'

बच्चों और भेड़ों का मित्र - भोटिया कुत्ता (Himalayan Sheepdog)

भोटिया कुत्ते भेड़–बकरियों के संरक्षक व छोटे बच्चों के प्रति काफी स्नेह रखने वाले होते हैं। Himalayan Sheep Dog or Bhotia Dog friend of Kids and Sheep, Bhotiya Kutta

बच्चों और भेड़ों का मित्र-भोटिया कुत्ता (Himalayan Sheepdog)

प्राचीन काल से ही जब से मनुस्य ने पारिवारिक जीवन शुरु किया है, कुछ पशु-पक्षी उसके परिवार में एक सदस्य की तरह रहते आये हैं, जैसे कुत्ता बिल्ली, खरगोश, तोता, कबूत्तर आदि।  इस प्रकार पाले जाने वाले पशुओं में कुत्ता सबसे मुख्य पसंदीदा पशु रहा है जो परिवार के वातावरण में अन्य सदस्यों के साथ आसानी से घुल-मिल जाता है।  विश्व में विभिन्न तरह के वातावरण व खान-पान के अनुसार कुत्तों की विभिन्न प्रजातियां पायी जाती हैं तथा लोगो द्वारा अपनी सामर्थ्य के अनुसार विभिन्न प्रजातियों के कुत्तों की प्रजातियों को शौक के लिए पाला जाता है।

हमारे देश में पाश्चात्य संस्कृति तथा वस्तुओं के प्रति लगाव के कारण उच्च वर्ग में विभिन्न विदेशी प्रजाति के कुत्तों के पालने का प्रचलन रहा है।  जिस कारण कुत्तों की कुछ युरोपीय, अमरीकी, मंगोलियन तथा चीनी प्रजातियां भारत में विशेष लोकप्रिय रही हैं।  लेकिन इस सबके बावजूद सामान्य भारतीय घरों में देसी प्रजाति के भारतीय कुत्ते ही सबसे ज्यादा पाले जाते हैं क्योंकि उनकी कोई विशेष देखभाल की आवश्यकता नहीं होती है।   अगर हम अपने पहाड़ों की बात करें तो हमारे पहाड़ की सभी बातें अनोखी और रोचक होती हैं चाहे वो यहां का भोजन हो, यहां का पानी हो या फिर हमारा पर्यावरण।  इसी प्रकार हमारे यहाँ पर पशुओं की भी प्रजातियां देश के अन्य क्षेत्रों से भिन्न-भिन्न  होती हैं।

अगर पशुओं मे कुत्ते की बात करें तो पहाड़ में कुत्तों की मुख्य रूप से दो तीन प्रजातियां पायी जाती हैं।  एक सामान्य देशी कुत्ता, दूसरी प्रजाति पहाड़ों के भोटिया और देशी कुत्तों की संकर प्रजाति तथा कुत्तों की भारतीय नस्लों में पशुओं सबसे लोकप्रिय पहाड़ की पहचान  “भोटिया कुत्ता”।  इसका नाम आते ही हम अपने मन में एक भारी-भरकम, बड़े जबड़े और भीमकाय शरीर वाले, सामान्य तौर पर शान्त पर किसी भी आपातकालीन स्थिति में आक्रामक और खुंखार कुत्ते का चित्रण कर लेते हैं।

भोटिया कुत्ते का सामान्य परिचय(Description of himalayan sheepdog):

भोटिया कुत्ता उत्तरी भारत में पाए जाने वाले पशुधन जैसे भेड़–बकरियों के संरक्षक कुत्ते की एक नस्ल है, विशेष रूप से पश्चिमी हिमालय क्षेत्र,  हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्य के उच्च पहाड़ी क्षेत्रों में पाए जाते हैं। विभिन्न स्थानों पर इन्हें अलग-अलग नामों जैसे हिमालयन शीपडॉग, इंडियन पैंथर टीला, साथ ही महिदंत मस्टिफ और गद्दी कुत्ता भी कहा जाता है।

भोटिया कुत्ते की पहचान (Identification):

अगर इसके रंग रूप और आकार की बात करें तो भोटिया कुत्ते आमतौर पर काले और गहरे रंगों के होते हैं।  कभी-कभी लाल, काले-भूरे तथा काले-सफेद रंग का मिश्रण भी कई कुत्तों में देखने को मिलता है।  नर-भोटिया की ऊंचाई 28-34 इंच तक तथा मादा-भोटिया की 26-32 इंच के लगभग होती है।  नर-भोटिया का कुत्ते का वजन 45-80 किलोग्राम और मादा-भोटिया का 35-60 किलोग्राम के लगभग होता है।

पहाड़ी कुत्ते की यह प्रजाति तिब्बती मास्टिफ के समान है पर यह आकार में उतना भीमकाय और दिखने में उतना भयानक नहीं होता है।  यह तिब्बत के दूसरे लंबे बालों वाले किन्नौर शीपडॉग से संबंधित माना जाता है।  स्वाभाविक रूप से हिमालयन शीपडॉग यानी भोटिया हिमालय के पहाड़ी जीवन शैली का आनंद लेते हैं पर अपनी लोकप्रियता के कारण भारत के दूसरे क्षेत्रों में भी थोड़ा बहुत पाए जाते हैं।

भोटिया कुत्ते भेड़–बकरियों के संरक्षक व छोटे बच्चों के प्रति काफी स्नेह रखने वाले होते हैं। Himalayan Sheep Dog or Bhotia Dog friend of Kids and Sheep, Bhotiya Kutta

भोटिया कुत्तों का स्वभाव (Behaviour of Himalayan Sheepdog):

भोटिया कुत्ते की सक्रिय और तेज-तर्रार प्रकृति के कारण, यह नस्ल लंबे समय तक एक घर के अंदर रखने के लिए उपयुक्त नहीं है।  हिमालयन शीपडॉग यानी भोटिया कुत्ते को उनके स्वामियों द्वारा आम तौर पर झुंड के प्रहरी कुत्ते के रूप में इस्तेमाल किया जाता है  जिस कारण यह प्रजाति बड़ी मात्रा में बाहरी व्यायाम की आदि होती है। इस नस्ल को पालतू बनाने के लिए किसी डॉग ट्रेनर से प्रशिक्षण की ज्यादा आवश्यकता नहीं होती है।  अगर इनको प्रशिक्षण दिया भी जाये तो भोटिया कुत्तों के अपने स्वछंद और जिद्दी स्वभाव के कारण इस नस्ल को प्रशिक्षित करना मुश्किल हो सकता है।  भोटिया को केवल उन्हीं की आज्ञा का पालन करता है जिन पर वह विश्वास करता है।  जिस कारण इस नस्ल को प्रशिक्षित करने के लिए उचित देखभाल के साथ दैनिक व्यायाम शामिल है।

भोटिया सामान्य स्थिति में घर पर सुस्त और शांत दिखते हैं पर वह मालिकों के प्रति सौम्य, हर समय सतर्क और बड़े वफादार होते हैं।  भोटिया कुत्ते परिवार के छोटे बच्चों के प्रति बहुत ही शालीन और उनसे काफी स्नेह रखने वाले होते हैं।  आम कुत्तों की तरह अकारण या अनायास ही भौं-भौं नहीं करते बल्कि बड़ी सजगता से पहरेदारी करते हैं। वफादारी के साथ इनके बुद्धिमान और बलवान होने की खूबी इनको और भी खास बनाती है। अपने स्वामी के ऊपर किसी खतरे की आपात स्थिति में यह अजनबियों के साथ बड़े ही क्रूर और खूंखार हो जाते हैं।  जिस कारण परिवार में उन्हें एक उपयुक्त पारिवारिक पालतू सदस्य के रूप में इसको शामिल किया जा सकता है।

भोटिया कुत्ते की विशेषता (Importance of Himalayan Sheepdog):

पारम्परिक रूप से एक शक्तिशाली और मजबूत नस्ल के रूप में, हिमालयन शीप डॉग या भोटिया पहाड़ों मुख्य रूप से पशुपालन व रक्षा के उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है। भोटिया क्षेत्रीय रूप से एक वफादार साथी के साथ-साथ भेड़–बकरियों की सुरक्षा के लिए काफी लोकप्रिय है।  यह खूंखार जंगली जानवरों के लिए है जितना मारक और सतर्क है उतना ही अपने परिवार मालिक की सुरक्षा के लिए भी है। इनके अधिक भोजन करने की क्षमता ही इन्हें ताकतवर बनती है।  दूसरे कुत्तों की प्रजातियों से अलग भोटिया प्रजाति का कुत्ता सबसे समझदार, आज्ञाकारी तथा परिश्रमी होता है।

भोटिया कुत्ता स्थानीय चरवाहों द्वारा शिकार तथा पशुओं की बाघ, गुलदार या तेंदुए से सुरक्षा के उद्देश्यों के लिए, व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। आमतौर पर यह स्थानीय घुमन्तु भेड़–बकरी पालक लोगों के पास रहता है और मौका पड़ने पर यह अपने मालिक तथा मवेशियों की सुरक्षा के लिए वह बड़े से बड़े जंगली जानवर से भिड़ जाता है।  जिस कारण हिम तेंदुओं द्वारा हमलों को रोकने और मुँह-तोड़ जवाब देने के लिए इनका प्रयोग पहाड़ी चरवाहों द्वारा किया जाता है। इसका भीमकाय शरीर देख कर पहाड़ों के खूंखार शिकारी जंगली जानवर जैसे भेड़िये, लकड़बग्घे, तेंदुए और गुलदार आदि भी उससे सीधे टकराने का साहस नहीं कर पाते हैं।

भोटिया कुत्ते भेड़–बकरियों के संरक्षक व छोटे बच्चों के प्रति काफी स्नेह रखने वाले होते हैं। Himalayan Sheep Dog or Bhotia Dog friend of Kids and Sheep, Bhotiya Kutta

भोटिया कुत्ते की एक खासियत यह भी है कि यह भेड़ और बकरियों के झुण्ड को एक जगह पर इकठ्ठा रखता है।  भेड-बकरी पालने वाले घुमंतू लोग, इन भोटिया कुत्तों को अपनी व बकरियों की सुरक्षा की दृष्टि से सदैव अपने साथ रखते हैं।  भोटिया कुत्ते भेड़-बकरियों के झुण्ड के आगे-पीछे और दायें-बाएं, स्वाभाविक सुरक्षा व्यूह रचना में अपना-अपना मोर्चा संभाले साथ-साथ चलते रहते हैं।  भोटिया कुत्ते सैकड़ों भेड़-बकरियों के अलग-अलग झुंडों में भी अपने झुण्ड की सैकड़ों भेड़-बकरियों को बखूबी पहचानते हैं, क्या मजाल जो कोई इनके झुण्ड की बकरियों, सामान या छोटे बच्चों को हाथ लगा सके।  ऐसा कोई भी आभास होने पर बिना किसी पूर्व चेतावनी के उस व्यक्ति या जानवर पर तुरंत आक्रमण कर सकते हैं।  इनके स्वामी भेड़-पालक की विशेष सांकेतिक आवाज को समझने वाले ये कुत्ते विला-वज़ह ना तो भौंकते हैं और ना ही किसी पर आक्रमण करते हैं।

बकरी पालने वाले अच्छे भोटिया कुत्ते की पहचान कैसे करते हैं, इस बारे में प्रचलित है कि जब भोटिया कुत्ते का पिल्ला थोड़ा सा बड़ा होता है, तो उसे बकरियों के साथ जंगलों में छोड़ दिया जाता है।  शायद इसके आनुवांशिक लक्षणों के कारण या परिस्थितियों की वजह से यह अर्धवयस्क भोटिया कुत्ता बकरी के बच्चों की सुरक्षा में लगा रहता है और मुश्किल पड़ने पर उन्हें अपने जबड़े में प्यार उठाकर वापस मालिक के पास ले आता है।  भेड़ों के लिये इनके द्वारा अपने झुन्ड के लिए बनाया गया सुरक्षा चक्र अभे़द्य होता है और यह सबकुछ इन्हें बचपन से सिखाया नहीं जाता है। शायद ये आनुवांशिक है या फिर वास्तव में कोई चमत्कार ही है कि आप किसी भी भोटिया नस्ल के कुत्तों को भेड़ों के आस-पास छोड़ दीजिए, वो खुद ही ऐसा अभेद्य सुरक्षा चक्र बनाते हैं कि परिंदा भी भेड़ों के झुंड के आस-पास पर नहीं मार सकता।

भोटिया कुत्ते भेड़–बकरियों के संरक्षक व छोटे बच्चों के प्रति काफी स्नेह रखने वाले होते हैं। Himalayan Sheep Dog or Bhotia Dog friend of Kids and Sheeps

भोटिया कुत्तों की वफादारी तथा सजग पहरेदारी के वैसे तो कई रोचक किस्से स्थानीय लोगों में प्रचलित हैं।  किसी भी शत्रु की बकरियों के साथ शांत व मस्त चाल में चलते इन भोटिया कुत्तों से सावधान रहने में ही भलाई है।  नेसर्गिक प्रतिभा का धनी यह कुत्ता हिमालयी घास के मैदानों में भेड़ों के लिए प्रबंधक और सुरक्षा का कार्य करता है। दो कुत्ते 5०० से 6०० भेड़ों के झुंड को आसानी से संभाल लेते हैं और दो भोटिया कुत्तों के सामने हिम तेंदुआ, पहाड़ी तेंदुआ या गुलदार (स्थानीय रूप से इसे बाघ कहा जाता है) भी आने की हिम्मत नहीं करता। एक बाघ और एक कुत्ता हो तो मुकाबला जोरदार होता है अगर दो कुत्ते हो तो बाघ ज्यादा देर नहीं टिक पाता।  एक अकेला तंदुरुस्त भोटिया कुत्ता तेंदुए को लोहे के चने चबवा सकता है, लेकिन तेंदुआ तो शिकारी है मौका मिलते ही गर्दन दबोच लेता है इसीलिए इनके स्वामियों द्वारा कुत्ते की गर्दन को लोहे का सुरक्षा कवच देकर सुरक्षित किया जाता है।

भोटिया कुत्तों की उपलब्धता (Availability of Himalayan sheepdog):

निचले हिमालयी क्षेत्रों में इसकी मिलीजुली प्रजाति मिलती है परन्तु उच्च हिमालयी क्षेत्रों में इसकी शुद्ध प्रजाति मिलती है। इसके लिए आपको हिमाचल के कुछ भागों में, उत्तराखंड के गढ़वाल कुमाऊँ के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में जाना होता है। ये दुनिया में सबसे बुद्धिमान व महँगी प्रजातियों में आती है पर भारत सरकार की तरफ से इसके संरक्षण के लिए कुछ नहीं किया गया न ही इसकी शुद्ध प्रजाति को बचाने के लिए कोई मुहिम, निचले क्षेत्रों में लोगों द्वारा खरीदे कुत्तो की नश्ल मिश्रित हो गयी है। भेड़पालन ब्यवसाय कम होने के कारण इन्हे पूरा खाना और अत्यधिक ठंडी जलवायु नहीं मिल पाती. तिब्बत में इसकी सर्वश्रेष्ठ नश्ल पायी जाती है। हिमालयी क्षेत्रों में इनकी वफादारी सजग पहरेदारी पर कई रोचक किस्से हैं।

भोटिया, भूटिया या भोटी नाम से जाने जानी वाली कुत्तों कि यह प्रजाति दुनिया में सबसे महँगी ब्रीड में से एक कही जाने वाली तिब्बतन मस्टिफ का ही एक रूप मानी जाती है।  उत्तराखंड में बागेश्वर के उत्तरायणी मेले में प्रतिवर्ष भोटिया कुत्तों की बिक्री जोर-शोर से होती है।  उत्तरायणी मेले में कई व्यवसायी भोटिया कुत्तों के बच्चों को लेकर यहां पहुंचते हैं।  सिनौला में लगने वाली भोटिया मार्केट में कई व्यवसायी प्रतिवर्ष 50 से 60 हजार रुपये तक के भोटिया कुत्ते बेच लेते हैं।  वैसे उत्तराखंड के उत्तरकाशी, चमोली, बागेश्वर तथा पिथौरागढ़ के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में आने वाले पर्यटकों तथा पर्वतारोहियों द्वारा भी स्थानीय स्तर पर इन कुत्तों की खरीद वर्ष भर की जाती है।

भोटिया कुत्ते भेड़–बकरियों के संरक्षक व छोटे बच्चों के प्रति काफी स्नेह रखने वाले होते हैं। Himalayan Sheep Dog or Bhotia Dog friend of Kids and Sheep, Bhotiya Kutta

निचले हिमालयी क्षेत्रों में ज्यादातर इसकी मिलीजुली प्रजाति मिलती है लेकिन उच्च हिमालयी क्षेत्रों जैसे हिमाचल के कुछ भागों में, उत्तराखंड के गढ़वाल कुमाऊँ के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में में इसकी शुद्ध प्रजाति मिल सकती है।   ये विश्व में सबसे बुद्धिमान व महँगी प्रजातियों में आती है पर भारत सरकार की तरफ से इसके संरक्षण के लिए कुछ नहीं किया गया न ही इसकी शुद्ध प्रजाति को बचाने के लिए किसी अन्य स्तर से कोई प्रयास किये गये हैं।  भेड़पालन ब्यवसाय कम होने की वजह से इन्हे पूरा खाना और ज्यादा ठंडी जलवायु नहीं मिल पाती तथा निचले क्षेत्रों में लोगों द्वारा खरीदे कुत्तों की नस्ल मिश्रित हो गयी है।  कुकुर विशेषज्ञों का कहना है कि तिब्बत में अभी भी इसकी सबसे अच्छी नस्ल पायी जाती है।

भोटिया कुत्ते भेड़–बकरियों के संरक्षक व छोटे बच्चों के प्रति काफी स्नेह रखने वाले होते हैं। Himalayan Sheep Dog or Bhotia Dog friend of Kids and Sheeps

इंडिया पोस्ट द्वारा चार नस्लों (साइक) यानी हिमालयन शीप डॉग या भोटिया, रामपुर हाउंड, मुधोल हाउंड और राजतिलकम के लिए चार स्मारक डाक टिकट 9 जनवरी 2005 को जारी किए गए थे।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ