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मैती मुलुक (१)

कुमाऊँनी कविता आहा! उ हिसाव काफोव, घिगारु-किलमड़, दगड़ियां दगड़, तिमिल खाण में झगड़। Kumaoni Poem my beautiful native land is the best palce.

मैती मुलुक (१)

रचनाकार: घनश्याम अण्डोला

अहा!उ मैती मुलुक,
म्यर मैती मुलुक।

कतुप भल दिन छिया,
अहा! कतुप भल दगड़
दिनभरि ख्यलन,
झिटघड़ि में लड़न।

इज'क प्यार,
भै'क दुलार,
बाबु'क धमक,
उ हमरि चमक,

गोर-बाछौं'क बागुड़,
उ मोव'क थुपुड़,
बकर'क पा्ठ,
दिगौ!
उ म्याल'क गा'ट,
 घ्यु दगै खीर,

ओहो! 
द्योक धीsर,
छीड़'क ठंड पाणिनि,
इजा दगै बुति- धाणि,

आहा!
उ हिसाव काफोव,
घिगारु-किलमड़ 
दगड़ियां दगड़,
तिमिल खाण में झगड़।

अहा!
उ मैती मुलुक,
म्यर मैती मुलुक।
©घनश्याम अण्डोला, 14-12-2018

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