयोग का एक लंबा इतिहास है और कई हर्बल मेडिसिन का एक घटक है। यह पुरानी बीमारी से थकावट की स्थिति में और दुर्बलता के सभी मामलों में, पाचन तंत्र की कमजोरी और भूख की कमी में विशेष रूप से उपयोगी है। यह मानव प्रणाली के सबसे अच्छे रक्षकों में से एक है, यह यकृत, पित्ताशय की सुरक्षा और पाचन तंत्र को उत्तेजित करने के लिए एक टाॅनिक है। यकृत विकारों, अपच, गैस्ट्रिक संक्रमण और एनोरेक्सिया के उपचार में आंतरिक रूप से लिया जाता है। जड़ को शरद ऋतु में काटा जाता है और बाद में सुखाकर उपयोग के लिए रखा जाता है।

त्रायमाण (Himalayan Gentian or Indian gentian) हिमालय का एक गंभीर रूप से विलुप्ति के कगार पर पहुँचा औषधीय हर्बल पौधा है  Himalayan Gentian is a herb and medicinal plant grow in high altitude area of Himalayan region

यह एक शाकीय प्रजाति का यह पौधा है जो उदर रोगों के साथ ही खून साफ करने, मधुमेह समेत अन्य कई रोगों में रामबाण माना जाता है। यही खूबियां इसके संकट की वजह बन गई हैं। 1960 के दशक से शुरू हुए इसके अनियंत्रित दोहन के कारण आज यह अस्तित्व बचाने की जिद्दोजहद में है। यही कारण भी है कि उत्तराखंड जैव विविधता बोर्ड ने त्रायमाण को संकटापन्न श्रेणी की वनस्पतियों में शामिल किया है। त्रायमाण प्राकृतिक धरोहर है, जिसे संरक्षित रखने को इसके अनियंत्रित दोहन को रोकने की सक्त आवश्यकता है। हालांकि वन विभाग द्वारा इसके संरक्षण हेतु कारगर कवायद शुरू कर दी गई है लेकिन आज विश्व वानिकी दिवस पर हमें भी हिमालय की जैवविविधता के लिए इस महत्वपूर्ण पौधे के संरक्षण के लिए शपथ लेनी चाहिए।



श्री शम्भू नौटियाल जी के फेसबुक पोस्ट से साभार
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