
"हइयक् ह्याक"
कुमाऊँनी गीत
रचनाकार: मोहन चन्द्र जोशी
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हइयक् ह्याक् जी रओ जी रओ खैर और प्यार।
जो रोखड़ौं कैं लै बड़ै दिनीं हरिया भरिया स्यार।।
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हईया कैं ह्याक् हिल करणक्।
बोइया बिन गिल करणक्।।
ध्यान द्यौं बौकिल चापार् काँ छन?
काँ बँहँल चापार् नाड़् म्वावा छन?
सिकड़ि समेरि झ्वाल कल्यो पाँणि।
हिटौं बल्दौं दगाड़ गड़ क् उज्याणि।।
कैं नँ बहड़ा कैं हिटौंण लिजिक।
जतन करौं उ सबै ठिक् ठिक्।।
टुपूटुपु चार उ बाट् लागि रौं ।
कभतै हाँकछ कभतै बोत्यौं।
उ इचाव कौंछ कन्हाव ल्हैजाँछ।
निसाव कौंछ उ तिराव ल्हैजाँछ।।
ह ह कौंनैं फिर गज्यौंनैं उ स्यार।
पसिंण बगौंछ उ बाँण यकार।।
सयाँण् हो बल्द तो हई निझरक्।
बहड़ौं कैं हिटौंण हँ भौतै फरक।।
पैलि जोतण में नाक करौं दम।
सारि स्यारी फेरि दिछ एकदम।।
पुछड़ि पुठनि धरी द्वियै तब।
हई कैं द्यखौंनीं बहड़्योई गजब।।
जब पुर् हौं दौड़ण क् उ काम।
सिकड़ि खै बहड़ा हया थिरथाम।।
बड़ी मुश्किलों लै ठाड़ हैगीं।
फिर म्वाव कैं खुटा पनि घोसणीं।।
हई सोचछ मणि हय आराम।
आब् झिट्ट घड़ी में हैजाल् काम।
ब्वत्यौंनैं पलासि जु धरौं काँन् मेंजि।
बाद् जत्यूड़ लठ्यूड़ नाड़ मेंजि।।
हाँक् लगै ह ह कौंनैं अघिल हैं।
हई हकौंछ बहड़ा कैं झिल् है।।
एक द्वि सि जब लागि सका।
यस लागौं यौं बहौड़ थाका।।
फिर हाँकौं हई जोर में ऐबेर।
उँ द्वियै बहौड़ी जोर दिखैबेर।।
हया भुबाँन ज्यान लगै दिनीं।
दौड़ि काटनैं हइ कैं थकै दिनीं।।
नैहड़ टोड़ि फाव् हरै द्यौं। हई हैं चाँणक् धाव् करै द्यौं।।
उ हई सिकड़ भिमें ख्यड़ौ। फाव् चै नैहड़ ठाड़ सि करौं।।
फिर पलासि बेर उँ द्वियै बहौड़़।
कौंछ रे आजै य बॉंण छु गड़।।
बहड़ै भाय् के कइयो उनुंहैं।
धो जोतण फिर जबुग खुहैं।।
मारि सिकड़ि भुबाँन है जानीं।
बहौड़ टैक्टर क् समान हैजानीं।।
उ जरा लै हव में जि जोर थरौं।
उ नाक गन्यै फिर कमर दोल्यौं।।
फिर ढ्याँङाँ मेंजि लागि मिरिमिरि।
घुन टेकि उ जाँछ लमपसरि।।
पुछड़ पकड़ि हई लै छोड़न न्हैं ।
उ बहौड़ जब तक उठन न्हैं।।
यसै फिर फिर कदुगै फ्यार।
य गाड़ कभतै कभतै उ स्यार्।।
करनैं करनैं सिखी जाँनिं बहड़।
पछ्याणिं ल्हौं सि बाट् य गड़़ उ गड़।।
टुपुटुपू चारि उ लाप धरौं। म्वाव में बादिया खाप धरौं।।
जब ऐ जाँनीं उँ बल्दकि चाल।
तब सोचौं हइया य कट बबाल।
हैं कम दिक्खदारी कासिल हई।
हई लै नई तो फिर के कईं?
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बहड़ौं कैं ढिल अन्ताज अँ काँ सि छु काँ छू भिड़।
र र कदुगै कैबेर लै उँ भ्योवनि हैं पिड़ पिड़।।
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मोहन जोशी, गरुड़, बागेश्वर। 30-01-2016
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