
उड़द दाल, माँस या माष (Black Gram)
लेखक: शम्भू नौटियाल
उड़द दाल, माँस या माष वानस्पतिक नाम विग्ना मूंगो (Vigna mungo (L.) Hepper) होता है। यह पादप कुल फैबेसी (Fabaceae) है। उड़द दाल को अंग्रेजी में ब्लैक ग्राम (Black gram) है। संस्कृत में इसे माष, कुरुविन्द, धान्यवीर, वृषांकुर, मांसल, बलाढ्य, पित्रृभोजन, बीजरत्न, बली, बीजवर; व हिन्दी में उड़द, उड़िद उरद, उर्दी कहते हैं। हमारे धर्म ग्रंथो में इसका कई स्थानो पर वर्णन पाया गया है। उड़द का उल्लेख कौटिल्य के “अर्थशास्त्र तथा चरक सहिंता” मे भी पाया गया है। वैज्ञानिक डी कॅडोल (1884) तथा वेवीलोन (1926) के अनुसार उड़द का उद्गम तथा विकास भारतीय उपमहाद्वीप मे ही हुआ है।
उड़द एक दलहन होता है और इसका तासीर भी ठंडा होता है। इसलिए उड़द दाल को घी में हींग का छौंक डालकर बनाया जाता है। उड़द की दाल को दालों की महारानी कहा जाता है क्योंकि उड़द को एक अत्यंत पौष्टिक दाल के रूप में जाना जाता है छिलकों वाली उड़द की दाल में विटामिन, खनिज लवण तो खूब पाए जाते हैं। उड़द काली तथा हरी आदि कई तरह की होती है। सब प्रकार के उड़दों में काले रंग की उड़द उत्तम मानी जाती है। वैद्यक ग्रन्थों में अनेक पौष्टिक प्रयोगों में उड़द दाल की प्रशंसा की गई है।
वास्तव में शाकाहारियों के लिए माष अर्थात् उड़द मांसवर्धक और पुष्टिकर होता है। उड़द दाल में कैल्शियम, पोटाशियम, आयरन, फैट, जिंक जैसे अनेक पौष्टिक तत्व हैं जो न सिर्फ स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है बल्कि यौन स्वास्थ्य के परेशानियों को सुधारने में भी मदद करते हैं। उड़द दाल में बहुत सारे पौष्टिक तत्व होते हैं जिसके कारण इस दाल को सिर दर्द, नकसीर, बुखार, सूजन जैसे अनेक बीमारियों के इलाज करने के लिए प्रयोग किया जाता है।

उड़द की दाल वात कम करने वाली, शक्तिवर्द्धक, खाने में रुची बढ़ाने वाली, कफपित्तवर्धक, वजन बढ़ाने वाली, रक्तपित्त के प्रकोप को कम करने वाली, मूत्र संबंधी समस्या में फायदेमंद, तथा परिश्रम करने वालों के लिए उपयुक्त आहार होता है। इसका प्रयोग पाइल्स, सांस की परेशानी में लाभप्रद होता है। इसके अलावा उड़द की जड़ अनिद्रा की बीमारी में बहुत फायदेमंद होती है क्योंकि इसके सेवन से नींद आती है। इसके पत्तों और डंडी का चूरा भी पशुओं को खिलाया जाता है।
उत्तराखंड के पहाड़ों में हर शादी ब्याह और मंगल कार्यों में शामिल सबसे लजीज पकवान उड़द दाल के पकोड़े भीगी दाल पीसने की रस्म किसी शुभ कार्य से पहले पहाड़ में काफी रोचक होती है। सामूहिकता की भावना से ओतप्रोत यह परंपरा उत्सव और उल्लास में सहभागिता का प्रतीक है। उड़द की इस दाल से बने पकोड़े शुभत्व और मंगलकारी माने जाते हैं, इसीलिए सहभोज से सबसे पहले पत्तलों में दो-दो पकोड़ियां परोसी जाती हैं और बागदान, बारात, बारपैटा यानी दुणौज और सलाहपट्टा में ले जाई जाने वाली दही की परोठी पर दो पकोड़ियां बांधी जाती हैं।
किसी शुभ कार्य के खत्म होने के बाद बांटे जाने वाले अरसे जैसे मीठे पकवानों में पकोड़ों का महत्व कलाई के साथ चूड़ी जैसा है। पहाड़ में पैंणा की पकोड़ी यानी शुभ कार्य के बाद पकवान बांटना अत्यंत सम्मान की भावना को दर्शाती है। दाल पीसने वाली महिलाओं को भी सम्मानस्वरूप टीका-पिठाईं लगाई जी है।
चैंसू:- चैंसू एक प्रोटीन युक्त लाजवाब व्यंजन है, जो कि काली दाल (उड़द) को पीसकर बनता है। यह हर पहाड़ी के लिए एक लोकप्रिय भोजन विकल्प है। चैंसू बनाने के लिए दाल को सिल या मिक्सी में पीसा जाता है। दाल का अच्छा पेस्ट तैयार कर उसे धीमी आंच पर पकाया जाता है और फिर भात के साथ खाया जाता है। बेहतर स्वाद के लिए इसे लोहे के बर्तन (कढ़ाई) में पकाया जाता है।
उड़द को एक अत्यंत पौष्टिक दाल के रूप में जाना जाता है छिलकों वाली उड़द की दाल में विटामिन, खनिज लवण तो खूब पाए जाते हैं और कोलेस्ट्रॉल नगण्य मात्रा में होता है। लेकिन उड़द को अपनी पाचन शक्ति को ध्यान में रखते हुए ही उपयोग करना चाहिए
1- धुली हुई दाल प्रायः पेट में अफारा कर देती है जबकि छिलकों वाली दाल में यह दुर्गुण नहीं होता है सप्ताह में तीन दिन भोजन में उड़द की छिलके वाली दाल का सेवन किया जाए, तो यह शरीर को बहुत लाभ करती है और यदि इसमें नींबू मिलाकर खाएँ तो इसका स्वाद बढ़ जाता है और पाचन भी सरल हो जाता है गरम मसालों सहित छिलके वाली दाल ज्यादा गुणकारी होती है।
2- यदि रोगी की जठराग्नि मंद हो तो उड़द का पाक या उड़द के लड्डू बनाकर सेवन कराते हैं उड़द की दाल को पिसवाकर उसमें सभी प्रकार के मेवे मिलाकर लड्डू बनाते हैं और ये लड्डू अत्यंत शक्ति वर्द्धक होते हैं इस लड्डू का सेवन निर्बल, कमजोर तथा व्यायाम करने वाले भी करते हैं इन लड्डुओं का सेवन सिर्फ शीत ऋतु में ही किया जाना चाहिए-शीत ऋतु में पाचन शक्ति प्रबल होती है इसलिए शीत ऋतु उत्तम मानी गई है।
3- उरद की दाल में कैल्सियम, पोटेशियम, लौह तत्व, मैग्नेशियम, मैंगनीज जैसे तत्व आदि भी भरपूर पाए जाते है और इसे बतौर औषधि कई हर्बल नुस्खों में उपयोग में भी लाया जाता है।
4- छिलकों वाली उडद की दाल को एक सूती कपडे में लपेट कर तवे पर गर्म किया जाए और जोड दर्द से परेशान व्यक्ति के दर्द वाले हिस्सों पर सेंकाई की जाए तो दर्द में भी तेजी से आराम मिलता है।
5- काली उडद को खाने के तेल में गर्म करते है और उस तेल से दर्द वाले हिस्सों की मालिश की जाती है जिससे दर्द में तेजी से आराम मिलता है और इसी तेल को लकवे से ग्रस्त व्यक्ति को लकवे वाले शारीरिक अंगों में मालिश करनी चाहिए इससे जादा फायदा होता है।
6- दुबले लोग यदि छिलके वाली उड़द दाल का सेवन करे तो यह वजन बढाने में मदद करती है जो लोग अपने दोनो समय के भोजन में उड़द दाल का सेवन करते है उन लोगों का अक्सर वजन में तेजी से इजाफा होता हैं।
7- फोडे फुन्सियों, घाव और पके हुए जख्मों पर उड़द के आटे की पट्टी बांधकर रखने से आराम मिलता है दिन में 3-4 बार ऐसा करने से आराम मिल जाता है।
8 -गंजापन दूर करने के लिए उड़द दाल एक अच्छा उपाय है-दाल को उबालकर पीस लिया जाए और इसका लेप रात सोने के समय सिर पर कर लिया जाए तो गंजापन धीरे-धीरे दूर होने लगता है और नए बालों के आने की शुरुआत हो जाती है।
9- उड़द के आटे की लोई तैयार करके दागयुक्त त्वचा पर लगाया जाए और फ़िर नहा लिया जाए तो ल्युकोडर्मा (सफ़ेद दाग)जैसी समस्या में भी आराम मिलता है।
10- जिन लोगों को अपचन की शिकायत हो या बवासीर जैसी समस्याएं हो उन्हें उडद की दाल का सेवन करना चाहिए। इसके सेवन से मल त्याग आसानी से होता है।

11- उड़द की बिना छिलके की दाल को रात को दूध में भिगो दिया जाए और सुबह इसे बारीक पीस लिया जाए तथा इसमें कुछ बूंदें नींबू के रस और शहद की डालकर चेहरे पर लेप किया जाए तथा एक घंटे बाद इसे धो लिया जाए इस तरह ऐसा लगातार कुछ दिनों तक करने से चेहरे के मुहांसे और दाग दूर हो जाते है और चेहरे में नई चमक आ जाती है।
12- उड़द की दाल में बहुत सारा आयरन होता है जिसे खाने से शरीर को बल मिलता है और आप एक बात ये भी जान लें कि इसमें रेड मीट के मुकाबले कई गुना आयरन होता है।
13- 20 से 50 ग्राम उड़द की दाल छिलके वाली रात को पानी में भिगो दें और सुबह इसका छिलका निकालकर बारीक पीस लें अब आप इस पेस्ट को इतने ही घी में हलकी आँच पर लाल होने तक भूनें फिर उसमें 250 ग्राम दूध डालकर खीर जैसा बना लें तथा इसमें स्वाद के अनुसार थोड़ी सी मिश्री मिलाकर इसका सुबह खाली पेट सेवन करें इससे शरीर,दिल और दिमाग की शक्ति बढती है और जी लोगो को कमजोरी के कारण हमेशा सर दर्द होता है उन लोगों के सर के दर्द में भी आराम होता है।
14- जिन लोगों की पाचन शक्ति प्रबल होती है वे यदि इसका सेवन करें तो उनके शरीर में रक्त, मांस, मज्जा की वृद्धि होती है चूँकि इसमें बहुत सारे घुलनशील रेशे होते हैं जो कि पचने में आसान होते हैं।
15- हृदय स्वास्थ्य-कोलेस्ट्रॉल घटाने के अलावा भी काली उड़द स्वास्थ्य वर्धक होती है यह मैगनीशियम और फोलेट लेवल को बढा कर धमनियों को ब्लॉक होने से बचाती है मैगनीशियम, दिल का स्वास्थ्य बढाती है क्योंकि यह ब्लड सर्कुलेशन को बढावा देती है।
16- यदि युवतियाँ इस खीर का सेवन करें तो उनका रूप निखरता है तथा स्तनपान कराने वाली युवतियों के स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।
17- पुरुष हो या स्त्री, उड़द के लड्डू या खीर का नियमपूर्वक सेवन तीन माह करने से नवयौवन मिलता है और यदि यौवन है तो वह और निखरता है।
18- एक सप्ताह तक इसका सेवन करने से पुराने से पुराना मूत्र रोग ठीक हो जाता है और यदि गर्भाशय में कोई विकार है तो दूर होता है।
19- उड़द की दाल को पानी में भिगो लें। जब यह पूरी तरह फूल जाए तब इसको पीसकर सिर पर लेप की तरह लगाने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
20- साबुत उड़द जले हुए कोयले पर डालें और इसका धुआं सूंघें। इससे हिचकी रोग ठीक हो जाता है।
21- उड़द को पीसकर घाव के ऊपर बाँधने से पस निकल जाती है तथा घाव ठीक हो जाता है।
22- उड़द के आटे में थोड़ी सौंठ,थोड़ा नमक,और थोड़ी हींग मिलाकर उसकी रोटी बनाकर एक तरफ से सेंक लें और उसको उतारकर कच्चे भाग की तरफ तिल का तेल लगाकर वेदनायुक्त स्थान पर बाँधने से वेदना का शमन होता है।
23- रात को 50 ग्राम उड़द की दाल भिगो दें। सुबह इसे पीसकर आधा गिलास दूध में स्वादानुसार मिश्री मिलाकर पीने से यह हृदय को शक्ति देता है।
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