
गडेरी, पिनाऊ, अरबी, घुइंया या कुचंई (Taro root or Eddoes)
लेखक: शम्भू नौटियालअरबी का वानस्पतिक नाम कोलोकेसिया एस्कुलेन्टा (Colocasia esculenta (L.), Schott, Syn-Colocasia antiquorum Schott)। यह वानस्पातिक कुल ऐरेसी (Aracea) से संबंधित है। स्थानीय नाम- कुचैं, कुचंई, अरबी, अरवी व एक दूसरी प्रजाति पिंडालु या गडेरी, घुइंया, पातुड़ या गाबा भी कहते हैं। गहरे रंग के पत्ते तथा डंठल वाले अरबी के कंद तथा हल्के हरे डंठल व पत्तो वाले घुइंया के पत्तों का उपयोग अधिक किया जाता है।
हिन्दी में इसे अरुई, घुइयां, कच्चु, अरवी, घूय्या; संस्कृत में कच्चु या आलुकी तथा अग्रेंजी में इजिप्टियन ऐरम (Egyptian arum), क्रैच कोको (Scratch Coco), टैरो रूट (Taro root), एड्डोस (Eddoes), एलिफैन्टस् इयर (Elephant’s ear) कोको यैम (Coco yam), टैरो (Taro) कहते हैं। अरबी उष्णकटिबन्धीय व प्राचीनकाल से उगाये जाने वाली अत्यन्त प्रसिद्ध और सभी की परिचित वनस्पति है। भारत में लगभग सभी गर्म प्रदेशों, एवं हिमालय के आर्द्र, तथा सूखे भागों में अरबी की खेती की जाती है।

अरबी को 2500 मीटर की ऊंचाई तक उगाया जाता है। इसकी खेती इसके कंद (जिसका उपयोग सब्जी की तरह होता है) के लिए की जाती है। अरबी के पत्ते, और कंद में कैल्शियम ऑक्जलेट होता है, जिसके सेवन से गले, तथा मुंह में सुई चुभने जैसी खुजली हो सकती है। इसलिए अरवी का सेवन पानी में उबालकर ही करें। हालांकि ये लवण पकने पर नष्ट हो जाता है। या इनको रात भर ठण्डे पानी में रखने पर भी नष्ट हो जाता है।
अरबी प्रकृति ठण्डी होती है इसलिए पकाते समय इसमें अजवायन भी डाली जाता है। अरबी कन्द (फल) कोमल पत्तों और पत्तों की तरकारी बनती है। बरसात के दिनों में अरबी के पत्तों से पतोड़ बनाकर खाने का मजा ही कुछ और है। अरबी आसानी से बाजार में मिल जाती है। अरबी गर्मी और वर्षा की ऋतु में होती है। अरवी के लिए पर्याप्त जीवांश और उचित जल निकास युक्त रेतीली दोमट भूमि उपयुक्त है। अरबी रक्तपित्त को मिटाने वाली, दस्त को रोकने वाली और वायु को प्रकोप करने वाली है।
- अरबी के पत्ते पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में बहुत मददगार हैं। भूख कम लगती है, तो अरबी के पत्तों का जूस बनाकर इसमें दालचीनी, इलायची तथा अदरक डालकर पीने से भूख ना लगने की समस्या ठीक होती है।
- अरबी के पत्तों में मौजूद विटामिन ए की भरपूर मात्रा इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट आंखों की कोशिकाओं के लिए अच्छे साबित हो सकते हैं। यह आँखों की रोशनी तेज बनाये रखने के साथ-साथ मायोपिया (निकट दृष्टि दोष), अंधापन और मोतियाबिंद जैसी आंखों की विभिन्न समस्याओं की रोकथाम में मदद करता है। अरबी के पत्तों और कन्द की सब्जी बनाकर सेवन करने से आंखों के रोग में फायदा होता है।
- अरबी खाने के फायदे ब्लड प्रेशर और दिल से जुड़ी समस्याओं में लाभदायक है। अरबी में संतृप्त वसा (सैचुरेटेड फैट) की मात्रा बहुत कम होती है। यही वजह है कि इसका सेवन हृदय के लिए फायदेमंद माना जाता है। अरबी के पत्तों में मौजूद मेथियोनीन और फाइबर, ट्राइग्लिसराइड को तोड़कर कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं। अरबी में सोडियम की भी अच्छी मात्रा पायी जाती है। सोडियम के अलावा पोटैशियम और मैग्नीशियम से भी अरबी भरपूर है अपने इन्हीं गुणों के चलते अरबी ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मददगार है। इसलिए स्वस्थ रहने के लिए भोजन में अरबी के पत्तों को नियमित रूप से शामिल करना चाहिए।
- अरबी भूख को कंट्रोल करने में मददगार है। अरबी में काफी मात्रा में फाइबर होते हैं जो मेटाबॉलिज्म को सक्रिय बनाते हैं। यह प्रकिया वजन को तेजी से कम करने में मददगार होती है। इन पत्तों में कैलोरी बहुत कम होती है लेकिन इसके सेवन से आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त हो जाते हैं।
- अरबी के पत्तों में मौजूद विटामिन सी की प्रचुर मात्रा के कारण होता है। विटामिन सी एक तरह का शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है जो सर्दी-जुकाम जैसी सामान्य बीमारियों से लेकर कुछ किस्म के कैंसर तक से बचाव कर सकता है। यह विटामिन टेंडन, कार्टिलेज और लिगामेंट जैसे मजबूत संयोजी ऊतकों के विकास के लिए भी जरूरी होता है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है। गर्भवती महिलाओं को डॉक्टर एक महत्वपूर्ण विटामिन फोलेट के सेवन की सलाह देते हैं। सौभाग्य से, अरबी के पत्तों में यह विटामिन बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है। भ्रूण के स्वस्थ विकास के लिए फोलेट अनिवार्य विटामिन है। यह तंत्रिका ट्यूब दोष जैसे महत्वपूर्ण जन्म दोषों की रोकथाम करता है। इसके अलावा फोलेट, गर्भ की रक्षा और डीएनए संश्लेषण के लिए भी आवश्यक है। साथ ही यह भी दावा किया जाता है कि यह कोलन कैंसर (मलाशय कैंसर) और रेक्टल कैंसर (गुदा कैंसर) से बचाव में भी सहायक है।
- अरबी के पत्तों के फायदे एनीमिया दूर करने में भी सहायक हैं। इसके पत्तों में मौजूद आयरन तत्व शरीर के लिए हीमोग्लोबिन के अनिवार्य घटक में से एक है। हीमोग्लोबिन शरीर के विभिन्न अंगों तक ऑक्सीजन पहुँचाने का काम करता है। एनीमिया (शरीर में आयरन की कमी) से पीड़ित लोगों को रोजाना अरबी या इसके पत्तों का सेवन करना चाहिए। इससे न सिर्फ आयरन की कमी पूरी होती है बल्कि थकान और कमजोरी से भी बचाव होता है।
- अरबी के पत्ते का उपयोग करें झुर्रियों को दूरने में भी किया जाता है। अरबी में एक एमिनो एसिड थ्रेओनिन की भरपूर मात्रा पाई जाती है। यह कोलेजन और इलास्टिन बनने में मदद करता है और ये दोनों स्वस्थ त्वचा के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। इसलिए, नियमित रूप से अरबी और इसके पत्तों का सेवन झुर्रियां पड़ने बचाता है और साथ ही त्वचा को भी जवान बनाने में मदद करता है।
- मधुमेह को नियंत्रित करने वाला गुण भी होता है जो की शर्करा की मात्रा रक्त में सामान्य बनाये रखने में मदद करता है। इसमें उपस्थित फाइबर इंसुलिन और ग्लूकोज के संतुलन को सही रखने में मददगार हैं।
- दस्त से परेशान रहने वाले लोग अरबी का प्रयोग कर सकते हैं। अरबी के पत्ते का काढ़ा बनाकर 10-15 मिली मात्रा में सेवन करने से दस्त पर रोक लगती है।



अरबी के पत्तों के कुछ संभावित नुकसान:
यदि अरबी के पत्तों को ठीक से पकाया नहीं जाए तो ये विषाक्त हो सकते हैं। कुछ लोगों को इसके सेवन से एलर्जी हो सकती है। अरबी के पत्तों का साग वायु तथा कफ बढ़ाता है। जिन लोगों को गैस बनती हो, घुटनों के दर्द की शिकायत और खांसी हो, उनके लिए अरबी का अधिक मात्रा में उपयोग हानिकारक हो सकता है। अधिक मात्रा में इसका सेवन कर लिए जाए तो यह बदहजमी या गैस का कारण बन सकती है, क्योंकि यह पचने में भारी होती है।

श्री शम्भू नौटियाल जी के फेसबुक पोस्ट से साभार
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