
मडुवा का आटा (Madua ka Atta)
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(लेखक: जगमोहन साह)
मडुवा उत्तराखंड का एक परंपरागत अनाज है। मंडुआ भारत में क्वादु, रागी और भी कई नामो से जाने वाला यह साधारण अनाज है।
किसी जमाने में गरीबों का खाना माना जाता था। परन्तु आज इसकी पौष्टिक गुणवता के मालूम होते ही, सब का चहेता अनाज बन गया है। आज यह गेहूं से बहुत महँगा हो गया है आसानी से उपलब्ध भी नहीं है। मडु़वे के आटे का इस्तेमाल रोटी, सूप, जूस, उपमा, डोसा, केक, चॉकलेट, बिस्किटस, चिप्स, और आर्युवेदिक दवा के रूप में होने लगा है। क्योंकि चिकित्सा विज्ञान ने माना है इसके आटे की रोटी खाने से शरीर में आसानी से कैल्शियम, प्रोटीन, ट्रिपटोफैन, आयरन, मिथियोनिन, रेशे, लेशिथिन इत्यादि महत्वपूर्ण स्वास्थ्यवर्धक तत्वों की पूर्ति हो जाती है।
पहाड़ी क्षेत्र में सर्दी के मौसम में, चूले की लकड़ी में सेकी गयी, मडु़वे की रोटी का गुड व पहाड़ी घी के साथ खाने का स्वाद, के कहने ही क्या, अद्भुत हैं। अब तो एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी तो इसके बिस्कुट, बेबी फुड आदि भी बनाने लगी है।
(प्रस्तुति: जगमोहन साह, बी ब्लाक, सेक्टर 62 नोएडा)
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