
-:गौं बै शहर -यांकौ अगासै दुसौर छु:-
कुमाऊँनी नाटक
(लेखिका: अरुण प्रभा पंत)
->गतांक भाग-०८ बै अघिल->>
अंक इक्कीस-
आब रत्तै बिना झसकै पुर परिवार शहरैक तौर-तरिकन में रम गो। पद्मा गो-ग्रास बै ल्हिबेर साग फल और पंसारिक दुकान में सामानैक मोल भाव और चीजनैक पसंद और नापसंद कं समझण लाग गे। वीक बलाण में आत्म विश्वास और ठहराव छु और उकं, नक भल में एक नजर में लै भेद करण एगो।
फ़ालतू चिकनी चुपड़ी और असल सच्ची निर्मल बात उ समझण लाग गे। एक पड़ौश्याणि जैक नाम सुमित्रा छु पद्माक घर ऐरै-
पद्मा - आइए बहन जी, बैठिए, कैसे याद किया?
सुमित्रा - आपकी याद आयी, चली आई।
सुनीता - आण्टी, मुझे पता है आपकी चाय पत्ती खत्म हो गयी है या हींग छौंक केलिए चाहिए न।
सुमित्रा - चल हट, पद्मा तेरी यह लड़की बहुत तेज है अभी से इसकी जुबान कतरनी सी हैगी।
पद्मा - सुनीता, हट यहां से, आण्टी को नमस्ते किया, बहुत बकबक करती है।
अंक बाईस-
नरैणैल ब्याल हुं औफिस बै ऐबेर बता कि "गौंक किसनदा, भागुलि बुब(बुआ), नरवर दा गंग नाण हुं उनेर छन, म्हैणेक रौल। कर सकली तु ? काम बढ़ जाल उनौर बिस्तर रूणौक सब इंतजाम लै करणै पड़ौल मना कर नि सकन।"
पद्मा - हद्द करणौ छा, हमार भाय उं मना करणौक तो सवालै नि भौय क्वे भ्याराक हुना तौ तबलै मना निकर सकना, तुम फिकर निकरौ मैं सब कर ल्हूल।
नरैण - मै तो परेशान छ्युं त्वील मकं बेफिकर कर दे भागी। बस जरा खाणपिण चहा चिन दूध सबै जियादे लागौलि।पहाड़ाक मैस साग लै सकरै खानी पै।
पद्मा - एक म्हैणैक बात छु निभै ल्यूल, बस काम बढ़ जाल जरा।
नरैण - देख, न तु नानतिनन थैं काम करवै न तनौर दूद कम करली, तनैरि पढ़ाई लेखाय में कमी नि हुण चैं।
अंक तेईस-
आज नरैण द्वि फोल्डिंग खाट लिआ
नरैण - आब भोल हुं बिस्तर लिऊंल। भागुलि बुब रीता दगै सित जालि।
पद्मा - सब है जाल पर तुमार डबल सकर खर्च ह्वाल, तनार जाण बखत पिठ्या पाणि लै करण पड़ौल। भागुलि बुब हुं लुकुड़ लै बणूण पड़ाल, यो हिसाबैल डबलनौक इंजाम कर लिया।
नरैण - मैं सबन कं खूब आराम दिण चानू बिचार हमार आस में यां तक आल, घुमूंण लै पड़ौल। आग लगूण सब्बै में डबनैक माया भै।
पद्मा - तबै मैं डबलनैक बात कुनू, अटक बिटक हुं बचई धनौक सहार हुनेर भौय, तुम चिंत निकरौ मैल घर खर्च बै कुछ डबल बचै राखीं।
नरैण - अरे वाह तूतो मेरि भागी भैयी। अ च्छा यो सब खर्च नि हुनौ तो केकरनी यो डबलौक?
पद्मा - मैल यो सब डबल रीता हुं के सुनागण (सोने का जेवर) बणूण हुं जाम करणौछी, टैम जांण में के देर निलागैनि भोल ब्या लै करणै भौय।
नरैण - नानतिननैक पढ़ाइक बार में सोच, ब्या बार में रूण दे।
क्रमशः अघिल भाग-१०->>
मौलिक
अरुण प्रभा पंत
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