
कुमाऊँनी भाषा में मुहावरे और लोकोक्तियाँ
यहाँ पर हम कुमाऊँनी की कुछ प्रचलित मुहावरों और लोकोक्तियों को उनके अर्थ के साथ जानने का प्रयास करेंगे:-
नक आपुंण करि जौ, भल दूहरौंक जी रौ
अर्थात
दूसरों को सुख देने में असली आनन्द है या सर्व भवन्तु सुखिन:
नकटा’क नाखम बोट जाम, काटण छोड़ श्योव भैटो
अर्थात
निर्लज्ज और निकृष्ट व्यक्ति अपनी निर्लज्जता दिखाने से बाज नहीं आता
नयाय’क चलन, रुखौ’क ढलण
अर्थात
अकस्मात किसी घटना से दोष लग जाना
नाख यसिक नै तो उसिक पकड़ी
अर्थात
कहने के बावजूद किसी कार्य को जानबूझकर दूसरे तरीके से करना
ना खोलण हूं गांठि, ना टेकण हूं जांठि
अर्थात
अत्यंत साधनहीन होना
ना डाड़, ना हंसि, खालि गिज तणै
अर्थात
खिसियानि हालत में जबरदस्ती के हंसने का दिखावा
नान गोरु कैं ठुल गोरु, ठुल गोरु कैं बाग
अर्थात
हर किसी को किसी ना किसी से भय लगा ही रहता है
नानि खाप, ठुलि धाद
अर्थात
छोटे मुंह बड़ी बात करना
नानि खोरि ठुलि खोरि नी है जानि
अर्थात
व्यक्ति को उसकी हैसियत के अनुसार ही सम्मान मिलता है
नान्तिना’क जाड़, ढूंग में
अर्थात
शैशव अवस्था में मनुस्य को वातावरण की कोई चिन्ता नहीं होती
नामा’क नरोतम
अर्थात
बहुत अच्छा नाम रख देने से व्यक्ति के कर्म नहीं बदल जाते
नालि टूटि ग्ये तो ब्याज जै क्ये टूटौ
अर्थात
किसी दुर्घटना से आपकी देनदारी खत्म नहीं हो जाती
नांगण कैं कामव मिलौ, नांगण उड़न लागौ
अर्थात
एक व्यक्ति इच्छित वस्तु मिलने पर अत्यधिक प्रफ़ुल्लित हो जाता है
नि खाणि रांड, भदिया’क धेलि में
अर्थात
विपत्ति में अपने परिजनों के पास ही जाना पड़ता है
निमड़ि है बे चिमड़ि भल
अर्थात
ना होने कुछ होना भी ठीक है
नि हइये’कि एक डाड़, हइये’कि सौ डाड़
अर्थात
औलाद ना होने का एक बार रोना और औलाद नालायक होने पर सौ बार रोना
नीमूं पछिनाक बनौल
अर्थात
किसी कार्य/व्यवसाय का अर्धकुशल व्यक्ति
नीमूं जस निचोड़ दी
अर्थात
किसी को पूर्ण नष्ट कर देना या किसी की पूरी सच्चाई उजागर कर देना
नै आग लागो, नै पाणि पूजो
अर्थात
ऐसे बेतुके काम करना जिनका कोई प्रयोजन ना हो
नै घूरू भेटिनै, नै कौतिक देखिनै
अर्थात
दूसरे को असमंजस की स्थ्ति में डाल देना
नै बाछि’क गाव, नै ठेकि’क ताव
अर्थात
व्यर्थ की बरबादी होना
नै मुट्ठी भीतेरा'क, नै मुट्ठी भ्येरा'क
अर्थात
ना तो बच्चा ना वयस्क, यह माता-पिता द्वारा किशोरों के लिए प्रयुक्त होता है
नै रांडौक, नै मांडौक
अर्थात
निकृष्ट व्यक्ति ना घर का ना घाट का
नौकरि’क र्वाट, बज्जर जस ख्वाट
अर्थात
किसी और की चाकरि में असली सुख प्राप्त नहीं हो सकता
नौ त्यर, गौं म्यर
अर्थात
नाम और काम किसी का और श्रेय किसी और को
नौ नखारा, सौ टोक्यारा
अर्थात
यौवन की चंचलता पर हर किसी को द्वेष होता है
नौ नौदाम, पुराण छ्दाम
अर्थात
नये अच्छी गुणवत्ता वाले सामान का दाम अधिक होता है
नौलि'क नौ मटक, ख्वारन पटक
अर्थात
यौवनावस्था में स्वभाव में चंचलता आ ही जाती है
नौ नटू, एक बटू
अर्थात
कोई समाधान ना होना, एक अनार सौ बीमार
उपरोक्त मुहावरों और लोकोक्तियों के सम्बन्ध में सभी पाठकों से उनके विचारो, सुझावों एवं टिप्पणियों का स्वागत है।
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