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ग्लेडियोलस (Gladiolus)

ग्लेडियोलस विश्व का सुन्दर तथा आकर्षक शीतकालीन फूल है।Gladiolus is a decoration flower grown in Kumaon

ग्लेडियोलस (Gladiolus)

लेखक: शम्भू नौटियाल

ग्लेडियोलस (Gladiolus) वानस्पतिक कुल इरीडेसी (Iridaceae) से संबंधित है एवं उत्पति स्थान अफ्रीका है।  भारत में इसकी खेती अंग्रेजों द्वारा 16 से 17वीं शताब्दी में शुरू की गई थी।  यह भारत एवं विश्व का सुन्दर तथा आकर्षक शीतकालीन फूल है।  जिसका उपयोग कट-फ्लावर के रूप में गमलों एवं गुलदस्तों में किया जाता है। इसे मैदानी और पहाड़ी इलाकों की जलवायु में एक विस्तृत श्रृंखला में उगाया जा रहा है। 

यह अपनी आकर्षक पुष्प डंडी के लिए अति लोकप्रिय है।  इसके कंद से लगभग दो से तीन फुट लम्बी पुष्प डंडी निकलती है, जिस पर 12 से 18 पुष्प निकलते हैं। ग्लैडिओलस का नाम लैटिन शब्द ‘ग्लैडिओलस' से आया है, जिसका अर्थ 'तलवार' होता है, क्योंकि इसकी पत्तियों का स्वरूप तलवार की भाँति होता है। इसे ‘सोअर्ड लिली' भी कहते हैं।
ग्लेडियोलस विश्व का सुन्दर तथा आकर्षक शीतकालीन फूल है।Gladiolus is a decoration flower grown in Kumaon

औषधी के रूप में यह दस्त और पेट की गड़बड़ी के उपचार में पारंपरिक चिकित्सा में इस्तेमाल किया जाता है। विश्व में इसकी 33000 प्रजातियाँ है। जबकि हमारे देश में भी इसकी 700 से 800 किस्में उपलब्ध है। भारत में कुछ विकसित किस्मों में सपना, पूनम, नजराना, अप्सरा, अग्निरेखा, मयूर, सुचि़त्रा, मनमोहन, मनोहर, मुक्ता, अर्चना, अरूण और शोभा आदि हैं।

ग्लेडियोलस की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन बलुई दोमट मृदा जिसका पीएच मान 5.5 से 6.5 के बीच हो। साथ ही भूमि के जल निकास का उचित प्रबंध हो, सर्वोत्तम मानी जाती है। खुले स्थान जहां पर सूरज की रोशनी सुबह से शाम तक रहती हो, ऐसे स्थान पर ग्लेडियोलस की खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है। इस वर्ष लाॅकडाउन के दिनों 25 अप्रैल को गंगोत्री मंदिर को उत्तरकाशी के स्थानीय काश्तकारों के द्वारा उगाये गये ग्लेडियोलस के फूलों से सजाया गया था।

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