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इज और च्योल भाग-२

कुमाऊँनी कहानी-इज और च्योल भाग-०२ Kumauni Kahani story of a son taking care of his lone mother in hill village

-:इज और च्योल भाग-२:-

लेखिका: अरुण प्रभा पंत

(भाग-०१) से आगे 
आब और के कर सकनूं के करण चैं, ऐस सोचणै लाग रोछ्यूं तो अचानक आपण कान (कंधे) में मैंल क्वे हाथ जौ चिता ,देखौ तौ तालै रेबकाभाय।  "हाय कां छै, के सोचणौंछै भाऊ"!  "पैलाग,कका", "मैं समझ गेयूं इजाक सोच पड़णौन्हाल तु जा आपण काम में के करछै तैक बुणयांकाल भौय, हम भयां यां द्वि र्वाट दि द्यूंल तु आपण भविष्य खराब नि कर, के करछै आपण आपण दानाय भोगाय", रेबका गोछिंया तो पुरदा (पूरन दाद) सामुणि ठाड़, "ओ हो तो हमार भतिज कं आपण इजैक चिंता हैरै, हुणै चैं, पर के करछै भुली, इज कं काखिन ल्हिबेर तो जीवन चलनेर नि भौय।  छाड़ काखि कं आपण नौकरी चाकरी चा, कभै कभै शैणिनौक के बैगनौक दिमाग लै सटिक जानैं छु, दुखंबा सुखंबा काटि ल्हेल, कदिन जांणौं छै? आब लाकडाउन खुल जानेर छु बल"

"पुरदा गो छियो तौ कुणाक घरैक बचि आम जांठ टेकन टेकनै खड़म्म खड़म्म कर तालै पुजि गे"ओ तारी कस है रै बिशनी आछि छू, या और ज्यादा गवठुनि है गे। मैं तुकं यो बतूणहुं ऐयुं कि भोल एकादशि बै देब्बुआ वां जागर लागौणौ तु मकं आपण हाथैल एक चाव (कपड़े के टुकड़े) में चाओनाक गुद(चावलों के दाने) और कुछ डबल धर बेर दि दे मैं पूछगछ करेंबेर लि ऊंल,केजरूर द्याप्तनौक हुन्योल हो के कर दे न्हैल तैल गलती कभतै।  द्याप्त चेटक लै दिखूनी।

सबन थैं 'हूं हां' कर बेर गोर बाछ गोठपात ,झाड़ सफाई कर ,आपण इज कं नवै धोवै बेर और आफि नै ध्वेबेर रिश्याउन गोयूं खाण पकूण हुं तब तक नंदी बोज्यू तालै रोट साग ल्हिबेर पुज गेछिन,"लला मुणीरोट साग लै रैयूं खैल्हिया और के चैलौ तो धाल लगै दिया हां।"

तारि कं भल लागौ और वील सोचौ कि चलौ तो गौं पड़ौस में जेलै छु सब एक दुसराक हालचाल तो ल्ही ल्हिनीचाहे जेहौ ।तनन कं जतु ज्ञान छु उलै बिना मांगियै दी दिनी।  पर मकं तो अफसोस छु कि मेरि इजाक बिमारी वीक कारण जांणते हुए लै तौ कभै मेरि इजौक दुख कं नि समझणाय।  तनर विचार में मैल आपण इज है ज्यादे आपण नौकरी कं देखणाक लिजि इज कं पड़ौसिनाक रहम करम पर छाड़ि दिण चैंऔर तौ उम्र में तौ दिमाग सटिक जांण के ठुल बात निभै।

सब यो किलै नि समझन कि जैक विश्वास टुटूं वीक सब टुट जां,मेरि इज आय जांलैं योयी समझ छी कि म्यार बाब जोगि है ग्यान जां ले छन भगवान भजन करणयी पर यो सब जोगि बणनैक बात उनूल मेरि इज कं ध्वाक में धरण हुं कै।असल में उनूल दुबारा शहर में आपण नय घर गृहस्थी जमें राख छी और तबै म्यार आम बड़बाज्यूक मरण बाद उनूल घर ऊंण पुरि तरिकैल छाड़ि दे।और आपण असल घर शेणि और च्योल कं तज दे,ओर हम समझां कि उन जोगि है ग्यान।

इजैल लै पुर कमर कस बेर महनत कर बेर हर संभव तरिकैल मकं भली कै पालौ पढ़ा लेखा बाबुक लिजिए बर्त तर्त और सुहागिलनाक न्याथ करीं पर कभै बाबुक बुराय निन्दा नि करि,मकं भल संस्कार दी,मैल आपण मन में आपण बाबुक भलि तस्वीर बणैं राखी भै, के अचानक पत्तचलूं कि बाबू तोआपण दुबारा घर में मगन छन तब इज और मकं धक्क तो लागलै सही दिमाग तो सटकलै सही यो बात यो गौंक मैस नि समझणाय।
क्रमशः--(भाग-०३)

मौलिक
अरुण प्रभा पंत 

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